नहीं हुआ यात्री सुविधाओं का वस्तिार
नहीं हुआ यात्री सुविधाओं का विस्तारपरेशानी. बदलते रहे अधिकारी व रेलमंत्री, नहीं बदली कचहरी स्टेशन की सूरत, प्लेटफॉर्म बनने की गति सुस्तरेलयात्रियों की बढ़ीं मुश्किलें नोट: फोटो नंबर 31 सी.एच.पी 12,13,14,15 कैप्सन होगा- निर्माणाधीन मुख्य द्वार, धीमी गति से हो रहा प्लेटफाॅर्म का निर्माण, छोटे से कमरे में चलता है जीआरपी का थाना और निर्माणाधीन […]
नहीं हुआ यात्री सुविधाओं का विस्तारपरेशानी. बदलते रहे अधिकारी व रेलमंत्री, नहीं बदली कचहरी स्टेशन की सूरत, प्लेटफॉर्म बनने की गति सुस्तरेलयात्रियों की बढ़ीं मुश्किलें नोट: फोटो नंबर 31 सी.एच.पी 12,13,14,15 कैप्सन होगा- निर्माणाधीन मुख्य द्वार, धीमी गति से हो रहा प्लेटफाॅर्म का निर्माण, छोटे से कमरे में चलता है जीआरपी का थाना और निर्माणाधीन प्लेटफाॅर्म से सोनपुर रेलखंड के यात्रियों को पकड़नी पड़ती है ट्रेन संवाददाता, छपरा (सारण)रेलमंत्री व रेलवे के अधिकारी बदलते रहे, लेकिन छपरा कचहरी की सूरत नहीं बदली. तत्कालीन रेलमंत्री लालू प्रसाद के कार्यकाल में शुरू हुईं योजनाएं आज भी अधूरी पड़ी हैं. इस बीच कई डीआरएम व रेल महाप्रबंधक भी बदल गये. फिर भी कचहरी स्टेशन पर यात्री सुविधाओं का विस्तार व विकास नहीं हो सका है. मालूम हो कि पूर्वोत्तर रेलवे के वाराणसी मंडल का यह एक महत्वपूर्ण स्टेशन है. वर्ष 2007-08 में छपरा कचहरी स्टेशन के मॉडल भवन का निर्माण शुरू हुआ और बाहरी परिसर के सौंदर्यीकरण का कार्य भी प्रारंभ हुआ. दो एवं तीन नंबर प्लेटफाॅर्म के ऊंचीकरण व सतह उन्नयन का कार्य भी स्वीकृत हुआ. इसके अलावा कई अन्य योजनाएं स्वीकृत हुईं, जिसका कार्यान्वयन भी शुरू हुआ, लेकिन वर्ष 2009 से सभी विकास कार्य ठप पड़ गये. जान जोखिम में डाल कर सवार होते हैं यात्री प्लेटफाॅर्म संख्या दो एवं तीन का निर्माण नहीं होने से डाउन साइड की ट्रेनों पर जान जोखिम में डाल कर सवार होते हैं. ट्रेनों में सवार होने में यात्रियों को काफी कष्टप्रद स्थिति का सामना करना पड़ता है. प्लेटफाॅर्म विहीन ट्रैक पर खड़ीं ट्रेनों में सवार होते समय यात्रियों के हमेशा जख्मी होने की आशंका बनी रहती है. सबसे अधिक परेशानी वृद्ध, विकलांग व महिला यात्रियों को होती है. बीबी-बच्चों व सामान के साथ सफर करनेवालों को काफी परेशानी होती है.बिना हाजत व मालखाने का थानाछपरा कचहरी में राजकीय रेलवे पुलिस थाना भी अजूबा है. यहां न तो हाजत है और ना मालखाना. एक दरबारनुमा कमरे में थाना चलता है. अपराधियों को गिरफ्तार करने के बाद उन्हें छपरा जंकशन रेल थाने में रखने के लिए भेजा जाता है. यहां सशस्त्र पुलिस बल के जवान पदस्थापित हैं, जिनका शस्त्र भी छपरा जंकशन रेल थाने के मालखाने में रखा जाता है. मार्गरक्षी दल के जवानों को शस्त्र लाने और मार्गरक्षण कर वापस लौटने पर शस्त्र को जमा करने के लिए छपरा जंकशन जाना पड़ता है. थाने में अभिलेख रखने और पुलिस पदाधिकारियों के बैठने की भी पर्याप्त जगह नहीं है. क्या है स्थिति-स्टेशन के मुख्य भवन का छत निर्माण अधूरा पड़ा है -बाहरी परिसर का सौंदर्यीकरण नहीं हो सका है -प्लेटफॉर्म संख्या दो एवं तीन को खोद कर छोड़ दिया गया है -प्लेटफाॅर्म संख्या एक से दो-तीन पर जानेवाला फूट ओवरब्रिज को परित्यक्त घोषित कर दिया गया है -प्लेटफाॅर्म संख्या दो-तीन का शेड उजड़ा हुआ है -छपरा कचहरी के पूछताछ काउंटर को बंद कर दिया गया है -एकमात्र टिकट बुकिंग काउंटर संचालित है-आरक्षित टिकट काउंटर का संचालन 10 से चार बजे तक ही होता है -राजकीय रेल थाने में न हाजत है, न मालखाना-स्टेशन के बाहर लगी हाइमास्ट लाइट नहीं जलती है-स्टेशन परिसर में भी शुद्ध पेयजल की सुविधा नहीं है