अभिभावकों में नहीं जग रहा है विश्वास!

छपरा (नगर) : मशरक के गंडामन नवसृजित प्राथमिक विद्यालय में मिड डे मिल खाने से 23 बच्चों की मौत से सहमे विभिन्न स्कूलों के एचएम तथा बच्चों के अभिभावक मिड डे मील के संचालन पर रोक लगाने के साथ ही वैकल्पिक व्यवस्था करने की मांग करने लगे हैं. स्थिति यह है कि घटना के बाद […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 24, 2013 12:12 AM

छपरा (नगर) : मशरक के गंडामन नवसृजित प्राथमिक विद्यालय में मिड डे मिल खाने से 23 बच्चों की मौत से सहमे विभिन्न स्कूलों के एचएम तथा बच्चों के अभिभावक मिड डे मील के संचालन पर रोक लगाने के साथ ही वैकल्पिक व्यवस्था करने की मांग करने लगे हैं.

स्थिति यह है कि घटना के बाद से ही अधिकतर स्कूलों में भोजन बनना बंद है. उधर, विभागीय दबाव से बचने के लिए विभिन्न स्कूलों के एचएम द्वारा शिक्षा समिति अभिभावकों के साथ बैठक कर मिड डे मील के संचालन पर रोक संबंधी सामूहिक निर्णय लेकर इसकी सूचना वरीय अधिकारी को भेज रहे हैं.

इस क्रम में सदर प्रखंड के प्राथमिक विद्यालय के एचएम संजय कुमार ने कहा कि अभिभावक किसी भी हाल में भोजन नहीं बनाने का फरमान जारी कर चुके हैं. ऐसे में अभिभावकों के निर्णय के विरुद्ध जाना संभव नहीं है. वहीं, नगर प्रखंड के उर्दू प्राथमिक विद्यालय, बलडीहां के एचएम तौकीर उस्मान अंसारी ने कहा कि उनके यहां भी अभिभावकों के निर्णय के आलोक में मिड डे मील बंद है. कमोबेश यही स्थिति प्राथमिक विद्यालय, श्यामचक, प्रा. विद्यालय, सलेमपुर समेत जिले के अधिकतर स्कूलों की है.

* बेअसर साबित हो रही है अपील

विभागीय सूत्रों की मानें, तो जिले के एक तिहाई से भी कम विद्यालयों में इन दिनों मिड डे मील बन रहा है. शिक्षा विभाग के प्रधान सचिव द्वारा अखबारों के माध्यम से जिले के स्कूलों का नियमित संचालन तथा अभिभावकों के साथ बैठक कर मिड डे मील का संचालन की अपील भी जिले के स्कूलों में बेअसर साबित हो रहा है.

उधर, जिन स्कूलों में भोजन बन रहा है, वहां छात्रों की उपस्थिति आधे से भी कम रह रही है. वहीं, वहां के एचएम पढ़ाई छोड़ हर पल किसी अनहोनी की आशंका से आक्रांत दिख रहे हैं.

* ठंडे पड़े हैं कई स्कूलों के चूल्हे

जिले के कुल 2510 प्राथमिक मिडिल स्कूलों में से पूर्व में मात्र 2417 स्कूलों में मिड डे मील का संचालन होता था. हालांकि मशरक की घटना के बाद जहां कुछ दिनों तक जिले के स्कूलों में मिड डे मिल संचालन शतप्रतिशत बंद रहा.

वहीं, घटना के एक सप्ताह बाद भी जिले के एकतिहाई से कम स्कूलों में ही भोजन बनने की सूचना है. शेष स्कूलों के चूल्हे ठंडे पड़े हुए हैं. वहीं, भोजन बनानेवाली रसोइया भी काम नहीं होने के कारण चावल चुनतीं, तो कहीं शिक्षकों को पानी पिलाते नजर रही हैं

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