ठाकुर संग्राम सिंह
छपरा : सारण प्रमंडल के तहत आने वाले महाराजगंज लोकसभा क्षेत्र में सीधी लड़ाई एनडीए व महागठबंधन के प्रत्याशियों के बीच है. एनडीए ने एक ओर जहां निवर्तमान सांसद जनार्दन सिंह सीग्रीवाल पर दांव लगाया है, वहीं दूसरी ओर महागठबंधन ने महाराजगंज के पूर्व सांसद प्रभुनाथ सिंह के पुत्र रणधीर सिंह को चुनावी मैदान में उतारा है.
गौरतलब हो कि इस सीट से पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर, समाजवादी नेता रामबहादुर सिंह भी पूर्व में चुनाव जीत चुके हैं. यहां 12 मई को मतदान होना है. यह क्षेत्र कृषि पर निर्भर है. इस संसदीय क्षेत्र में सीवान की दो और सारण की चार विधानसभाएं शामिल हैं. 1957 में यह लोकसभा क्षेत्र बना. उस वक्त कांग्रेस के महेंद्रनाथ सिंह सांसद हुए थे.
यहां की सबसे ज्यादा आबादी राजपूतों की है. दूसरे स्थान पर भूमिहार हैं. हालांकि अन्य जातियां भी निर्णायक साबित हुई हैं. लेकिन इस क्षेत्र में राजपूत व भूमिहार का ही वर्चस्व रहा है और इन्हीं दो जातियों का इस लोकसभा क्षेत्र में जीत का परचम लहराया है. महाराजगंज सीट पर प्रभुनाथ सिंह की अच्छी पकड़ मानी जाती थी. वे यहां से 4 बार सांसद रह चुके हैं.
योगी, शाह, राजनाथ, तेजस्वी ने झोंकी ताकत
तमाम बड़े नेताओ ने अपने प्रत्याशियों को विजयी बनाने के लिए पूरी ताकत झोंक दी है. बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह, राजनाथ सिंह, पवन सिंह, मनोज तिवारी, सुशील मोदी आदि ने जनार्दन सिंह सीग्रीवाल के पक्ष में कई चुनाव सभाएं की हैं.
इनमें मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, अमित शाह, पवन सिंह तो महाराजगंज में दो-दो चुनावी सभाएं कर चुके हैं. वही महागठबंधन की ओर से तेजस्वी यादव ने भी ताबड़तोड़ सभाएं की हैं. इसके अतिरिक्त जीतन राम मांझी व उपेंद्र कुशवाहा ने भी महाराजगंज में चुनाव सभाएं की हैं.
पहली बार महाराजगंज के महासमर में नहीं हैं प्रभुनाथ
बहुत लंबे समय तक महाराजगंज लोकसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करनेवाले प्रभुनाथ सिंह 1998 के बाद पहली बार महाराजगंज लोकसभा के चुनाव मैदान में नहीं हैं.
इसलिए राष्ट्रीय जनता दल ने उनके पुत्र रणधीर को मैदान में उतारकर सहानुभूति मतों के साथ राजपूत मतदाताओं को अपनी ओर खींचने का प्रयास किया है. पूर्व सांसद प्रभुनाथ सिंह की छवि भोजपुरिया सांसद की भी रही है. मगर पूर्व विधायक अशोक सिंह के हत्याकांड में सजायाफ्ता होने के कारण वे महाराजगंज के रण से बाहर हैं. फिर भी उनके नाम पर रणधीर सीग्रीवाल के आमने-सामने हैं. प्रभुनाथ सिंह पहली बार महाराजगंज के सांसद सन 1998 में बने थे. इसके बाद उन्होंने 2009 तक महाराजगंज का प्रतिनिधित्व किया.
2009 में प्रभुनाथ सिंह को उमाशंकर सिंह ने बेहद करीबी मुकाबले में मात दी थी. उमाशंकर सिंह के निधन के बाद वर्ष 2013 में हुए उपचुनाव में प्रभुनाथ सिंह भारी मतों से जीतकर दोबारा महाराजगंज के महाराज बने थे. 2014 के मोदी लहर में भाजपा की टिकट से चुनावी मैदान में आये जनार्दन सिंह सीग्रीवाल ने प्रभुनाथ सिंह को 38,415 मतों से पराजित कर पहली बार महाराजगंज की सीट पर भाजपा का झंडा लहराया था.