धान की खरीद शुरू, आंकड़ा नदारद
धान की खरीद शुरू, आंकड़ा नदारद (प्रभात पड़ताल) प्रशासन के आश्वासन पर किसानों को नहीं रहा भरोसाबिचौलियों से धान बेचने को विवश किसान, नमी के नाम पर बहानेबाजी मुख्य वजहधान क्रय से जुड़ी एजेंसियों की रफ्तार धीमी, धान क्रय केंद्रों पर अनिश्चितता का माहाैल31 मार्च तक 75 हजार एमटी धान खरीद का रखा गया है […]
धान की खरीद शुरू, आंकड़ा नदारद (प्रभात पड़ताल) प्रशासन के आश्वासन पर किसानों को नहीं रहा भरोसाबिचौलियों से धान बेचने को विवश किसान, नमी के नाम पर बहानेबाजी मुख्य वजहधान क्रय से जुड़ी एजेंसियों की रफ्तार धीमी, धान क्रय केंद्रों पर अनिश्चितता का माहाैल31 मार्च तक 75 हजार एमटी धान खरीद का रखा गया है लक्ष्यसंवाददाता-छपरा (सदर). सरकार के निर्देश पर धान अधिप्राप्ति का लक्ष्य हासिल करने के लिए जिला प्रशासन व विभाग के पदाधिकारी हाथ-पांव मार रहे हैं. अधिप्राप्ति कार्य पांच दिसंबर 2015 से 31 मार्च 2016 तक करना है. लक्ष्य भी गत वर्ष की भांति 75 हजार मीट्रिक टन निर्धारित किया गया है. जबकि जिले में धान की उपज अनुमानित लक्ष्य का 50 फीसदी है. ऐसी स्थिति में धान की अधिप्राप्ति व जरूरतमंद किसानों को मिलने वाले लाभ का सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है. हालांकि पदाधिकारी किसानों को उनकी उपज का उचित मूल्य दिलाने का दावा कर रहे है. परंतु, विगत वर्षों में धान अधिप्राप्ति के लिए निर्धारित लक्ष्य से 40 फीसदी से कम ही अधिप्राप्ति होने, बिचौलियों की कारगुजारी तथा संंबंधित क्रय एजेंसियों की उदासीनता के कारण इस वर्ष भी किसानों को प्रशासन के आश्वासन पर भरोसा नहीं हो रहा है. रबी सीजन पर भी मंडरा रहा संकट : प्रतिकूल मौसम में भी गाढ़ी मेहनत व खर्च कर येन-केन प्रकारेण धान उपज करने वाले किसानों को अपनी उपज औने-पौने दाम में बेचने की विवशता है. विभागीय पदाधिकारी व क्रय एजेंसियां जहां 17 फीसदी से ज्यादा नमी होने की स्थिति में धान नहीं खरीदने तथा धान की सफाई का बहाना बनाकर धान की खरीद निर्धारित दर 1410 रुपये प्रति क्विंटल खरीदने में आनाकानी करते हैं. वहीं बिचौलियों के द्वारा रबी के मौसम में अपने खेतों में खाद बीज डालने के लिए किसानों की तत्काल पैसे की जरूरत का फायदा उठाकर धान को 11 सौ से 1150 रुपये प्रति क्विंटल के हिसाब से खरीदा जा रहा है. हालांकि अधिकतर किसानों के पास इस बार बेचने के लिए धान है भी नहींं. वहीं बाजारों में निकलने वाले नये आलू भी 1200 से 1400 रुपये प्रति क्विंटल बाजार में बिक रही है जो सरकार के द्वारा निर्धारित धान की दर के बराबर है. ऐसी स्थिति में किसानों में उपज के प्रति सरकार के द्वारा निर्धारित दर को लेकर मायूसी है. राज्य सरकार से नहीं मिला बोनस :जिला प्रशासन के