ईश्वर भक्ति के बिना औचत्यिहीन है शारीरिक सौंदर्य : वैदेही

ईश्वर भक्ति के बिना औचित्यहीन है शारीरिक सौंदर्य : वैदेहीनोट: फोटो नंबर 26 सी.एच.पी 7,8,9 हैकैप्सन होगा- प्रवचन देते वैदेही व शास्त्री तथा उपस्थित श्रद्धालु.संवाददाता, दिघवाराईश्वर भक्ति के बिना शारीरिक सौंदर्य औचित्यहीन है. लिहाजा हर इंसान को भाग-दौड़ भरी जिंदगी के बीच नि:स्वार्थ भाव से ईश्वर भक्ति में मन लगाना चाहिए, तभी जीवन की सार्थकता […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 26, 2015 6:45 PM

ईश्वर भक्ति के बिना औचित्यहीन है शारीरिक सौंदर्य : वैदेहीनोट: फोटो नंबर 26 सी.एच.पी 7,8,9 हैकैप्सन होगा- प्रवचन देते वैदेही व शास्त्री तथा उपस्थित श्रद्धालु.संवाददाता, दिघवाराईश्वर भक्ति के बिना शारीरिक सौंदर्य औचित्यहीन है. लिहाजा हर इंसान को भाग-दौड़ भरी जिंदगी के बीच नि:स्वार्थ भाव से ईश्वर भक्ति में मन लगाना चाहिए, तभी जीवन की सार्थकता सही साबित होगी. उपरोक्त बातें नगर पंचायत के माल गोदाम के सामने गीता जयंती समारोह समिति द्वारा आयोजित गीता जयंती साप्ताहिक समारोह के पांचवें दिन प्रवचन की अमृतवर्षा करते हुए जनकपुर से पधारीं मानस मंदाकनी वैदेही शरण ने कहीं. उन्होंने कहा कि भक्ति के बिना मानव जीवन अधूरा है. एक प्रसंग की व्याख्या करते हुए उन्होंने कहा कि जिस तरह सोने के कलश के अंदर जहरीला विष होने से कलश की महत्ता समाप्त हो जाती है. ठीक उसी तरह मानव शरीर के अंदर भक्ति भाव न होने से मानव जीवन ही अधूरा हो जाता है. पुष्प वाटिका के विभिन्न प्रसंगों की व्याख्या करते हुए उन्होंने प्रेम के स्वरूप की विस्तारपूर्वक चर्चा की. अपने भजन के सहारे उन्होंने हर किसी को भक्ति रस में सराबोर किया. वहीं, कोलकाता से पधारे भागवत मर्मज्ञ पंडित वशिष्ठ नारायण शास्त्री ने भगवान कृष्ण के विभिन्न कालखंडों की चर्चा करते हुए कहा कि कृष्ण के उपदेशों से हर किसी को प्रेरणा लेने की जरूरत है. श्री शास्त्री ने भी एक से बढ़ कर एक भजन सुना कर हर किसी के अंदर भक्ति भाव का संचार किया. कार्यक्रम के पांचवें दिन थानाध्यक्ष सतीश कुमार, अधिवक्ता मुनिलाल, सुरेंद्र प्रसाद, सीताराम प्रसाद, राधेश्याम प्रसाद, युगल किशोर प्रसाद, सुरेंद्र स्वर्णकार, महेश स्वर्णकार सरीखे लोग ज्ञान गंगा में डुबकी लगाते दिखे.

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