वक्त ने खुशबू को बना दिया ‘खुशबू डॉन’
बम ब्लास्ट मामला. िवस्फोट में घायल खुशबू का पीएमसीएच में चल रहा इलाज अपराधी धर्मेंद्र राय ने खुशबू को पहुंचाया था कोर्ट परिसर अरुण को उड़ाने की थी योजना छपरा (सारण) : कुख्यात अपराधी अरुण साह तथा नन्हकी को बम ब्लास्ट कर उड़ाने की योजना थी. इसी योजना के तहत खुशबू कुमारी केन बम लेकर […]
बम ब्लास्ट मामला. िवस्फोट में घायल खुशबू का पीएमसीएच में चल रहा इलाज
अपराधी धर्मेंद्र राय ने खुशबू को पहुंचाया था कोर्ट परिसर
अरुण को उड़ाने की थी योजना
छपरा (सारण) : कुख्यात अपराधी अरुण साह तथा नन्हकी को बम ब्लास्ट कर उड़ाने की योजना थी. इसी योजना के तहत खुशबू कुमारी केन बम लेकर सिविल कोर्ट में सोमवार को पहुंची थी. खुशबू को अपराधी धर्मेंद्र राय अपने साथ लेकर आया था. सोमवार को ही अपराधी अरुण साह तथा नन्हकी की पेशी होनेवाली थी.
इस घटनाओं को अंजाम देने की योजना छपरा मंडल कारा में ही बनी थी. जेल में बंद कुख्यात अपराधी निकेश राय के इशारे पर इस घटना को अंजाम देने के लिए केन बम के साथ खुशबू पहुंची थी, लेकिन अरुण साह तथा नन्हकी पर हमला करने के पहले ही केन बम विस्फोट हो गया, जिसमें स्वयं खुशबू कुमारी समेत नौ लोग घायल हो गये.
लूट व हत्या के बाद हुआ मतभेद : नगर थाना क्षेत्र के छपरा कचहरी स्टेशन रोड स्थित एचडीएफसी बैंक की एटीएम में कैश लोड करते समय हुई गार्ड की हत्या तथा राइफल की लूट के बाद अरुण साह तथा धर्मेंद्र राय के बीच विवाद हो गया. अरुण को आशंका थी कि धर्मेंद्र राय पुलिस की मुखबिरी कर रहा है,
जिसके कारण उसने इस घटना को अंजाम दिया. अरुण साह द्वारा धर्मेंद्र के भाई की हत्या के बाद दोनों के बीच अदावत शुरू हो गयी. धर्मेंद्र ने अपने भाई की हत्या के प्रतिशोध में इस घटना को अंजाम दिया.
बदले के लिए की खुशबू से दोस्ती : धर्मेंद्र राय ने भाई की हत्या और पिता को घायल करने का बदला लेने की खातिर खुशबू कुमारी से दोस्ती की. साथ ही धर्मेंद्र ने जेल में बंद अपराधी निकेश राय तथा फरार चल रहे अपराधी महेश राय से भी दोस्ती बढ़ायी. यह दोस्ती और निकटता का मुख्य उद्देश्य अरुण साह और दो सहयोगियों को मौत के घाट उतारना है. खुशबू कुमारी ने धर्मेंद्र को सहयोग इस उद्देश्य से की है कि उसका नेटवर्क मजबूत बनें.
पुलिस ने कई ठिकानों पर मारे छापे : सिविल कोर्ट बम ब्लास्ट मामले में शामिल अपराधियों की गिरफ्तारी के लिए पुलिस ने संभावित ठिकानों पर छापेमारी शुरू कर दी है. पुलिस के द्वारा छपरा सदर के सलेमपुर, गड़खा थाना क्षेत्र के मीनापुर में छापेमारी की गयी. हालांकि, इस मामले में किसी की गिरफ्तारी की कोई सूचना नहीं है.
क्या है मामला
जिले के गड़खा थाना क्षेत्र के मीनापुर गांव के कुख्यात अपराधी धर्मेंद्र राय के भाई को अरुण साह एवं दो अन्य ने गोली मार कर मौत के घाट उतार दिया था. इस घटना में धर्मेद्र राय के पिता घायल हो गये थे. अरुण साह अपने दो साथियों के साथ धर्मेंद्र की हत्या करने पहुंचा था, लेकिन उस समय धर्मेद्र घर पर नहीं था.
धर्मेंद्र नहीं मिला तो, अरुण ने धर्मेंद्र के भाई और पिता को निशाना बना लिया. पहले से धर्मेंद्र राय और साह एक ही गिरोह में कार्य करते थे. धर्मेंद्र और अरूण के बीच मतभेद होने के कारण यह घटना हुई. क्राइम करने के बाद अरुण साह धर्मेंद्र के घर पर ही पनाह लेता था.
छपरा (सारण) :इसे वक्त का तकाजा कहें या संगत का असर, खुशबू कब डॉन बन गयी. यह उसके गांव के लोग भी नहीं समझ पाये. 25 वर्षीया खुशबू जिले के अवतार नगर थाना क्षेत्र के झौंवा बसंत गांव के बालेश्वर सिंह की पुत्री है. बचपन से चचेरे भाइयों द्वारा पारिवारिक संपत्ति के विवाद को देखते-देखते वह क्षेत्र के कुख्यात अपराधियों की संगत में आयी और खुशबू से ‘खुशबू डॉन’ बन बैठी.
खुशबू डॉन के असली चेहरे से प्रशासन और आम लोग सोमवार को उस वक्त वाकिफ हुए जब व्यवहार न्यायालय परिसर में अपराधी अरुण साह तथा नन्हकी को उड़ाने के लिए लेकर आयी ‘केन बम’ की खुद शिकार हो गयी. फिलहाल उसका इलाज पीएमसीएच में चल रहा है. केन बम को बैग में रखकर अपनी गोद में लेकर बैठी थी, जो विस्फोट कर गया.
खुशबू ने जब होश संभाला, तो वह पिता बालेश्वर सिंह के भूमि विवाद के कारण प्रताड़ित होते देखा. उसके पट्टीदारों से 2001 से ही संपत्ति विवाद चल रहा है. खुशबू कुमारी की चार बहनें व तीन भार्इ हैं. दो बहन तथा एक भाई की शादी हो चुकी है. खुशबू सबसे छोटी है. बड़ी बहन वंदना कुमारी तथा कुसुम कुमारी की शादी हो चुकी है.
खुशबू तथा उससे बड़ी मधु अविवाहित हैं. पट्टीदारों की प्रताड़ना से तंग खुशबू ने 2005 में उन लोगों से मेल-जोल बढ़ाया जिन लोगों से खुशबू के पट्टीदारों की दुश्मनी हो गयी. इसकी शुरुआत मिर्जापुर पंचायत के मुखिया संजय सिंह की हत्या के साथ हुई.
आठ दिसंबर 2004 को मुखिया की गोली मार कर हत्या कर दी
गयी, जिसमें जेल में बंद अपराधी निकेश राय के भाई राकेश राय समेत अन्य का हाथ था. दरअसल खुशबू कुमारी के पट्टीदार मुखिया के समर्थक थे और मुखिया द्वारा उसके पट्टीदारों को सहयोग किया जाता था. इस घटना के बाद मुखिया समर्थकों और खुशबू के पट्टीदारों से राकेश राय गिरोह की अदावत शुरू हो गयी.
इसी समय खुशबू का संपर्क राकेश राय के भाई कुख्यात निकेश राय से हुआ और इसके बाद अपराधियों से दोस्ती बढ़ती चली गयी.