प्रत्येक दो किमी की दूरी पर बनेगा जल संग्रहण केंद्र
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कवायद. अग्निशमन दस्ते को पानी के लिए नहीं भटकना पड़ेगा
प्रत्येक दो किमी की दूरी पर बनेगा जल संग्रहण केंद्र अगलगी की लगातार हो रही घटनाओं पर काबू पाने के लिए जिले में जल संग्रहण केंद्र का निर्माण कराया जायेगा. इसकी स्वीकृति राज्य सरकार ने दे दी है. प्रत्येक दो किमी की दूरी पर एक जल संग्रहण केंद्र बनाया जायेगा. प्रत्येक दो किमी की दूरी […]
अगलगी की लगातार हो रही घटनाओं पर काबू पाने के लिए जिले में जल संग्रहण केंद्र का निर्माण कराया जायेगा. इसकी स्वीकृति राज्य सरकार ने दे दी है.
प्रत्येक दो किमी की दूरी पर एक जल संग्रहण केंद्र बनाया जायेगा. प्रत्येक दो किमी की दूरी पर जल संग्रहण केंद्र का निर्माण हो जाने से अग्निशमन दस्ते को पानी के लिए दूर नहीं जाना पड़ेगा. वर्तमान समय में अग्निशमन दस्ते को आग बुझाने के लिए पानी भरने के लिए पुलिस केंद्र जाना पड़ता है. फिलहाल छपरा, मढ़ौरा और सोनपुर में ही जल संग्रहण केंद्र हैं.
छपरा (सारण) : जिले में अगलगी की घटनाओं पर काबू पाने के लिए हाइडेंट जल संग्रहण केंद्र नहीं हैं. अग्निशमन केंद्र का मुख्यालय छपरा पुलिस केंद्र में है, जहां सबसे पुराना हाइडेंट है.
सोनपुर तथा मढ़ौरा मेंअग्निशमन केंद्र खोला गया है, लेकिन हाइडेंट (जल संग्रहण केंद्र) नहीं है. अग्निशमन वाहनों में पानी भर कर रखा जाता है. लेकिन एक स्थान पर आग बुझाने के बाद दूसरे स्थान पर आग बुझाने हेतु जाने के लिए पानी की समस्या उत्पन्न हो जाती है. इस कारण वाहन में पानी भरने के लिए अग्निशमन वाहन को पहले पुलिस केंद्र जाना पड़ता है.
पानी भरने में बीत जाता है समय : आग बुझाने के लिए अग्निशमन वाहन के समक्ष सबसे पहले पानी की समस्या उत्पन्न होती है. अग्निशमन वाहन को पानी के लिए भटकने में ही सर्वाधिक समय व्यतीत हो जाता है और इसी दौरान आग में हजारों की संपत्ति जल कर खाक हो जाती है.
एक स्थान पर आग बुझाने के बाद दूसरे स्थान पर जाने के पहले पानी भरने में ही घंटों का समय लग जाता है. इसके बाद अग्निशमन वाहन जब तक घटना स्थल पर पहुंचता है,तब तक सब कुछ जल कर स्वाहा हो जाता है.
अधिकतर तालाब व पोखरे में पानी नहीं
क्या है योजना
प्रत्येक दो किमी की दूरी पर हाइडेंट (जल संग्रहण केंद्र) बनेगा.
जल के मुख्य स्रोत से जोड़ कर हाइडेंट बनेगा.
हाइडेंट बन जाने से अग्निशमन वाहन को भटकना नहीं पड़ेगा.
पानी के लिए अग्निशमन वाहन के भटकने से आग में लाखों की संपत्ति जल कर राख हो जाती है.
शहर के पश्चिमी क्षेत्र से पूर्वी क्षेत्र आने और जाने में जाम का भी सामना करना पड़ता है.
कुआं व तालाब में भी नहीं है पानी
लगातार कई वर्षों से सूखे की मार झेल रहे इस जिले के कुआं व तालाब भी सूख गये हैं. अधिकतर तालाब व पोखरे में पानी नहीं है. आग लगने पर बोरिंग चलाकर लोग काबू पा रहे हैं. सूखे के कारण जल स्तर पर काफी नीचे चला गया है. चापाकल भी सूखने लगे हैं. तालाब के अलावा नहर-नाला भी सूख गये हैं.
क्या कहते हैं अधिकारी
आग बुझाने के लिए अग्निशमन वाहन को पानी भरने हेतु पुलिस केंद्र बार-बार आना पड़ता है. इस वजह से कई तरह की कठिनाई उत्पन्न होती है. पानी भरने में ही सबसे अधिक समय व्यतीत होता है और काफी जान-माल की क्षति होती है. हाइडेंट का निर्माण हो जाने से पानी की समस्या दूर हो जायेगी.
संतोष कुमार पांडेय, जिला अग्निशमन पदाधिकारी, सारण
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