क्षमता को नजरअंदाज करने से होती है कुव्यवस्था
छपरा (सदर) : परीक्षा आयोजन के लिए केंद्र बनाने के दौरान संबंधित संस्थान के बुनियादी ढांचे की क्षमता को नजर अंदाज कर कुछ केंद्रों पर क्षमता से ज्यादा परीक्षार्थी देने का ही परिणाम है पारस कौशल डिग्री केंद्र पर बीपीएससी की परीक्षा के दौरान परीक्षार्थियों के द्वारा हंगामा. कुछ केंद्राधीक्षकों द्वारा अपनी क्षमता से ज्यादा […]
छपरा (सदर) : परीक्षा आयोजन के लिए केंद्र बनाने के दौरान संबंधित संस्थान के बुनियादी ढांचे की क्षमता को नजर अंदाज कर कुछ केंद्रों पर क्षमता से ज्यादा परीक्षार्थी देने का ही परिणाम है पारस कौशल डिग्री केंद्र पर बीपीएससी की परीक्षा के दौरान परीक्षार्थियों के द्वारा हंगामा.
कुछ केंद्राधीक्षकों द्वारा अपनी क्षमता से ज्यादा परीक्षार्थी लेने के लिए बोर्ड, इंटरमीडिएट व विश्वविद्यालय की परीक्षा की कौन कहे बीपीएससी की प्रतियोगी परीक्षा में भी कथित तौर पर नजायज फायदे के लिए मानकों को तोड़ने में कोताही नहीं बरती जा रही है. वहीं इन केंद्रों पर क्षमता से ज्यादा परीक्षार्थी देने में कमोवेश संबंधित पदाधिकारी भी प्रतिकूल परिस्थितियों की आशंका को बिना भांपे क्षमता से ज्यादा परीक्षार्थी दे देते हैं.
पारस कौशल डिग्री कॉलेज केंद्र पर भी क्षमता से ज्यादा परीक्षार्थी दिये जाने के कारण ही केंद्र पर टेंट के नीचे परीक्षा लेने तथा एक बेंच पर तीन-तीन परीक्षार्थी को बैठाने की नौबत आयी. शहर के पर्याप्त बुनियादी ढांचे वाले केंद्रों पर इस केंद्र से कम परीक्षार्थी दिया गया था. जहां, परीक्षार्थी एक बेंच पर दो से ज्यादा नहीं बैठाये गये थे. जिनमें जिला स्कूल छपरा, सारण एकेडमी छपरा के अलावा दर्जनों विद्यालय हैं. आखिर इन सरकारी संस्थाओं में पर्याप्त बुनियादी ढांचे के बावजूद प्रशासन कम परीक्षार्थी देकर ऐसे निजी संस्थानों में ज्यादा परीक्षार्थी क्यों देता है. जिससे मौसम के मिजाज बदलने पर केंद्र पर अफरा-तफरी रहती है.
वहीं, इन शिक्षण संस्थानों के केंद्राधीक्षक को पूर्व में मध्यमा परीक्षा के दौरान मानकों को तोड़ कर 97 उत्तरपुस्तिकाएं बाहर लिखाये जाने के आरोप में डीएम दीपक आनंद ने केंद्राधीक्षक को जेल भेज दिया था तथा प्राथमिकी भी दर्ज की थी. ऐसी स्थिति में ऐसे संस्थानों को प्रशासन क्यों केंद्र बनाता है, जहां मानकों को तोड़ कर परीक्षा लेने की बू आती है. रविवार को हुई बीपीएससी की परीक्षा में भी एक बेंच पर तीन-तीन परीक्षार्थी को बैठाने तथा केंद्र प्रशासन की कुव्यवस्था के कारण ही इस केंद्र पर कुछ परीक्षार्थियों ने इलेक्ट्रॉनिक गजट का उपयोग किया.