घोषणाओं पर अब तक नहीं हुआ अमल
मोरवा : हलई ओपी क्ष़ेत्र का इन्द्रवारा पंचायत, नून नदी के तट पर बना बड़ा ही रमणीय आश्रम. यह है निषादों की धर्मस्थली बाबा केवल स्थान. बखान सुन कर तत्कालीन मुख्यमंत्री नीतीश कुमार स्वयं पहुंचे थे. मार्च 2010 का वह महीना था जब मुख्यमंत्री ने इसे राजकीय मेला घोषित कर दिया. विवाह भवन, दो मंजिला […]
मोरवा : हलई ओपी क्ष़ेत्र का इन्द्रवारा पंचायत, नून नदी के तट पर बना बड़ा ही रमणीय आश्रम. यह है निषादों की धर्मस्थली बाबा केवल स्थान. बखान सुन कर तत्कालीन मुख्यमंत्री नीतीश कुमार स्वयं पहुंचे थे. मार्च 2010 का वह महीना था जब मुख्यमंत्री ने इसे राजकीय मेला घोषित कर दिया.
विवाह भवन, दो मंजिला सामुदायिक भवन, बिजली सुविधा, पेयजल, शौचालय, अस्पताल जैसी बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध करने का वादा कर गये. श्रद्धालुओं को जैसी मन की मुरादें पूरी हो गयी. राजकीय मेले की घोषणा के बाद यहां देश भर से लोगों का आना शुरू हो गया.
आज आलम यह है कि रामनवमी के चार रोज पहले से लेकर चार दिन बाद तक भक्तों का तांता लगा रहता है. एक लाख से ज्यादा लोग इस स्थल पर पहुंचते हैं. दस हजार से ज्यादा बकरे की बलि दी जाती है. इतना सब कुछ होता है, लेकिन सब राम भरोसे क्योंकि पांच साल बीत जाने के बाद भी घोषणाओं पर अमल नहीं हुआ. न पानी टंकी बना और न ही बिजली जली. पेयजल के लिए नून नदी और शौचालय के लिए दरबा चौर सर्वाधिक उपयुक्त जगह साबित हो रहा है.
चार दिनों का राजकीय मेला तो लगता है लेकिन सरकारी सुविधा नदारद दिखती है. मोरवा, सरायरंजन व मोहिउद्दीननगर के मुहाने पर बनी यह धर्मस्थली कई मूलभूत जरूरतों के लिए जूझ रहा है. सारा प्रबंधन मेला कमेटी व ग्राम पंचायत के भरोसे चलता है. लोगों को घोषणाएं अब छलावा लगने लगा है. जब मेले की तैयारी शुरू होती है तो प्रशासन भी हरकत में आता है लेकिन रिजल्ट वही मिलता है. जल्दबाजी में कोई व्यवस्था सही नहीं हो पाती है. जिसका खामियाजा उन श्रद्धालुओं को भोगना पड़ता है, जो दूरदराज से राजकीय मेले की शोभा बढ़ाने यहां आते हैं.