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2.23 लाख जॉब कार्डधारी मनरेगा मजदूरों ने तीन वर्षों में एक दिन भी नहीं मांगा काम

केंद्र प्रायोजित मनरेगा योजना के तहत जिले में 44 फीसदी मजदूर जॉब कार्ड होने के बावजूद काम नहीं करते हैं. सारण में चालू वित्तीय वर्ष 23-24 में कुल पांच लाख 20 हजार 522 जॉब कार्ड धारी मजदूरों में से महज दो लाख 97 हजार 551 मजदूरों द्वारा ही काम किया गया है. जिले में 2 लाख 23 हजार जॉब कार्ड धारी मजदूर काम नहीं खोजते.

छपरा (सदर). केंद्र प्रायोजित मनरेगा योजना के तहत जिले में कार्डधारी मजदूरों में से 44 फीसदी मजदूर जॉब कार्ड होने के बावजूद काम नहीं करते हैं. भले ही मनरेगा के माध्यम से इन अकुशल मजदूरों को हर वर्ष कम से कम 100 दिन काम दिलाने के उद्देश्य से जॉब कार्ड बनाया गया है. वहीं, इच्छुक मजदूरों को काम दिया भी जाता है, जिससे मनरेगा की योजनाओं का क्रियान्वयन लक्ष्य के अनुरूप हो सके. सारण में चालू वित्तीय वर्ष 23-24 में कुल पांच लाख 20 हजार 522 जॉब कार्ड धारी मजदूरों में से महज दो लाख 97 हजार 551 मजदूरों द्वारा ही काम किया गया है. हालांकि इनमें 54 फीसदी महिला मजदूर, तो 30 फीसदी अनुसूचित जाति/जनजाति के मजदूरों को भी काम देने का दावा जिला कार्यक्रम पदाधिकारी मनरेगा कुंदन कुमार करते हैं. मनरेगा के तहत चालू वित्तीय वर्ष में 79 लाख मानव दिवस सृजित करने का लक्ष्य था, जिसके विरुद्ध 75 लाख 67 हजार 710 मानव दिवस सृजन मनरेगा द्वारा किया गया है. डीपीओ के अनुसार मनरेगा के तहत पूरे भारत में 266 तरह के कार्य कराये जाते हैं, जिनमें मिट्टीकरण, ईंट्टीकरण के अलावा क्षेत्र के अनुसार अलग-अलग कार्यों को कराया जाता है. चालू वित्तीय वर्ष में मनरेगा के तहत 76 आंगनबाड़ी केंद्रों के निर्माण, 12 स्कूलों की चहारदीवारी निर्माण के अलावा पहली बार जलालपुर के कुमना में मनरेगा के तहत ग्रामीण हाट बाजार का निर्माण कर ग्रामीण विक्रेताओं को सुसज्जित मंडी उपलब्ध करायी गयी, जिसका उद्घाटन डीएम एवं डीडीसी की उपस्थिति में किया गया था. वहीं, नये वित्तीय वर्ष में भी मनरेगा के तहत अन्य ग्रामीण क्षेत्रों में जहां जमीन उपलब्ध होगी, वहां ग्रामीण हाट बाजार, खेल मैदान, पार्क आदि का निर्माण कार्य भी मनरेगा के तहत कराया जायेगा. मनरेगा के प्रावधानों के तहत वैसे अकुशल या अर्धकुशल मजदूर जिन्हें मनरेगा में काम करने के लिए जॉब कार्ड तो बना है, परंतु तीन वर्षों तक उनके द्वारा एक दिन भी काम नहीं किया गया तो उन्हें निष्क्रिय मजदूर माना जाता है. बिहार में मनरेगा के तहत मजदूरी 228 रुपये प्रति कार्य दिवस निर्धारित है. हालांकि वित्तीय वर्ष 24-25 के लिए 17 प्रति कार्य दिवस मजदूरी बढ़ायी गयी है. इस प्रकार नये वित्तीय वर्ष में मनरेगा मजदूरों की मजदूरी 245 रुपये प्रति कार्य दिवस हो जायेगी. हालांकि मनरेगा में मजदूरी बाजार दर से काफी कम होने के कारण भी जॉब कार्ड होने के बावजूद मजदूर मनरेगा के कार्य को नहीं कर खुले बाजार में अपने श्रम को बेचकर दोगुने पैसे कमाते हैं. इस कारण भी जिले में 2 लाख 23 हजार जॉब कार्ड धारी मजदूर काम नहीं खोजते. हालांकि मनरेगा में पुरुषों एवं महिला मजदूरों की कार्य क्षमता के अनुसार कार्य भी निर्धारित कर दिये गये हैं. इसमें पुरुष मजदूरों को एक दिन में 65 घन फुट काटना है. जबकि, महिला मजदूरों को 57 घन फुट. यदि वे एक दिन में इससे कम मिट्टी काटते हैं, तो उनकी मजदूरी में समानुपातिक कटौती का भी प्रावधान है.

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