पुलिस बन कर घर में घुसे थे अपराधी

बम ब्लास्ट कनेक्श्न. खुशबू के साथी धर्मेंद्र के घर हुए हमले का खुल रहा राज धर्मेंद्र की बहन रूपा के बयान पर दर्ज हुई प्राथमिकी गड़खा : अपराधी धर्मेंद्र राय के घर पर हमला करने आये अपराधी पुलिस पदाधिकारी बन कर आये थे. दो बाइकों पर सवार चार अपराधी पहुंचे और दो अपराधी गेट के […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | April 22, 2016 3:59 AM

बम ब्लास्ट कनेक्श्न. खुशबू के साथी धर्मेंद्र के घर हुए हमले का खुल रहा राज

धर्मेंद्र की बहन रूपा के बयान पर दर्ज हुई प्राथमिकी
गड़खा : अपराधी धर्मेंद्र राय के घर पर हमला करने आये अपराधी पुलिस पदाधिकारी बन कर आये थे. दो बाइकों पर सवार चार अपराधी पहुंचे और दो अपराधी गेट के पास खड़े रह गये, जबकि दो अपराधी अंदर प्रवेश कर गये. इसी समय धर्मेंद्र की बहन रूपा कुमारी, शोभा कुमारी, पिता रामनाथ राय, मां फुलपति देवी, दादा-दादी बैठे थे. अंदर पहुंचे दो में से एक अपराधी जो लंबे कद का था और लंबे बालवाला था, उसने अपना परिचय डीएसपी के रूप में दिया और धर्मेंद्र के पिता से बोला कि उससे कुछ पूछताछ करनी है. इसका विरोध रूपा ने किया, तो डीएसपी बन कर आये अपराधी ने उसे थप्पड़ मार दिया. इसके बाद रूपा घर के अंदर चली गयी. बाद में उसके पिता को बाहर ले गये और गोली मारने लगे.
गोली की आवाज सुन कर रूपा तथा उसकी मां जब बाहर निकली, तो उसे भी अपराधियों ने गोली मार दी. गोली मारने के बाद दोनों बाइकों पर सवार होकर चारों अपराधी डोरीगंज की तरफ चले गये. इस बात का खुलासा गुरुवार को दर्ज प्राथमिकी में की गयी है. धर्मेंद्र की बहन रूपा कुमारी के बयान पर पुलिस ने प्राथमिकी दर्ज की है. पुलिस मामले की जांच कर रही है़ थानाध्यक्ष रमेश कुमार महतो ने बताया कि प्राथमिकी दर्ज कर ली गयी है और इसकी जांच की जा रही है.
कौन है मास्टर माइंड : मंडल कारा छपरा में बंद अपराधियों को इन बड़े अापराधिक वारदातों को अंजाम देने के लिए उकसाने वाला ‘मास्टर माइंड’ कौन है. सूत्रों के अनुसार, एक सजायफ्ता बंदी लंबे समय से मंडल कारा में बंद है जो इन दिनों ‘मास्टर माइंड’ के रूप में चर्चित है. तीहरे हत्याकांड से लेकर हाल के दिनों तक हुई घटनाओं को अंजाम देने के लिए उकसाने में उसी का हाथ है. हालांकि अधिकारिक रूप से ‘मास्टर माइंड’ के नाम का खुलासा नहीं हुआ है.
लेकिन पुलिस प्रशासन भी मास्टर माइंड को चिन्हित कर रही है. मास्टर माइंड के द्वारा ही जेल के अंदर बंदियों को कई गुटों में बांट कर उन्हें आपस में लड़ाया-भिड़ाया जा रहा है.
लंबे समय से नहीं हुई है छापेमारी मंडल कारा अपराधिक षड्यंत्र की योजना बनाने की खुलासा के बावजूद जिला प्रशासन द्वारा छापेमारी नहीं की जा रही है. अपराधियों के द्वारा मोबाइल का इस्तेमाल करना आम बात है. व्यवहार न्यायालय तथा मीनापुर की घटना में इस बात का खुलासा हो चुका है कि जेल से ही इन घटनाओं की योजना बनी थी.

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