निर्माण कंपनी के बेस कैंप में घुसा बाढ़ का पानी
* आरा–छपरा पुल निर्माण कार्य हुआ बाधित, नहीं दिख रहा कहीं बचाव व राहत कार्य छपरा : प्रशासनिक तंत्र की लापरवाही का इससे बड़ा शायद उदाहरण ना मिले कि सारण के इलाकों में तबाही मचनेवाली है, लोग बेघर होने को हैं, त्राहिमाम की स्थिति है और कहीं बचाव कार्य देखने को नहीं मिल रहा है. […]
* आरा–छपरा पुल निर्माण कार्य हुआ बाधित, नहीं दिख रहा कहीं बचाव व राहत कार्य
छपरा : प्रशासनिक तंत्र की लापरवाही का इससे बड़ा शायद उदाहरण ना मिले कि सारण के इलाकों में तबाही मचनेवाली है, लोग बेघर होने को हैं, त्राहिमाम की स्थिति है और कहीं बचाव कार्य देखने को नहीं मिल रहा है. वहीं न ही बाढ़ग्रस्त इलाकों में राहत कार्य देखने को मिल रहा है. सोन ने तो तबाही का किवाड़ ही खोल दिया है और सोमवार को एक लाख, 83 हजार क्यूसेक पानी छोड़ने के बाद मंगलवार को दूसरे दिन ही 96 हजार क्यूसेक पानी और उड़ेल दिया.
पहले से ही उफनाई गंगा में यह पानी मिलने से नदी का रूप और रौद्र हो गया तथा सोन, गंगा व सरयू का जल सम्मिलित रूप से नदी का तट पार कर समीपवर्ती इलाकों में प्रवेश कर गया है. आशंका जतायी जा रही है कि सोन में पानी अधिक होने के कारण आगे भी वह अपना पानी छोड़ेगा, जिसकी तबाही को रोकने में काफी मशक्कत करनी पड़ेगी.
इधर, छपरा–आरा पुल निर्माण कर रही कंपनी के बेस कैंप में पानी प्रवेश कर जाने के कारण निर्माण कार्य बाधित हो गया है और कैंप के अधिकारी व मजदूर भय से आतुर हो उठे हैं. प्राप्त जानकारी के अनुसार, इंद्रपुरी बराज से मंगलवार को सोन नदी ने एक लाख, 83 हजार क्यूसेक पानी छोड़ने के तुरंत बाद दूसरे दिन पुन: 96 हजार क्यूसेक पानी छोड़ दिया. इससे सारण के इलाकों में बाढ़ का पानी पसरना शुरू हो गया है.
छपरा सदर प्रखंड की कोटवा पट्टीरामपुर, रायपुर बिंदगांवां व बड़हरा महाजी पंचायतों की दर्जनों गांवों में पानी प्रवेश कर चुका है और लोग चौकी आदि रख कर उस पर अपनी दिनचर्या के कार्य निष्पादित कर रहे हैं. इससे भी भयावह स्थिति मुस्सेपुर पंचायत के मेहला टोला की है, जिसका एनएच से संपर्क पूरी तरह भंग हो चुका है और गांव के साथ–साथ इससे जुड़ी सड़क भी बाढ़ की चपेट में आ चुकी है.
डोरीगंज श्मशान घाट पर पानी भर जाने के कारण यह चिरांद तिवारी घाट पर स्थानांतरित हो गया है. एनएच-19 के फोरलेन के रूप में तब्दील हो जाने के बाद इस बार बाढ़ का वीभत्स चेहरा सामने आनेवाला है क्योंकि बाढ़ के बाद जो पानी पहले एनएच पर आकर चंवरों में चला जाता था वह अब एनएच के इस पार के गांवों में ही पसर रहा है. फोरलेन की ऊंचाई काफी बढ़ जाने के कारण इसने बांध का रूप ले लिया है जबकि इस पर प्रस्तावित पुल अभी निर्माणाधीन है.
लिहाजा, पानी निकल पाना मुश्किल हो गया है. बाढ़ के पूर्व खनुआ नाला समेत अन्य छोटे–बड़े नालों की सफाई नहीं हो पाने के कारण भी बाढ़ का पानी गांवों में ही फैल रहा है. उधर, रिविलगंज की प्रभुनाथनगर व सिताबदियारा पंचायतों के कई गांव में भी बाढ़ का पानी घुसने की सूचना है.