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बिहार के जयप्रकाश विश्वविद्यालय के छात्रों का करियर संकट में, यहां 50,000 डिग्रियां हैं पेंडिंग

बिहार के जयप्रकाश विश्वविद्यालय के छात्रों के करियर पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं. यहां सत्र 2014 से सत्र 2019 तक की करीब 50 हजार डिग्रियां लंबित हैं. इस कारण छात्र न तो कहीं और अपना नामांकन करा पा रहे हैं और न ही प्रतियोगी परीक्षा में अपनी डिग्री प्रस्तुत कर पा रहे हैं.

By Anand Shekhar | March 30, 2024 4:21 PM

छपरा. बिहार का जयप्रकाश विश्वविद्यालय (Jaiprakash university) पहले से ही सत्र में देरी को लेकर चर्चा में रहा है. यहां छात्रों को ग्रेजुएशन और पीजी कोर्स पूरा करने में पांच से छह साल लग जाते हैं. वहीं अब जिन सत्रों की परीक्षा के बाद परिणाम जारी हो रहा है. उस सत्र की डिग्री रिलीज करने में भी काफी समय लग रहा है. जिसकी वजह से छात्रों के करियर पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं.

Jaiprakash University में 50,000 डिग्रियां पेंडिंग

जेपीयू में स्नातक सत्र 2014 से सत्र 2019 तक स्नातक की लगभग 50 हजार डिग्रियां अभी भी लंबित हैं. यह डिग्री अभी तक छपी भी नहीं है. सत्र 2019 की करीब 22 हजार डिग्रियां ही जारी नहीं हो सकी. ऐसे में छात्र राज्य या राज्य के बाहर आयोजित प्रतियोगी परीक्षाओं में उत्तीर्ण होने के बाद साक्षात्कार में मूल प्रमाण पत्र संलग्न नहीं कर पाते हैं. अन्य विश्वविद्यालयों में प्रवेश लेने में भी कठिनाई होती है.

मूल प्रमाण पत्र एक सप्ताह में करना होता है जारी

जो छात्र-छात्राएं विश्वविद्यालय के पोर्टल पर मूल प्रमाण पत्र के लिए ऑनलाइन आवेदन देते हैं. उन्हें न्यूनतम एक सप्ताह या अधिकतम एक माह में उनकी डिग्री उपलब्ध करा देनी होती है. लेकिन वर्तमान में डिग्री सर्टिफिकेट देने में दो से पांच महीने का समय लग जा रहा है. कई ऐसे भी छात्र हैं. जिन्होंने पांच से छह माह पूर्व आवेदन दिया था. लेकिन अब तक उनकी डिग्री नहीं मिल सकी है.

एजेंसी से करार समाप्त होने के बाद बढ़ी है परेशानी

पिछले साल नवंबर माह में यूएमआइएस एजेंसी तथा विश्वविद्यालय प्रशासन के बीच भुगतान को लेकर विवाद हुआ था. जिसके बाद एजेंसी का करारा समाप्त कर दिया गया और विवि ने अपने आंतरिक व्यवस्थाओं से डिग्री, माइग्रेशन व अंकपत्र रिलीज करने का निर्णय लिया. लेकिन पूर्व के जिन सत्रों की डिग्री पेंडिंग है. उसका टीआर एजेंसी का पास ही रह गया. अब एजेंसी टीआर उपलब्ध नहीं करा रही है. जिस कारण डिग्री बनाने में समस्या आ रही है. 

टाइम फ्रेम में डिग्री रिलीज करने की मांग

शोध छात्र संगठन आरएसए तथा अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के प्रतिनिधियों ने कुलपति से मुलाकात कर डिग्री रिलीज करने के लिए एक टाइम फ्रेम निर्धारित करने की मांग की है. संगठन के प्रतिनिधियों ने कुलपति से कहा है कि प्राथमिकता के आधार पर डिग्री का निबटारा किया जाये. जिन छात्रों को नौकरी में वेरिफिकेशन करने के लिए डिग्री देनी है. उन्हें 48 घंटे के अंदर डिग्री उपलब्ध करा दी जाये.

छात्रों ने कहा आखिर हमारा क्या कसूर

परीक्षा उत्तीर्ण कर चुके ऐसे कई छात्र-छात्राएं हैं. जिन्होंने कई प्रतियोगी परीक्षाएं उत्तीर्ण कर ली हैं. उन्हें अब इंटरव्यू में शामिल होना है और वहां मूल प्रमाण पत्र की मांग की गयी है. ऐसे छात्रों ने महीनों पहले डिग्री के लिए आवेदन दिया है. लेकिन अब तक डिग्री नहीं मिल सकी है. स्नातक उत्तीर्ण कर चुकी रजनी कुमारी ने दिसंबर 2023 में, रिचा सिंह ने फरवरी 2024 में ने आवेदन दिया है.

वहीं 2014 सत्र के सीताराम सिंह, 2017 सत्र के रंजीत कुमार, 2018 सत्र के भूषण ने भी महीनों पहले आवेदन दिया है. लेकिन इनकी डिग्री रिलीज नहीं की गयी है. इन छात्रों का कहना है कि पहले से ही जेपीयू में स्नातक का सत्र पिछड़ा हुआ है. लेट से परीक्षाएं हुई. अब परिणाम जारी होने के बाद डिग्री मिलने में देर हो रही है. आखिर हमारा क्या कसूर है.

पीआरओ ने कहा आठ हजार डिग्रियां हुई तैयार

विश्वविद्यालय के पीआरओ प्रो हरिश्चंद्र ने बताया कि करीब आठ हजार डिग्रियां इस समय तैयार हैं. जिस पर संबंधित पदाधिकारियों के हस्ताक्षर भी हो चुके हैं. जिन छात्रों की डिग्री बन गयी है. उसे पोर्टल पर अपडेट करने का निर्देश भी कुलपति ने दिया है. प्राथमिकता के आधार पर प्रतिदिन 500 डिग्री अभी रिलीज की जा रही है. प्रिंटिंग के लिए जल्द ही विवि अपना इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार करेगा. जिसके बाद सभी पेंडिंग डिग्रियां रिलीज की जायेंगी.

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