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अरबों की संपत्ति की नीलामी रद्द

अरबों की संपत्ति की नीलामी रद्द फैसला. छपरा कोर्ट के सब जज सात ने प्रशासन द्वारा दायर विविध वाद को किया स्वीकार महज 10 हजार रुपये के लिए भवन निर्माण की अरबों की संपत्ति वर्ष 2003 में हुई थी नीलाम कोर्ट के इस ऐतिहासिक फैसले पर डीएम ने जताया संतोषसंवाददाता, छपरा (सदर)भवन निर्माण विभाग के […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | January 14, 2016 6:41 PM

अरबों की संपत्ति की नीलामी रद्द फैसला. छपरा कोर्ट के सब जज सात ने प्रशासन द्वारा दायर विविध वाद को किया स्वीकार महज 10 हजार रुपये के लिए भवन निर्माण की अरबों की संपत्ति वर्ष 2003 में हुई थी नीलाम कोर्ट के इस ऐतिहासिक फैसले पर डीएम ने जताया संतोषसंवाददाता, छपरा (सदर)भवन निर्माण विभाग के छपरा शहर के डाकबंगला रोड स्थित अरबों की जमीन व संपत्ति की नीलामी के आदेश को रद्द करते हुए छपरा व्यवहार न्यायालय के सब जज-7 ने प्रशासन के द्वारा दायर विविध वाद को स्वीकार कर लिया. 10 हजार रुपये तत्कालीन संवेदक स्व. भुखल उपाध्याय को भुगतान नहीं करने के मामले में न्यायालय के सब जज-1 के द्वारा लगभग तीन बीघा जमीन व चार से पांच वीआइपी एरिया के मकानों की नीलामी का आदेश 2003 में दिया था. जिला प्रशासन द्वारा वर्ष 2006 में विविध वाद संख्या 4/2006 सब जज 7 के यहां दायर किया गया था, जिसमें सब जज-7 पुनीत कुमार मालवीय ने प्रशासन की अपील को स्वीकार कर लिया. सरकारी जीपी अवध किशोर सिंह के अनुसार, वर्ष 1999 में स्वास्थ्य विभाग के भवन को लहलादपुर में बनाये जाने के मामले में 10 हजार रुपये बकाया होने का आरोप लगाते हुए तत्कालीन संवेदक भुखल उपाध्याय द्वारा मुकदमा किया गया था. हालांकि इस मामले में भवन निर्माण विभाग के द्वारा यह राशि भुगतान कर दी गयी थी. परंतु, संवेदक द्वारा यह तथ्य एक साजिश के तहत छिपा लिया गया था. फलत: संवेदक की मौत के बाद उनकी पत्नी फुलेनी देवी के पक्ष में वह फैसला हुआ था. जिला प्रशासन से सभी आवश्यक कागजात एकत्र कर न्यायालय में सभी तथ्यों को स्पष्ट करने के बाद न्यायालय ने गुरुवार को जिला प्रशासन के पक्ष में फैसला दिया. 2014 में धोखाधड़ी का मुकदमा किया गया था दाखिलइस मामले को लेकर वर्ष 2014 में भवन निर्माण विभाग के तत्कालीन अभियंता हरेंद्र कुमार के द्वारा भी नगर थाने में धोखाधड़ी का मुकदमा तत्कालीन डीएम के निर्देश पर दर्ज कराया गया था. छपरा व्यवहार न्यायालय के द्वारा अरबों की संपत्ति के मामले में दिये गये इस फैसले के बाद निश्चित तौर पर सरकारी जमीन पर मनमाने ढंग से कब्जा करनेवालों पर लगाम लगेगी. उधर, इस संबंध में पूछे जाने पर तत्कालीन संवेदक के पुत्र राजेश उपाध्याय ने कहा कि न्यायालय के फैसले के विरुद्ध वे ऊपरी अदालत में जायेंगे. वहीं, जिला पदाधिकारी दीपक आनंद ने फैसले पर संतोष जताते हुए कहा कि प्रशासन न्यायालय के फैसले के बाद अगली कार्रवाई नियमानुसार करेगा.

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