दिघवारा में पानी को मुहताज दिखे यात्री

परेशानी. खराब रहा नल व चापाकल, मोटर जल जाने से ठप रही पानी की सप्लाइ प्लेटफॉर्म एक का चापाकल भी रहा खराब पानी की तलाश में स्टेशन परिसर में भटकते रहे यात्री पूछताछ केंद्र भी बना है शो पीस, यात्रियों को नहीं िमल रही सुविधा दिघवारा : सोनपुर-छपरा रेलखंड के मध्य दिघवारा स्टेशन पर बुधवार […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | March 3, 2016 8:14 AM

परेशानी. खराब रहा नल व चापाकल, मोटर जल जाने से ठप रही पानी की सप्लाइ

प्लेटफॉर्म एक का चापाकल भी रहा खराब

पानी की तलाश में स्टेशन परिसर में भटकते रहे यात्री

पूछताछ केंद्र भी बना है शो पीस, यात्रियों को नहीं िमल रही सुविधा

दिघवारा : सोनपुर-छपरा रेलखंड के मध्य दिघवारा स्टेशन पर बुधवार को दिन भर पानी की सप्लाइ बंद रही, जिस कारण सैकड़ों यात्री पानी की तलाश में भटकते नजर आये. मोटर जल जाने से किसी भी नल में पानी की सप्लाइ नहीं हो सकी. वहीं, प्लेटफाॅर्म नंबर एक पर अवस्थित चापाकल भी खराब होने के कारण यात्रियों को पानी उपलब्ध नहीं करा सका.

पानी की बोतल लेकर करें यात्रा की शुरुआत : दिघवारा स्टेशन पर पानी बराबर उपलब्ध नहीं रहता है.

इस कारण यात्री पानी की तलाश में भटकते नजर आते हैं. लिहाजा, अगर आपको इस स्टेशन से यात्रा की शुरुआत करनी हो, तो अपने साथ पानी लाना नहीं भूलें.

पूछताछ काउंटर बना, मगर सुविधा शुरू नहीं : बीते 26 फरवरी को टिकट काउंटर शुरू हो गया, मगर पूछताछ काउंटर शुरू नहीं हो सका. इससे यात्री को ट्रेनों का पता लगाने के लिए प्लेटफॉर्म नंबर एक पर जाना पड़ता है, जिसके लिए उनलोगों को प्लेटफाॅर्म टिकट लेने की अनिवार्यता होती है और बिना टिकट लिए ट्रेनों का पता लगाने के लिए स्टेशन अधीक्षक कक्ष में जानेवाले यात्रियों को फाइन किया जाता है.

स्टेशन के दोनों प्लेटफॉर्मों पर बेकार पड़ा है नल

लगभग 20 जोड़ी ट्रेनों के ठहराववाले इस स्टेशन पर बुधवार को मोटर खराब रहने के कारण पानी की सप्लाई बंद रही. इसके चलते सैकड़ों यात्रियों को पानी की तलाश में भटकते देखा गया. स्टेशन का चापाकल भी खराब रहने से यात्रियों की मुसीबत बढ़ती नजर आयी. दिन भर पानी नहीं रहने से शौच करनेवाले यात्रियों को भी परेशानी झेलनी पड़ी.

डीआरएम के आगमन पर चुस्त रहा इंतजाम, अब हो गया सुस्त

बीते 26 फरवरी को डीआरएम मनोज कुमार अग्रवाल के आगमन को लेकर स्टेशन पर सारा इंतजाम चुस्त दिखा, मगर तीन-चार दिनों में ही सब कुछ सुस्त हो गया.

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