हरि से प्रीत लगाने पर होती है अहंकार की समाप्ति
दाउदपुर(मांझी) : अभिमानी नहीं स्वाभिमानी बने, मानव जीवन में यदि जीव प्राप्त है तो जीवन को सदुपयोग करे. हरि से प्रीत लगाने से मन का अहंकार का क्षय होता है. उक्त बातें साधपुर छतर गांव में चल रहे नौ दिवसीय अभिषेकात्मक रुद्र महायज्ञ के दौरान श्रीमद भागवत कथा सुनाते हुए पवन देव जी महाराज ने […]
दाउदपुर(मांझी) : अभिमानी नहीं स्वाभिमानी बने, मानव जीवन में यदि जीव प्राप्त है तो जीवन को सदुपयोग करे. हरि से प्रीत लगाने से मन का अहंकार का क्षय होता है. उक्त बातें साधपुर छतर गांव में चल रहे नौ दिवसीय अभिषेकात्मक रुद्र महायज्ञ के दौरान श्रीमद भागवत कथा सुनाते हुए पवन देव जी महाराज ने कही. उन्होंने कहा कि सृष्टि में जब-जब मानव दानव और देवताओं को अभिमान हुआ तो ईश्वर ने अनेक रूपों में अवतरित होकर उसके घमंड को चूर किया और धर्म की स्थापना की है. चाहे इंद्र, रावण, कंश हो या नारद, हिर्णकुश, सभी का अहंकार मर्दन किया.
पृथ्वी सत्य और सच्चे संस्कार से दीर्घायु है. प्राचीन समय से ही प्रकृति कि पूजा से मानव जाति के लिए कल्याणकरी बतायी गयी है. प्रकृति पर जब आपदा आती है तो चारों तरफ त्राहिमाम होने लगा. तब भगवान कभी शिव, श्रीराम, श्रीकृष्ण आदि अनेकों स्वरूपो में अवतार लेकर उद्दार किया है. सच्चे धर्म और कर्म से ही मानव जीवन की सफल जीवन है.