अगले सप्ताह तक रिलीज कर दी जायेंगी 50 हजार पेंडिंग डिग्रियां, तैयार हुई डिग्रियों की जानकारी वेबसाइट पर होगी अपलोड

स्नातक सत्र 2019 में ही करीब 20 हजार डिग्रियां पेंडिंग हैं. वहीं उसके पूर्व में सत्र 2006 से सत्र 2018 तक के बीच भी 15 हजार के करीब डिग्री अभी पेंडिंग है.

By Prabhat Khabar News Desk | April 28, 2024 11:13 PM

छपरा. जयप्रकाश विश्वविद्यालय में सत्र 2019 तक की करीब 50 हजार पेंटिंग डिग्रियां अगले सप्ताह तक रिलीज कर दी जायेंगी. सभी डिग्रियां प्रिंट हो चुकी हैं. संबंधित अधिकारियों का हस्ताक्षर होना बाकी है. वहीं जो डिग्रियां तैयार हो गयी हैं. उसे रजिस्टर में मेंटेन किया जा रहा है. इसके बाद वेबसाइट पर इसकी सूचना प्रकाशित कर दी जायेगी. वहीं डिग्री बनते ही संबंधित विभागों के नोटिस बोर्ड पर भी इसकी जानकारी प्रकाशित होगी. जिसके आधार पर छात्र-छात्राएं अपनी डिग्री प्राप्त कर सकेंगे. कुलपति प्रो प्रमेन्द्र कुमार वाजपेयी ने एक दिन पूर्व ही डिग्री सेल व परीक्षा शाखा का निरीक्षण कर पेंडिंग डिग्रियों के निष्पादन की जानकारी प्राप्त की थी. वहीं संबंधित अधिकारियों को इस संबंध में निर्देश भी दिया था. विश्वविद्यालय से मिली जानकारी के अनुसार स्नातक के पूर्व के सत्रों में जिन छात्रों ने डिग्री के लिए आवेदन दिया था उनकी डिग्री प्राथमिकता के आधार पर पहले रिलीज की जायेगी. वहीं सत्र के अनुसार क्रमवार डिग्रियां वितरित होंगी. स्नातक सत्र 2019 में ही करीब 20 हजार डिग्रियां पेंडिंग हैं. वहीं उसके पूर्व में सत्र 2006 से सत्र 2018 तक के बीच भी 15 हजार के करीब डिग्री अभी पेंडिंग है. जिन्हें एक-एक कर रिलीज किया जायेगा. इसके अलावे पीजी में भी अब तक जितने सत्र पूरे हो चुके हैं. उसमें जितने भी डिग्रियां पेंडिंग है उनको प्रिंट कर लिया गया है. अलग-अलग विभागों में उसका वेरिफिकेशन कराया जा रहा है. जिसके बाद कुलपति द्वारा अंतिम रूप से इस पर हस्ताक्षर किया जायेगा. मीडिया प्रभारी राजेश पांडेय ने बताया कि विश्वविद्यालय की वेबसाइट पर डिग्री के लिए ऑनलाइन आवेदन हो रहा है. छात्र-छात्राएं ऑनलाइन आवेदन कर शुल्क जमा करेंगे. इसके बाद उन्हे डिग्री उपलब्ध करा दी जायेगी. विदित हो कि विश्वविद्यालय में विगत दो वर्षों से निर्धारित समय पर डिग्री का वितरण नहीं हो रहा था. जिस कारण छात्र-छात्राओं को काफी परेशानी उठानी पड़ रही थी. वैसे कई छात्र-छात्राएं जिन्हें किसी दूसरे विश्वविद्यालय में नामांकन लेना होता था या किसी प्रतियोगी परीक्षा में डिग्री सबमिट करनी होती थी. उन्हें कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा था. कई बार आवेदन देने के चार से पांच माह बाद भी डिग्री नहीं मिल पाती थी.

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