आज भी भूकंप को याद करके सिहर उठती हैं श्यामपरी देवी

दिघवारा : पिछले 25 अप्रैल से आ रहे भूकंप के झटकों के बाद हर कोई दहशत में है. जिन लोगों ने अपने जीवन में पहली बार भूकंप के झटकों को महसूस किया है. वे लोग आज भी डरे – सहमे हैं. मगर प्रखंड अधीन क्षेत्रों में अब भी कई बुजुर्ग हैं, जो उम्र के बढ़ते […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | April 28, 2015 12:38 AM
दिघवारा : पिछले 25 अप्रैल से आ रहे भूकंप के झटकों के बाद हर कोई दहशत में है. जिन लोगों ने अपने जीवन में पहली बार भूकंप के झटकों को महसूस किया है. वे लोग आज भी डरे – सहमे हैं. मगर प्रखंड अधीन क्षेत्रों में अब भी कई बुजुर्ग हैं, जो उम्र के बढ़ते पड़ावों के बीच हिम्मत का दामन थामे हैं.
ऐसे लोगों ने अपने जीवनकाल में 1934 ई. के भयावह भूकंप को भी ङोला है. नगर के पूर्वी रेलवे ढाला निवासी व रामजंगल सिंह इंटर कॉलेज के सचिव अशोक कुमार सिंह की 95 वर्षीया मां श्यामपरी कुंअर आज भी अपने बेटा – पोता के बीच भूकंप की यादों को ताजा करती हैं. सोमवार को ‘प्रभात खबर’ के साथ बातचीत में उन्होंने कहा कि वह भूकंप के समय लगभग 14 वर्ष की थी. वर्ष 1934 में जिस समय भूकंप आया था, वह अपनी चचेरी बहन कौशल्या को गोद में ली हुई थी. पटना के लगा कछुआरा गांव में तबाही आयी थी.
भूकंप के झटकों के डर के कारण लोगों ने खेतों में शरण ले रखा था, कोई घर में लौटना नहीं चाह रहा था. चाचा हीर सिंह व मधुसूदन सिंह हिम्मत से रहने की बात कह रहे थे. बहन लालपरी डर से कांप रही थी. ऐसा लगा था मानों लोगों पर कहर टूटा हो. गांव में लोग मुजफ्फरपुर व दरभंगा महाराज से लेकर पूर्णिया व चंपारण की तबाही की चर्चा खूब कर रहे थे. बातचीत में श्यामपरी ने कहा कि लोग अफवाह से बचे व हिम्मत से काम लें इसी से भूकंप से निबटा जा सकता है.
1934 ई. का भूकंप
भूकंप की तिथि – 15 जनवरी, 1934
मौतों की संख्या— लगभग 10,600
तीव्रता- रिक्टर स्केल पर 8.2
गहराई- 33 किमी
जिन क्षेत्रों पर असर पड़ा -भारत व नेपाल
जिस क्षेत्र में दिखा ज्यादा असर- उत्तरी बिहार
इन जगहों पर हुआ खूब नुकसान- मुंगेर, मुजफ्फरपुर, पूर्णिया, चंपारण, पटना, सीतामढ़ी, दरभंगा, नौलखा पैलेस
बिहार में मृतकों की संख्या- 7263
भूकंप का समय- दोपहर 2.13 बजे

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