छात्रा के साथ हैवानियत करने वाले दुष्कर्मी शिक्षक को उम्रकैद की सजा
छपरा : बिहार के छपरा में व्यवहार न्यायालय के विशेष न्यायाधीश ने अपनी शिष्या के साथ दुष्कर्म करने वाले एक दुष्कर्मी शिक्षक को आजीवन कारावास के साथ ही 50 हजार जुर्माना की सजा सुनाई है. सजा पाने वाले शिक्षक प्रवीण कुमार सिंह उर्फ मुन्ना ने अपने शिष्या के साथ जो कुकृत्य किया उससे उसका परिवार […]
छपरा : बिहार के छपरा में व्यवहार न्यायालय के विशेष न्यायाधीश ने अपनी शिष्या के साथ दुष्कर्म करने वाले एक दुष्कर्मी शिक्षक को आजीवन कारावास के साथ ही 50 हजार जुर्माना की सजा सुनाई है. सजा पाने वाले शिक्षक प्रवीण कुमार सिंह उर्फ मुन्ना ने अपने शिष्या के साथ जो कुकृत्य किया उससे उसका परिवार तथा समाज के साथ ही शिक्षा जगत से जुड़े लोग भी शर्मसार हैं.
छोटी बच्चियों के साथ दुष्कर्म की घटना के बहुत सारे मामले कोर्ट में आते रहें हैं. उसमेंज्यादातर आरोपित अनपढ़, या फिर साइको टाइप के होते हैं. लेकिन, इस घटना को अंजाम देने वाला उन लोगों में से नहीं बल्कि अंग्रेजी विषय से एमए किया हुआ 32 वर्षीय शिक्षक तथा रेलकर्मी का इकलौता पुत्र हैं. जिसने अपनी आयु से चौथाई कम आयु की बच्ची के साथ कुकर्म किया है जो पूरी तरह से शारीरिक व मानसिक रूप से अपरिपक्व है. घर परिवार के लोग इतने शर्मिंदा हैं कि सजा के वक्त कोई उसके पास नहीं आया.
दो वर्ष के अंदर आया फैसला
उच्च न्यायालय द्वारा इस मामले को त्वरित निष्पादन किये जाने के आदेश के आलोक में न्यायालय ने घटना के एक वर्ष ग्यारह महीना 19 दिन में इस मामले में अपना फैसला सुनाया है. 9 मई 2017 को घटित हुई इस घटना में उसी दिन अभियुक्त की गिरफ्तारी हुई और प्राथमिकी भी दर्ज की गयी थी. कांड के अनुसंधानकर्ता आजादी राम ने 4 अगस्त 2017 को कोर्ट में अंतिम प्रपत्र दाखिल किया और न्यायालय ने आरोप पत्र के अधार पर 16 अगस्त को संज्ञान तथा 6 सितंबर 2017 को भादवि की धारा 376 के तहत अभियुक्त पर आरोप का गठन किया था.
इस मामले में दस गवाहों की कोर्ट में गवाही हुई जिसमें पीड़िता, उसकी छोटी बहन, पिता के अलावें आईओ आजादी राम, सदर अस्पताल की महिला डाक्टर नीला सिंह, पीड़िता का 164 का बयान लेने वाले न्यायिक मजिस्ट्रेट डा राजेश सिंह समेत दस गवाह शामिल हैं.
कोर्ट ने दिये विशेष आदेश
इस मामले में विशेष न्यायाधीश ने जिला विधिक सेवा प्राधिकार को पीड़िता एवं उसके परिजन को सहायता के रूप में दिये जाने वाले सहायता के प्रावधान के तहत 8 लाख रुपये देने का आदेश दिया है. न्यायधीश ने आदेश में कहा है कि 8 लाख रुपये में 5 लाख की राशि पीड़िता के नाम से किसी राष्ट्रीय बैंक या डाकघर में 18 वर्ष की उम्र तक के लिए फिक्स्ड डिपॉजिट करने तथा 3 लाख रुपये उसके पिता को पीड़िता के शिक्षा व रहन सहन में खर्च करने के लिए दिया जाये. अपने आदेश में कहा है कि जब पीड़िता बालिग हो जायेगी तो फिक्स्ड डिपॉजिट की राशि अपनी मर्जी से खर्च कर सकेगी.