बगैर कागजात के चालकों में दिखा खौफ
डोरीगंज (छपरा) : हाल ही में मोदी सरकार द्वारा लागू किये गये मोटर व्हीकल (संशोधन) अधिनियम 2019 को लेकर जहां वाहन चालकों में हड़कंप मचा हुआ है. वहीं इस नये कानून को लेकर शहर से ग्रामीण इलाकों में भी दोपहिया वाहन चालकों के चेहरे पर इस कानून के खौफ की लकीरें साफ-साफ देखने को मिल […]
डोरीगंज (छपरा) : हाल ही में मोदी सरकार द्वारा लागू किये गये मोटर व्हीकल (संशोधन) अधिनियम 2019 को लेकर जहां वाहन चालकों में हड़कंप मचा हुआ है. वहीं इस नये कानून को लेकर शहर से ग्रामीण इलाकों में भी दोपहिया वाहन चालकों के चेहरे पर इस कानून के खौफ की लकीरें साफ-साफ देखने को मिल रही हैं. तो, वहीं इन सबके बीच ग्रामीण हाट बाजारों व चौक-चौराहों पर इस कानून को लेकर लोगों कि मिली-जुली प्रतिक्रियाओं के बीच चर्चाओं का बाजार भी खासा गर्म देखा जा रहा है.
इसे लेकर कुछ लोग इसे सरकार की एक अच्छी पहल बता रहे हैं, तो कुछ इसे जनता के बीच खौफ पैदा कर सरकारी खजाने भरने का एक नया तरीका, तो वहीं कुछ लोग इसे यातायात पुलिस में भ्रष्टाचार को और बढ़ावा देने का एक नया औजार भी बताते हुए नजर आये. गुरुवार को प्रभात खबर पड़ताल के दौरान अपने मोटर वाहनों के विभिन्न दस्तावेजों को दुरुस्त कराने बीमा कंपनी कार्यालयों व पॉल्यूशन केंद्रों पर पहुंचे लोगों से जब बातचीत की, तो लोगों ने खुलकर अपने विचार रखे.
एनएच 19 शहर के पूर्वी रौजा के समीप स्थित छपरा पॉल्यूशन जांच केंद्र पर वाहनों के कागजात दुरुस्त कराने पहुंचे दर्जनों दोपहिया वाहन चालकों ने बताया कि मोटर नियम को सख्त बनाकर मोदी सरकार के परिवहन विभाग ने यातायात नियम का उल्लंघन रोकने की कोशिश तो जरूर की है. लेकिन इसे कामयाब बनाने के लिए केवल जुर्माने की राशि पांच से सौ गुना तक बढ़ा देने भर से काम नहीं चलेगा, सरकार को स्टेट वाइज डेवलपमेंट रेकाॅर्ड के साथ प्रति व्यक्ति आय स्रोतों के रिकॉर्ड को भी आधार बनाकर इस कानून को लागू करना चाहिए था.
बिहार का प्रति कैप्टा ग्रोथ अन्य विकसित राज्यों के मुकाबले अभी कॉफी पीछे है, जिसके लिए केंद्र सरकार से लगातार विशेष दर्जे की मांग भी उठायी जा रही है. बावजूद अभी तक इस पर कोई विचार नहीं हुआ. लोग इतना भारी भरकम जुर्माने की रकम कैसे चुका पायेंगे? इस पर केंद्र व राज्य सरकार को एक बार पुन: विचार करना चाहिए, तो वहीं कुछ लोग इसे जनता को संभलने का मौका दिये बगैर इसे केंद्र सरकार की शूट एंड फायर की नीति करार दिया, जिनके मुताबिक इस कानून को लागू करने से पूर्व इसे लेकर लोगों में व्यापक स्तर पर प्रचार-प्रसार किया जाना चाहिए था, जो सरकार ने नहीं किया और लागू कर भी दिया, तो कम से कम इतनी संवेदनशीलता जरूर रखना चाहिए था कि लोगों को जुर्माने का चार्ज कर उसी रकम में उन्हें हेलमेट डीएल व पॉल्यूशन जैसे विभिन्न कागजात भी सरकार मौके पर ही प्रोसेस में लेकर शीघ्र उपलब्ध कराने की व्यवस्था करती, जिससे शत प्रतिशत लोगों मे भी सुधार हो जाता.
लोगों ने बताया कि जब सरकार लोगों से इतनी बड़ी राशि जुर्माने के तौर पर पहले ही वसूल कर ले रही है, तो फिर ऐसे में लोग कहां से इतना पैसा जुटा पायेंगे कि उन सभी कागजात को दुरुस्त करवा पाये, तो वहीं कई लोग यह कहते हुए भी नजर आये कि यह सब कानून तो मानो केवल दोपहिया वाहन चालकों के लिए ही बना है.