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किसानों के लिए बनाया और दुकानदारों ने कब्जा जमाया

किसान अब बिचौलियों के हाथों अपनी उपज बेचने को हैं मजबूर छपरा (सदर) : किसानों की उपज को उनका उचित मूल्य दिलाने तथा बिचौलियों को खत्म करने के उद्देश्य से ही सरकार ने वर्ष 1978 में छपरा शहर के साढ़ा में दो चरणों में 41 एकड़ जमीन का अधिग्रहण कर यार्ड का निर्माण तथा दुकानों […]

किसान अब बिचौलियों के हाथों अपनी उपज बेचने को हैं मजबूर

छपरा (सदर) : किसानों की उपज को उनका उचित मूल्य दिलाने तथा बिचौलियों को खत्म करने के उद्देश्य से ही सरकार ने वर्ष 1978 में छपरा शहर के साढ़ा में दो चरणों में 41 एकड़ जमीन का अधिग्रहण कर यार्ड का निर्माण तथा दुकानों का निर्माण शुरू कराया. इसके तहत कम-से-कम 10 किसान प्लेटफाॅर्मों का निर्माण कराया गया. शेडयुक्त तथा सुविधा संपन्न इस बाजार समिति परिसर में किसानों को बिना किसी रोक व खर्च के अपने उत्पाद सीधे व्यवसायियों को बेचने की सुविधा दी गयी थी.
इन प्लेटफाॅर्मों पर प्रतिदिन चार सौ से पांच सौ किसान अपने खेत की उपज को बेचने के लिए आते थे. परंतु, कृषि उत्पादन बाजार समिति के पदाधिकारियों व कर्मियों की कारगुजारियों के कारण इन किसान प्लेटफार्मों पर अवैध वसूली तथा गलत ढंग से आवंटन कर लगभग एक सौ व्यवसायियों को ये किसान प्लेटफाॅर्म आवंटित कर दिये गये. इस मामले में लाखों का घोटाला भी सामने आया. इसमें प्राथमिकी भी हुई. इसके बावजूद संबंधित कर्मी पर कोई कार्रवाई नहीं हुई.
फलत: अब विभागीय उदासीनता की वजह से इस विघटित बाजार समिति के किसान प्लेटफाॅर्मों का फायदा व्यवसायी व संबंधित कर्मी उठा रहे हैं तथा किसान अपनी उपज को बिचौलियों के माध्यम से बेचने को विवश हो रहे हैं.
7.67 लाख के गबन मामले में कर्मी पर दर्ज हुई है प्राथमिकी : कृषि उत्पादन के वर्ष 2006 में विघटन के बाद तत्कालीन विशेष पदाधिकारी सह सदर एसडीओ क्यूम अंसारी के द्वारा बाजार समिति में कुल 43 व्यवसायियों या अन्य लोगों को जमीन, दुकानदार एवं किसान प्लेटफार्म आवंटित कर सात लाख 66 हजार 816 रुपये गबन कर लेने वाले कृषि उत्पादन बाजार समिति के प्रक्षेत्र सहायक इंदुभूषण प्रसाद के खिलाफ छपरा मुफस्सिल थाने में कांड संख्या 260/2014 दर्ज करायी थी.
16 दिसंबर, 2014 को दर्ज इस मुकदमे में गबन तथा धोखाधड़ी के चल रहे आरोपों में 31 जनवरी, 2014 को अवकाश ग्रहण करने वाले प्रक्षेत्र सहायक श्री प्रसाद अभी पटना उच्च न्यायालय से जमानत पर हैं. इस संबंध में तत्कालीन विशेष सह सदर एसडीओ श्री अंसारी ने विभाग को भी अपने पत्रांक 116, दिनांक नौ अक्तूबर, 2014 के द्वारा सूचना दी थी. परंतु, इस पूरे मामले में गबन करने वाले उस कर्मी के विरुद्ध न तो स्थानीय स्तर पर और न विभाग के स्तर पर कोई कार्रवाई हुई. फलत:
स्थानीय कर्मी भी कमोबेश उसी राह पर चल रहे हैं. तभी तो कृषि उत्पादन बाजार समिति के कार्यपालक अभियंता कार्यालय, सहायक निदेशक कार्यालय तथा दर्जन भर अन्य भवनों की लकड़ी के दरवाजे, खिड़कियां तथा ऑफिशियल फर्नीचर गायब हो गये. उदासीनता का आलम यह है कि स्थानीय कर्मियों एवं पदाधिकारियों ने एक प्राथमिकी तक दर्ज नहीं करायी. आसपास के दुकानदारों एवं उससे जुड़े कुछ कर्मियों की मानें तो विभाग से जुड़े व्यक्ति ही पूरे मामले में सामान लेकर चले गये. ऐसी स्थिति में दर्जन भर विभागीय भवन भूतबंगला में तब्दील हो गये हैं.
क्या कहते हैं पदाधिकारी
कृषि उत्पादन बाजार समिति (विघटित) की खाली जमीन, दुकान व किसान प्लेटफाॅर्मों के आवंटन की शिकायत मिली है. पूरे परिसर में अतिक्रमण हटाने के साथ-साथ गबन या अन्य अनियमितता करने वाले पूर्व या वर्तमान कर्मियों की संलिप्तता उजागर होती है तो उनके खिलाफ नियमानुसार कार्रवाई की जायेगी. वहीं इस मामले में चल रहे मुकदमे की वास्तविक स्थिति पर मेरी नजर है. प्रशासन हर हाल में किसानों का दोहन बिचौलियों से रोककर उनका वाजिब हक दिलाने का प्रयास करेगा.
चेतनारायण राय, विशेष कार्य पदाधिकारी सह सदर एसडीओ, कृषि उत्पादन बाजार समिति(विघटित), छपरा.

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