क्षति किसी की, मुआवजा किसी को

अपने भाग्य को कोस रहे मुआवजे का दावा करने से वंचित किसान छपरा (सदर) : सरकार द्वारा मार्च व अप्रैल में भारी बारिश, ओला वृष्टि एवं आंधी के कारण फसल क्षति का सर्वे कर मुआवजा भुगतान करने की प्रक्रिया शुरू कर दी गयी है. इस कार्य में प्रशासनिक पदाधिकारी व कर्मचारी दिन-रात लगे हुए हैं. […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | May 8, 2015 7:55 AM
अपने भाग्य को कोस रहे मुआवजे का दावा करने से वंचित किसान
छपरा (सदर) : सरकार द्वारा मार्च व अप्रैल में भारी बारिश, ओला वृष्टि एवं आंधी के कारण फसल क्षति का सर्वे कर मुआवजा भुगतान करने की प्रक्रिया शुरू कर दी गयी है. इस कार्य में प्रशासनिक पदाधिकारी व कर्मचारी दिन-रात लगे हुए हैं. लेकिन इस योजना का लाभ भी वास्तविक रूप से खेती करनेवाले अधिकतर किसानों को नहीं मिल रहा है.
इसकी वजह एक तो बटाई पर जमीन लेकर की गयी खेती का कोई कागजात (स्वामित्व से संबंधित) नहीं है, तो दूसरी ओर सरकारी निर्देश के आलोक में वैसे ही किसानों को फसल क्षति का मुआवजा देना है, जो चालू वित्तीय वर्ष में लगान जमा किया है. सारण में अशिक्षा व लापरवाही के कारण 30 से 35 फीसदी किसानों के आवेदन अद्यतन रसीद नहीं दिये जाने के कारण अस्वीकृत कर दिये गये हैं.
अद्यतन रसीद नहीं होने पर आवेदन अस्वीकृत : सारण जिले में औसतन 30 से 35 फीसदी वैसे किसानों के द्वारा फसल क्षति का मुआवजा के लिए आवेदन दिया गया था. परंतु, लगान की अद्यतन रसीद जमा नहीं होने के कारण उनके आवेदन अस्वीकृत हो गये हैं.
इसका उदाहरण जलालपुर प्रखंड है. जलालपुर प्रखंड के प्रभारी पदाधिकारी सह सदर डीसीएलआर विनोद कुमार के अनुसार, जलालपुर प्रखंड में 1800 किसानों ने फसल क्षति मुआवजा के लिए आवेदन दिया था. लेकिन 15 पंचायतों के 1400 किसानों के ही आवेदन योग्य पाये गये.
इसके तहत वित्तीय वर्ष 2011-12 तक की भूमि का लगान जमा करनेवालों को चयनित किया गया है. जलालपुर प्रखंड में 70 लाख रुपये मुआवजा के भुगतान की स्वीकृति मिली है. वहीं, तीन पंचायत अनवल, कोपा व कुमना के किसानों के बीच 12 लाख रुपये वितरण के लिए संबंधित बैंक को राशि भेज दी गयी है. शेष राशि सरकार से प्राप्त होते ही भुगतान करने की बात डीसीएलआर ने कही.
जमीन वाले मजे में, बटाई करनेवाले फंसे
सरकार द्वारा फसल की क्षति का मुआवजा दिया जा रहा है. वर्तमान में 20 से 25 फीसदी खेतों में वैसे भूमिहीन किसान फसल बोने का काम करते है, जिनकी अपनी जमीन नहीं है.
सरकारी नियम के अनुसार, वर्तमान में मुआवजा के लिए दावा वही किसान कर सकते हैं, जिनके पास जमीन की अद्यतन रसीद है. ऐसी स्थिति में बटाई कर फसल उगानेवाले किसान सारा खर्च करने के बाद भी क्षति का मुआवजा लेने से वंचित होकर अपने भाग्य को कोष रहे हैं.
वहीं, जिनकी जमीन है, उन्होंने खेती नहीं भी की तो मुआवजा उन्हें तत्काल रसीद देने के कारण मिल रहा है. बटाईदार तो मुआवजा के लिए दावा करने के लायक भी नहीं है.

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