गणित के बदले म्यूजिक व विज्ञान के बदले होम साइंस का मिला प्रश्नपत्र

छपरा (सदर) : बिहार विद्यालय परीक्षा समिति की मैट्रिक बोर्ड परीक्षा 2020 में शामिल होने वाली कई छात्राओं को विद्यालय या बोर्ड की गलती से प्रवेशपत्र में दृष्टिहीन छात्रा की सूची में रख दिया गया, जबकि संबंधित छात्राएं दृष्टिहीन नहीं हैं. पूरी तरह से स्वस्थ छात्राओं को दृष्टिहीन छात्रा की सूची में डाले जाने के […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | February 19, 2020 1:39 AM

छपरा (सदर) : बिहार विद्यालय परीक्षा समिति की मैट्रिक बोर्ड परीक्षा 2020 में शामिल होने वाली कई छात्राओं को विद्यालय या बोर्ड की गलती से प्रवेशपत्र में दृष्टिहीन छात्रा की सूची में रख दिया गया, जबकि संबंधित छात्राएं दृष्टिहीन नहीं हैं.

पूरी तरह से स्वस्थ छात्राओं को दृष्टिहीन छात्रा की सूची में डाले जाने के बाद बोर्ड के निर्देशानुसार विज्ञान विषय की दृष्टिहीन छात्रा को गृह विज्ञान व गणित विषय की छात्रा को म्यूजिक की परीक्षा प्रथम पाली में देने का निर्देश बोर्ड ने दिया था. ग्रामीण परिवेश से आने वाली ये छात्राएं उच्च विद्यालय लहलादपुर व एमडी उच्च विद्यालय कन्हौली की है. इनके एडमिट कार्ड पर दृष्टिहीन छात्रा की सूची में रखे जाने से परेशान अभिभावक समय रहते सुधार नहीं करा पाये.
इसके बाद परीक्षार्थी जब संबंधित परीक्षा केंद्र पर गये तो, उन्हें प्राकृतिक विज्ञान के बदले होम साइंस का प्रश्नपत्र केंद्राधीक्षक ने बोर्ड के निर्देश के आलोक में प्रथम पाली में उपलब्ध कराया. इसी प्रकार दूसरे दिन गणित विषय में इन छात्राओं को प्रथम पाली में म्यूजिक का प्रश्नपत्र दिया गया. इनमें तीन छात्राएं उच्च विद्यालय लहलादपुर, दो छात्राएं एमडी उच्च विद्यालय कन्हौली की है.
परीक्षा के बाद परीक्षार्थी खुशी कुमारी, मुन्नी कुमारी आदि ने कहा कि विज्ञान और गणित विषय की तैयारी की गयी थी. साथ ही परीक्षा का फॉर्म भी गणित और विज्ञान विषय के लिए भरा गया था. परंतु, विद्यालय स्तर, विद्यार्थी के स्तर या बोर्ड के स्तर से गलती के वजह से जब उन्हें एक-एक होम साइंस व म्यूजिक विषय के प्रश्नपत्र मिले तो उनके चेहरे पर हवाइयां उड़ने लगीं. संबंधित छात्राओं का कहना था कि उनकी परीक्षा विद्यालय प्रशासन व बोर्ड की गलती के कारण खराब हो गया.
इस संबंध में पूछे जाने पर डीइओ अजय कुमार सिंह ने कहा कि विद्यालय व संबंधित परीक्षार्थियों की लापरवाही के कारण ही सामान्य छात्र-छात्राओं को दृष्टिहीन परीक्षार्थी की श्रेणी में शामिल हो गया है. बोर्ड के द्वारा जब विद्यार्थी के डमी एडमिट कार्ड को जांच करने के लिए मौका दिया गया तो न तो विद्यालय प्रशासन और न परीक्षार्थी ने ध्यान दिया.

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