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पहले नजराना, तब नवजात के दर्शन!

गर्भवती महिलाएं व परिजन नवजात को देखने को रहते हैं लालायित दिघवारा : स्थानीय सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में डिलिवरी कराने पहुंचनेवाली गर्भवती महिलाएं व उनके परिजनों से नजराना लेने का खेल जोड़ पकड़ने लगा है एवं इस अवैध वसूली से परिजन परेशान दिख रहे हैं. हालात ऐसे हैं कि गर्भवती महिलाओं को बच्चा जनने के […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | February 20, 2016 12:10 AM
गर्भवती महिलाएं व परिजन नवजात को देखने को रहते हैं लालायित
दिघवारा : स्थानीय सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में डिलिवरी कराने पहुंचनेवाली गर्भवती महिलाएं व उनके परिजनों से नजराना लेने का खेल जोड़ पकड़ने लगा है एवं इस अवैध वसूली से परिजन परेशान दिख रहे हैं.
हालात ऐसे हैं कि गर्भवती महिलाओं को बच्चा जनने के बाद भी बिना नजराना दिये नवजात का दर्शन नहीं कराया जाता है. नव प्रसूति महिलाओं के अलावा उसके परिजनों व रिश्तेदारों से नजराने के नाम पर स्वास्थ्य कर्मियों द्वारा अवैध रूप से राशि वसूली का खेल बदस्तूर जारी है. लेबर रूम में कार्यरत महिला स्वास्थ्यकर्मियों द्वारा नजराने लेने को लेकर आये दिन हमेशा कर्मियों व परिजनों में नोक-झोंक देखने को मिलती है.
सगुन के तौर पर नजराने का खेल गरीब लोगों के लिए परेशानियों का सबब बन गया है. मगर अस्पताल प्रशासन सब कुछ जानने के बावजूद अनजान है एवं कार्यवाही के नाम पर सिर्फ कागजी घोड़े दौराये जाते हैं.
बराबर होता है हंगामा : नजराने को लेकर अस्पताल परिसर में हमेशा हंगामा होते रहता है एवं परिजन व कर्मियों के बीच नोक-झोंक में नवजात की फजीहत होती है. परिजनों की शिकायत पर आज तक कोई कार्रवाई नहीं हुई. प्रभारी के मुख्यालय में नहीं रहने के कारण स्वास्थ्य कर्मियों को लूट की छूट मिल जाती है.
नजराना के लिए होती है प्रेशर डिलिवरी : गर्भवती महिलाएं सुरक्षित प्रसव की चाह के साथ अस्पताल पहुंचती हैं, मगर महिला स्वास्थ्यकर्मी अपनी ही शिफ्ट में डिलिवरी करा कर आमदनी प्राप्त करने के उद्देश्य से प्रेशर डिलिवरी कराती हैं, जो जच्चा व बच्चा दोनों के लिए खतरनाक साबित होता है.
लेबर रूम में नियमों को ताक पर रख कर डिलिवरी कराना आम बात हो गयी है. पिछले कुछ महीनों में डिलिवरी कराने के क्रम में नवजात की हुई मौतें इस बात का पुख्ता प्रमाण है. कई बार परिजनों ने हंगामा भी किया व दोषी कर्मियों के खिलाफ कार्रवाई को लेकर छपरा-पटना मुख्य मार्ग को जाम भी किया, परंतु परिणाम सिफर निकला. अस्पताल प्रशासन द्वारा जगह-जगह नोटिस के सहारे चेतावनी चिपका कर पल्लू झाड़ लिया जाता है.
डिलिवरी होते ही शुरू हो जाता है खेल
जैसे ही किसी गभर्वती महिला की डिलिवरी होती है, वैसे ही नजराने का खेल शुरू हो जाता है. बेटा व बेटी के लिए नजराने की अलग-अलग राशि वसूली जाती है. यह राशि लेबर रूम में कार्यरत एएनएम व ममता अपने तरीके से वसूलती हैं. इतना ही नहीं, नजराना की अदायगी न होने तक ऐसे स्वास्थ्यकर्मी डिलिवरी होने के बाद जच्चा व बच्चा के बाकी चिकित्सीय काम को पूरा करने में आनाकानी करते हैं.

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