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अलाव की आस, गरीब निराश

अलाव की आस, गरीब निराशसर्दी का सितम. ठंड से कांप रहे बेघर, अलाव को मिले महज डेढ़ लाखशहर में नहीं है एक भी रैन बसेरा, कनकनी के कारण बढ़ी गरीब-गुरबा की फजीहत12 लाख रुपये की जरूरत के बीच आपदा प्रबंधन से मिले महज डेढ़ लाख रुपये नगर पर्षद तथा छह नगर पंचायतों के अलावा 20 […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 15, 2015 6:21 PM

अलाव की आस, गरीब निराशसर्दी का सितम. ठंड से कांप रहे बेघर, अलाव को मिले महज डेढ़ लाखशहर में नहीं है एक भी रैन बसेरा, कनकनी के कारण बढ़ी गरीब-गुरबा की फजीहत12 लाख रुपये की जरूरत के बीच आपदा प्रबंधन से मिले महज डेढ़ लाख रुपये नगर पर्षद तथा छह नगर पंचायतों के अलावा 20 प्रखंडों में ठंड से निबटने की तैयारी अधूरीनोट: फोटो नंबर 15 सी.एच.पी 3 है कैप्सन होगा- नाइट शेल्टर में चलता है शिक्षक नियोजन कार्यालय, कहां जाये गरीब. इंट्रो : सर्दी का सितम शुरू हो गया है. पारे का मान गिरने व कोहरे से कनकनी भी पिक पर पहुंच गयी है. ऐसे में अलाव की आस में गरीब निराश हो रहे हैं. ठंड से कांप रहे बेघरों को अलाव की तपिश देने के लिए जहां जिले को 12 लाख की दरकार थी, वहीं आपदा प्रबंधन विभाग ने महज डेढ़ लाख रुपये मुख्यालय को उपलब्ध कराया और गरीब-गुरबों की ठंड की सीमा भी तय कर दी है. शहर में एक भी रैन बसेरा नहीं है, ऐसे में सड़क किनारे रात काटनेवालों की फजीहत का अंदाजा नहीं लगाया जा सकता. नगर पर्षद तथा छह नगर पंचायतों के अलावा 20 प्रखंडों में ठंड से निबटने की अधूरी तैयारी से प्रशासन से लेकर आम आदमी तक हलकान है. संवाददाता, छपरा (सदर). दिसंबर माह में तेज सर्द हवा व कोहरे के कारण बेघर सड़कों के किनारे, बस स्टैंड, रेलवे प्लेटफाॅर्म, चौक-चौराहों पर ठिठुरने को विवश हैं. अब तक प्रशासन की ओर से अलाव जलाने की दिशा में कोई कार्रवाई नहीं की गयी है. ऐसी स्थिति में करीब इस भीषण ठंड में वे कभी भगवान को, तो कभी अपने भाग्य को कोस रहे हैं. मांगा साढ़े 12 लाख, मिला डेढ़ लाख :शीतलहर के कारण बढ़ी ठंड से बेघरों को शहर से लेकर ग्रामीण क्षेत्र तक निजात दिलाने के उद्देश्य से डीएम दीपक आनंद ने आपदा प्रबंधन विभाग से 12 लाख रुपये की राशि अलाव हेतु मांग की थी. साथ ही यह कहा गया था कि काफी कम राशि मिलने के कारण अलाव की बेहतर व्यवस्था नहीं हो पाती है. ऐसी स्थिति में छपरा नगर पर्षद, छह नगर पंचायतों तथा 20 प्रखंडों के लिए डीएम ने 12 लाख 50 हजार रुपये की मांग की थी. आपदा प्रबंधन विभाग ने साेमवार की संध्या अलाव जलाने हेतु महज डेढ़ लाख रुपये की राशि आवंटित की है. स्थानीय पदाधिकारी डेढ़ लाख रुपये को शहरी निकाय, छह नगर पंचायतों एवं 20 प्रखंडों में बांटने को लेकर पसोपेश में हैं. उनका कहना है कि नगर पर्षद में 15 हजार व प्रखंडों में 5 हजार रुपये भेज कर कितने गरीबों के लिए अलाव की व्यवस्था करें. डीएम ने नगर पर्षद के लिए 1 लाख, छह नगर पंचायतों यथा सोनपुर, दिघवारा, परसा, एकमा, मढ़ौरा, रिविलगंज के लिए 25-25 हजार रुपये व 20 प्रखंडों के लिए 50-50 हजार रुपये की जरूरत बता कर कुल साढ़े 