चांद दिखा, रोजा आज से

।। नदीम अहमद ।। छपरा : बुधवार को रमजान का चांद देखे जाने के साथ ही मुसलमानों में मुसर्रत व जश्न का माहौल फैल गया. लोग चांद देखने की खास दुआ पढ़ने के साथ ही गुरुवार से रोजे रखने की तैयारी में मशगूल हो गये. इसी के साथ घरों व मुहल्लों की जहां रौनक बढ़ […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 10, 2013 11:19 PM

।। नदीम अहमद ।।

छपरा : बुधवार को रमजान का चांद देखे जाने के साथ ही मुसलमानों में मुसर्रत जश्न का माहौल फैल गया. लोग चांद देखने की खास दुआ पढ़ने के साथ ही गुरुवार से रोजे रखने की तैयारी में मशगूल हो गये. इसी के साथ घरों मुहल्लों की जहां रौनक बढ़ गयी, वहीं बाजारों की चहलपहल में इजाफा हो गया.


* पूरा
कुरआन सुनाया जायेगा

रमजान का चांद दिखने के बाद सभी मसजिदों से जहां गुरुवार से रोजे रखे जाने का एलान हुआ, वहीं नमाजतरावीह के समय की घोषणाएं भी की गयी. बाद नमाजइशा तरावीह का आयोजन किया गया. इसके तहत 20 रेकत नमाज अदा हुई. वहीं, हुफ्फाज ने नमाज के दौरान कुरआन की तिलावत शुरू की. इस क्रम में पूरा कुरान सुनाया सुना जायेगा. यह सिलसिला पूरे 30 दिन ईद का चांद होने के पहले तक चलेगा.


* रहमत
बरकत की बारिश

इसलामी साल का आठवां महीना रमजान शरीफ सर्वाधिक अहमियत का महीना है. इसमें अल्लाह की ओर से रहमतों बरकतों की बारिश अपने इबादत गुजार बंदों पर की जाती है. रोजेदार की एक इबादत का 70 गुणा सवाब मिलता है. अल्लाह की जानिब से रहमत मगफेरत आम हो जाती है.

जन्नत के दरवाजे खुल जाते हैं जहन्नुम के दरवाजे को बंद कर शैतान को कैद कर दिया जाता है. इस माह को पैगंबर हजरत मुहम्मद ने अपना पसंदीदा बताया. इसलाम में इसकी अहमियत इस वजह से भी है कि कुरआन मजीद इसी माह में नाजिल हुआ. वहीं रमजान के रोजे की अहमियत इबादत के तौर पर जहां अपनी जगह कायम है, वहीं इसके व्यापक सामाजिक वैज्ञानिक लाभ भी है. इस माह में जकात फितरे देने का हुक्म है. इससे समाज के निर्धन लोगों की जहां सहायता होती है, वहीं आर्थिक विषमता दूर होती है.

रोजेदार को भूख का एहसास होता है तो वह मिस्कीन लाचारों की मदद को प्रोत्साहित होते हैं. वहीं, चिकित्सकों वैज्ञानिकों ने भी माना है कि निश्चित अंतराल तक भूखे रहने से सहन शक्ति, एकाग्रता, इंद्रियों पर काबू में इजाफा होता है.

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