नगर प्रशासन की उदासीनता से वाटर ट्रीटमेंट प्लांट ने खाेया अपना अस्तित्व

छपरा (सदर) : नामामि गंगे योजना के तहत छपरा नगर निगम की लगभग ढाई लाख की आबादी को जलजमाव व गंदगी से निजात दिलाने के लिए सिवरेज ट्रीटमेंट प्लांट लगाने की योजना पर जापानी तकनीक की तोसिबा कंपनी से वुडको ने निर्माण के लिए करार कर लिया है. इस पर 236 करोड़ रुपये खर्च होने […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | February 19, 2020 1:35 AM

छपरा (सदर) : नामामि गंगे योजना के तहत छपरा नगर निगम की लगभग ढाई लाख की आबादी को जलजमाव व गंदगी से निजात दिलाने के लिए सिवरेज ट्रीटमेंट प्लांट लगाने की योजना पर जापानी तकनीक की तोसिबा कंपनी से वुडको ने निर्माण के लिए करार कर लिया है. इस पर 236 करोड़ रुपये खर्च होने है.

इससे शहरवासियों को एक ओर शहर में जलजमाव व गंदगी से निजात मिलने की उम्मीद जगी है. वहीं 40 वर्ष पूर्व शहर में गंदगी से निजात दिलाने के लिये गंगा स्वच्छता अभियान के तहत विश्वास बोर्ड द्वारा शहर के रूपगंज मुहल्ले करोड़ो रुपये की लागत से वाटर ट्रीटमेंट प्लांट लगाया गया था.
परंतु कुछ ही दिन बाद नगर प्रशासन की उदासीनता के कारण जहां वाटर ट्रीटमेंट प्लांट अधूरा हो गया. वहीं इस ट्रीटमेंट प्लांट के लगाने में खर्च हुई करोड़ो रुपये की राशि बर्बाद हो गयी. अब वाटर ट्रीटमेंट प्लांट पूरी तरह जहां विरान हो गया है. वहीं उसके जमीन पर आस-पास के लोगों ने जहां कब्जा जमा लिया है.
वहीं लाखों की मशीने देखरेख के अभाव में सड़ रही है. परंतु उसे विकसित करने की दिशा में किसी जनप्रतिनिधि व पदाधिकारी ने नहीं सोची. फलत: आम जनों में इस बात को लेकर चर्चाऐं है कि क्या प्रस्तावित वाटर ट्रीटमेंट प्लांट के साथ भी सरकार महकमा ऐसी ही करेगा.
खनुआ नाला पर रूपगंज में सात दशक पूर्व बना फाटक
छपरा शहर के विभिन्न घरों से निकलने वाले गंदे जल को नाली के माध्यम से लाकर इस केवाड़े के माध्यम से जहां गर्मी के दिन में फसलों की सिंचाई होती थी. वहीं वर्षात के दिन में घाघड़ा नदी में बाढ़ आने के बाद केवाड़ा का खोल दिया जाता था. जिससे खनुआ नाले के माध्यम से पानी शहर के उतर चला जाता था. परंतु प्रशासनिक उदासीनता के कारण यह केवाड़ा भी बेकार हो चुका है.
ऐसी स्थिति में लोगों के मन में एक ओर जहां शहर के विकास की उम्मीद जगी है वहीं दूसरी ओर प्रशासनिक कार्यशैली को लेकर भी आशंकाएं हैं. ऐसी स्थिति में देखना है कि नमामि गंगे योजना के तहत दो साल में पूरी होने वाली 236 करोड़ के सिवरेज ट्रीटमेंट प्लांट के निर्माण एवं रखरखाव पर प्रशासन कितना खड़ा उतरता है.
करार के दौरान निर्माण करने वाली कंपनी को पंद्रह वर्षों सिवरेज ट्रीटमेंट प्लांट की देखरेख करने का भी दायित्व दिया गया है.

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