12 लाख रुपये की मांग की थी. नाइट शेल्टर बना शिक्षक नियोजन कार्यालय : छपरा शहर में कोई भी रैन बसेरा कार्यरत नहीं है. सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर छह वर्ष पूर्व नगर पर्षद परिसर में 8 लाख रुपये की लागत से महिला व पुरुष के लिए अलग-अलग बनाये गये नाइट सेल्टर में बेघर गरीबों को रात में ठहरने के दौरान बिछावन, ओढ़ना आदि मद में राशि भी प्रतिवर्ष उपलब्ध करायी जाती रही है. परंतु, निर्माण के बाद से ही लगातार यह नाइट सेल्टर शिक्षक नियोजन तथा चुनाव कार्य आदि के संचालन जैसे कार्यों में दिखा. हालांकि नगर परिषद प्रशासन ने शिक्षक नियोजन कार्यालय को नाइट सेल्टर से खाली कराकर दो तीन दिनों में नाइट सेल्टर को बेघर गरीबों के लिए उपयोगी बनाने की बात कही. उन्होंने बताया कि जिले में इसके अलावा कोई भी रैन बसेरा नहीं है. नाइट सेल्टर को नगर परिषद प्रशासन द्वारा दो से तीन दिनों में बेघर गरीबों के लिए चालू कर दिया जायेगा. इसका संचालन नगर परिषद प्रशासन ही करेगी. नाइट सेल्टर में कार्य कर रहे शिक्षक इकाई को दूसरा कमरा आवंटित कर दिया गया. अंजय कुमार राय, कार्यपालक पदाधिकारीनगर पर्षद, छपरा दो की मौत के बाद भी नहीं जला अलाव एकमा. ठंड तथा कुहासे से आम जन जीवन अस्त-व्यस्त हो चुका है. कृषि तथा व्यवसाय का कार्य भी प्रभावित हो रहा है. ठंड लगने से नगर पंचायत के राजापुर गांव के राम सुंदर प्रसाद 70 वर्ष तथा लगन देव पंडित की पत्नी गिरजा देवी 60 वर्ष की मौत हो चुकी है. ठंड से सबसे अधिक परेशानी मजदूरी कर अपने परिवार के भरण पोषण करने वाले मजदूरों को हो रही है. इन्हें ठंड के कारण कहीं कोई काम धंधा नहीं मिल पा रहा है. जिसके चलते गरीबी की जिंदगी जी रहे इन परिवारों के समक्ष भुखमरी की स्थिति उत्पन्न हो गयी है वे रात में आग के सहारे भुखे पेट जीवन बसर करने पर मजबूर है. ठंड से बचाव के लिए न कोई स्वयंसेवी संगठन, ना ही प्रशासन द्वारा गरीबों के बीच कंबल, ऊनी कपड़ा का वितरण किया गया है. न ही अलाव की व्यवस्था की गयी है. क्या कहते हैं अधिकारीजिला प्रशासन से अभी अलाव के लिए राशि नहीं उपलब्ध हुआ है. अलाव जलाने के लिए जगह चिन्हित कर लिया गया है. राशि उपलब्ध होते ही अलाव जलाने का कार्य शुरू कर दिया जायेगा. पूनम सिन्हा, सीओ, एकमाअलाव जलाने के लिए राशि जिला प्रशासन से उपलब्ध नहीं हुआ है. राशि मिलते ही चिह्नित जगहों पर अलाव जलाने की प्रक्रिया शुरू कर दी जायेगी. मनोज कुमार, कार्यपालक पदाधिकारीनगर पंचायत, एकमा दरियापुर में अभी तक नहीं हुई है कोई व्यवस्था दरियापुर. प्रखंड क्षेत्र में ठंड से बचने के लिए सरकार की ओर से कोई लाव की व्यवस्था नहीं हुई है. लोग अपने से ठंड से बचने के लिए आग की व्यवस्था कर रहे हैं. इधर दो दिनों से ठंड का प्रभाव बढ़ गया है. लेकिन प्रशासनिक तौर पर ठंड से बचने के लिए अभी तक कोई व्यवस्था नहीं की गयी है. इसके प्रति प्रशासन उदासीन नजर आ रहे हैं. गरीब के लिए आग ही एक माध्यम है. ठंड से बचने के लिए. गरीबों को ठंड से बचने के लिए न कंबल और न अलाव जलाने के लिए लकड़़ी की व्यवस्था की गयी है.

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