ग्रीटिंग्स कार्ड की गिरी साख, अब वाट्सएप का जमाना

दिघवारा : 2014 समाप्ति की ओर अग्रसर है एवं 2015 आने की दहलीज पर खड़ा है. बावजूद इसके नववर्ष की शुभकामना देने के लिए प्रयोग में आनेवाले ग्रीटिंग्स कार्ड की बिक्री रफ्तार नहीं पकड़ सकी है. ऐसा लगता है अब ग्रीटिंग्स का जमाना लद गया. युवा आज वाट्स एप के दीवाने हैं. आधुनिकता की मार […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 31, 2014 8:10 AM
दिघवारा : 2014 समाप्ति की ओर अग्रसर है एवं 2015 आने की दहलीज पर खड़ा है. बावजूद इसके नववर्ष की शुभकामना देने के लिए प्रयोग में आनेवाले ग्रीटिंग्स कार्ड की बिक्री रफ्तार नहीं पकड़ सकी है. ऐसा लगता है अब ग्रीटिंग्स का जमाना लद गया. युवा आज वाट्स एप के दीवाने हैं. आधुनिकता की मार से दिन-प्रतिदिन ग्रीटिंग्स कार्ड का बाजार सिमटता जा रहा है.
कुछ साल पूर्व जहां दिसंबर की शुरुआत होने के साथ ही चौक -चौराहे समेत किताब दुकानों के अलावा सौंदर्य प्रसाधन सामग्री की बिक्री वाली दुकानों पर रंग-बिरंगी ग्रीटिंग्स सजनी शुरू हो जाती थी. वहीं, इस वर्ष दिघवारा व शीतलपुर आदि बाजारों में कुछ दुकानों पर ही ग्रीटिंग्स नजर आ रही है. जिन दुकानों पर कार्ड उपलब्ध है, वहां के दुकानदार प्रतिदिन ग्राहकों का इंतजार करते नजर आते हैं.
दुकानों की संख्या में खूब आयी कमी : कुछ वर्ष पूर्व शंकरपुर रोड समेत मुख्य बाजार की सैकड़ों दुकानों में ग्रीटिंग्स कार्ड सजते थे. इन दुकानों पर कई प्रकार के ग्रीटिंग्स के अलावा म्यूजिकल ग्रीटिंग्स कार्ड भी उपलब्ध रहते हैं. दुकानों पर खरीदारों की भीड़ उमड़ती थी. मगर, इस वर्ष दुकानों की संख्या में तेजी से गिरावट आयी है. दुकानदारों का कहना है कि अब कार्ड के खरीदार नहीं रहे, तो कौन पूंजी लगा कर रिस्क लेगा?
सोशल मीडिया ने चौपट किया ग्रीटिंग्स व्यापार : पहले ग्रीटिंग्स कार्ड की बिक्री को मोबाइल के एसएमएस ने बाधित किया. लोगों ने कार्ड भेजने की जगह एसएमएस भेजना शुरू किया. वहीं, अब इंटरनेट की सोशल साइटों से भी लोग एडवांस में अपने लोगों को विश करते हैं. फेसबुक व व्हाट्स अप एवं ट्विटर पर लोग आकर्षक चित्रों के साथ संवाद भेज कर हर किसी को विश करना नहीं भूलते. फिर भला ग्रीटिंग्स कार्ड भेज कर कौन पहुंचने का रिस्क लें? अब तो लोग सोशल साइटों का इतना प्रयोग करने लगे हैं, मानों जल्द ही ग्रीटिंग्स कार्ड इतिहास बन जायेगा.
डाक विभाग की आमदनी घटी : पहले जब ग्रीटिंग्स का प्रचलन परवान पर था, तब दिसंबर व जनवरी में डाक विभाग को खूब आमदनी होती थी. मगर, अब डाकघर के प्रतिदिन के निर्गत व प्राप्त डाक में इक्के-दुक्के ही ग्रीटिंग्स कार्ड नजर आते हैं.
कार्ड भेजने में टीन एजर्स व युवा वर्ग ही कुछ रुचि ले रहे हैं.
बहरहाल, यही कहा जा सकता है कि आधुनिकता की मार के साथ अब न तो ग्रीटिंग्स कार्ड का बाजार रहा और ना ही उतने खरीदार रहे.

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