बेसहारों के बने संबल, गरीबों में बांट रहे कंबल

छपरा (सारण) : ‘जहां चाह वहां राह’ अकेला चला था, लोग आते गये, कारवां बनता गया. यह सूत्र वाक्य श्यामचक के डॉ अनिल कुमार पर बिलकुल सटीक बैठती है. हाड़ कंपाती इस ठंड में आसमान के नीचे जिंदगी गुजारनेवालों का आंसू पोछने का उदार कार्य सात वर्ष पहले डॉ कुमार ने शुरू किया था. शुरुआती […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 26, 2015 2:07 AM
छपरा (सारण) : ‘जहां चाह वहां राह’ अकेला चला था, लोग आते गये, कारवां बनता गया. यह सूत्र वाक्य श्यामचक के डॉ अनिल कुमार पर बिलकुल सटीक बैठती है. हाड़ कंपाती इस ठंड में आसमान के नीचे जिंदगी गुजारनेवालों का आंसू पोछने का उदार कार्य सात वर्ष पहले डॉ कुमार ने शुरू किया था.
शुरुआती दौर में उनके साथ डॉ संजू प्रसाद थीं. आज कई अधिवक्ता, चाटर्ड एकाउंटेंट, इंजीनियर उनकी मुहिम में शामिल हो चुके हैं. डॉ कुमार हाड़ कंपाती ठंड में रात के अंधेरे में एंबुलेंस पर कंबल तथा दवा आदि लेकर निकल पड़ते हैं. न इन लोगों को दिखावे की भीड़ से मतलब होता है और न ही प्रचार पाने की चाहत. फुटपाथ, रेलवे स्टेशन, बस स्टैंड, शहर के विभिन्न चौक-चौराहों पर सोये बैठे लाचार व बेबस लोगों को पहले तो, कंबल ओढाते हैं, फिर उनकी जरूरत के मुताबिक उपचार कर दवा भी दी जा रही है.
यह सिलसिला लगातार एक सप्ताह से चल रहा है. समाज का यह तबका इस कार्य को तब करता है जब सर्द रात में रजाई के अंदर समाज का बड़ा तबका गहरी नींद में सो रहा होता है. डॉ कुमार ने अकेले इसकी शुरुआत की थी. आज उनकी टीम में डॉ संजू प्रसाद, चार्टड एकाउंटेंट तरुण कुमार यादव, अधिवक्ता अभय कुमार यादव, राजू कुमार, इंजीनियर अनिल कुमार आदि शामिल हैं.
श्यामचक वॉलीबॉल टीम के प्रशिक्षक जहंगीर खान समेत दर्जन भर खिलाड़ी भी इस मुहिम में शामिल हैं. उनके साथ संजीवनी नर्सिंग होम एवं मेटरनिटी सेंटर के चिकित्साकर्मी जयंती देवी, लक्ष्मण कुमार, शैलेश कुमार, रवि प्रसाद, माया देवी, शिवकुमारी आदि भी सहयोग कर रही हैं.

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