द्वारा जिले में 75 पैक्सों तथा आधा दर्जन व्यापार मंडलों में धान अधिप्राप्ति को शुरू करने का दावा किया जा रहा है. हालांकि अबतक कितनी अधिप्राप्ति हुई इसका कोई आंकड़ा नहीं है. जिला आपूर्ति पदाधिकारी द्वारा हालांकि बिचौलियों की कारगुजारियों पर लगाम लगाने के लिए किसी भी किसान को 100 क्विंटल से ज्यादा धान अधिप्राप्ति नहीं करने की हिदायत दी गयी है. वहीं वैसे पैक्स संचालक या व्यापार मंडल संचालक जिनके यहां गोदाम नहीं है उनकी संख्या 133 है. वैसी स्थिति में इनके द्वारा भी यदि किराये पर गोदाम लिया जाता है तथा इससे संबंधित कागजात जिला आपूर्ति पदाधिकारी, जिला सहकारिता पदाधिकारी के यहां जमा किया जाता है तो उन्हें धान अधिप्राप्त का आदेश देने की बात जिला आपूर्ति पदाधिकारी बताते हैं. वहीं सभी क्रय एजेंसियों को धान क्रय केंद्र पर किसानों को सभी आवश्यक सुविधाएं यथा इलेक्ट्रॉनिक वेइग मशीन, नमी मापक यंत्र आदि रखने तथा 48 घंटे के अंदर किसान को उसके उपज की कीमत खाते में देने का निर्देश दिया गया है. अब देखना है कि धान अधिप्राप्ति का कार्य कबतक रफ्तार पकड़ती है. 75 हजार मिट्रिक टन अधिप्राप्ति लक्ष्य :सरकार के द्वारा विगत वर्षों की भांति इस वर्ष भी धान अधिप्राप्ति का लक्ष्य 75 हजार मिट्रिक टन निर्धारित किया गया है.जबकि गत वर्षों में धान की उपज चालू वर्ष से काफी बेहतर हुई थी. बावजूद अधिप्राप्ति वर्ष 2013-14 में प्रशासन के सारे प्रयासों के बावजूद क्रमश: 40 फीसदी तथा 29 फीसदी हुई. इस वर्ष तो उपज आधी ही हुई है. ऐसी स्थिति में लक्ष्य को प्राप्त करने की बात तो दूर पास मार्क्स भी प्राप्त करना प्रशासन के लिए मुश्किल होगा. धान अधिप्राप्ति शुरू नहीं होने के कारण किसान 1100 से 1150 रुपये प्रति क्विंटल के हिसाब से नगद लेकर बिचौलियों के बीच बेच रहे है जिससे वे रबी की फसल में इस राशि का उपयोग खाद बीज खरीदने के लिए कर सके. उदय प्रकाश नारायण सिंह किसान, मशरकएक तो अभी क्रय एजेंसिया धान ले नहीं रही वहीं नहीं के नाम पर टाल मटोल के नाम पर किसानों को परेशान करने की प्रवृति क्रय एजेंसियां पाले हुए है. ऐसी स्थिति में किसान अपनी उपज को आलू से भी कम दर में बेचने को विवश है. हरेंद्र सिंह किसान, बनियापुर जिले में धान की उपज अनुमानित लक्ष्य के महज 50 फीसदी हुइ है जो निश्चित तौर पर पिछले साल से काफी कम है. इससे संबंधित रिपोर्ट जिला प्रशासन को भेज दिया गया है. केके ओझा डीएओ, छपरा किसी भी स्थिति में किसानों के हित की अनदेखी करने वालों को नहीं बख्शा जायेगा. सरकार के द्वारा मिलने वाली बोनस की राशि अभी नहीं मिली है. 175 पैक्सों में धान अधिप्राप्ति शुरू हो गयी है. सभी क्रय एजेंसियों को आवश्यक निर्देश दिया गया है. अनिल कुमार रमण जिला आपूर्ति पदाधिकारी, छपरा