साक्ष्य के अभाव में जेल कांड के तीन आरोपित हुए बरी

छपरा (कोर्ट) : मंडल कारा छपरा में 15 वर्ष सात माह पूर्व कुख्यात कैदियों के जेल ट्रांसफर को लेकर उत्पन्न विवाद में हुई हिंसक झड़प, जिसमें छह कैदियों की मौत हो गयी थी और तत्कालीन एसपी समेत कई पुलिस अधिकारी व सिपाही जख्मी हुए थे, के मामले में न्यायालय ने साक्ष्य के अभाव में तीन […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | October 18, 2017 10:18 AM
छपरा (कोर्ट) : मंडल कारा छपरा में 15 वर्ष सात माह पूर्व कुख्यात कैदियों के जेल ट्रांसफर को लेकर उत्पन्न विवाद में हुई हिंसक झड़प, जिसमें छह कैदियों की मौत हो गयी थी और तत्कालीन एसपी समेत कई पुलिस अधिकारी व सिपाही जख्मी हुए थे, के मामले में न्यायालय ने साक्ष्य के अभाव में तीन आरोपितों को बरी किये जाने का आदेश दिया है. मंगलवार को अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश द्वितीय विजय आनंद तिवारी ने जेलकांड में दर्ज भगवान बाजार थाना कांड संख्या 46/02 के सत्रवाद 396/03 में सुनवाई की.
न्यायाधीश ने मामले में आरोपित भगवान बाजार थाने के दौलतगंज निवासी राजेश तुरहा और सीवान जिले के रघुनाथपुर थाने के सांठी निवासी ऋषि मुनि सिंह तथा सीवान के ही असांव थाना क्षेत्र के कसीला निवासी जटा शंकर सिंह को बरी किये जाने का आदेश दिया है. 26 मार्च ,2002 को मंडलकारा प्रशासन द्वारा कुछ कुख्यात कैदियों को केंद्रीय कारा में ट्रांसफर करने की प्रक्रिया शुरू की गयी, जिसका दबंग कैदियों द्वारा विरोध किया गया और कारा के अंदर कार्यरत कर्मियों को बंधक बना वार्ड नंबर आठ में बंद कर दिया गया.
उसके उपरांत उन कैदियों ने कारा गेट पर तैनात सुरक्षा कर्मियों से गेट समेत अन्य सभी तालों की चाबियां छीन ली गयीं और उन्हें भगा जेल के अंदर कब्जा कर लिया गया. घटना की जानकारी मिलने पर तत्कालीन एसपी कुंदन कृष्णन ने कैदियों से मिलने व समझाने का भरपूर प्रयास किया परंतु, कैदी उनसे नहीं मिले तो एक जनप्रतिनिधि को समझाने के लिए भेजा गया परंतु वे भी समझाने में विफल रहे.
सारण एसपी को 29 मार्च को गुप्त सूचना मिली थी कि कुख्यात कैदी जेल गेट व दीवार को विस्फोट कर उड़ाने व भागने की योजना बना रहे हैं.
30 मार्च को हुई झड़प : जेल तोड़ भागने की सूचना पर एसपी ने तत्काल वरीय अधिकारियों यथा डीएम, डीआईजी और आयुक्त तथा जेल आईजी को सूचना से अवगत कराते हुए उनसभी के आदेश पर लाउड स्पीकर द्वारा सभी को शांति बनाये रखने तथा पुलिस को सहयोग करने को कहा गया.
परंतु कैदी शांति व सहयोग की जगह और उग्र हो गये और कारा के अंदर से ईंट व पत्थर चलाने लगे, जिसमें कई पुलिस अधिकारी घायल हो गये. उसके बाद एसपी के नेतृत्व में पुलिसकर्मियों ने रस्सी व अन्य साधनों से जेल के अंदर दीवार फांद कर किसी तरह प्रवेश किया तो कैदियों ने उनपर फायरिंग शुरू कर दी.
काराधीक्षक ने दर्ज कराया था मामला : इस मामले में काराधीक्षक विपिन कुमार सिंह ने भगवान बाजार थाना कांड संख्या 46/02 में प्राथमिकी दर्ज कराते हुए 11 कैदियों को नामजद तथा अन्य को अभियुक्त बनाया था.
पुलिस ने इस मामले में तत्कालीन एसपी व डीएसपी हरिमोहन शुक्ला समेत 94 पुलिस अधिकारियों व कर्मियों को गवाह बनाया था, जिसमें अभियोजन की ओर से एपीपी दयानंद राय ने 34 गवाहों की गवाही करवायी थी, वहीं बचाव पक्ष से अधिवक्ता ब्रजेश कुमार ने पैरवी की थी.

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