जलसंकट से जूझ रहे, फिर भी कर रहे बरबाद

जल संकट की समस्या से आम व खास सभी तबके के लोग परेशान हैं. भीषण गरमी के इस मौसम में जिले के विभिन्न इलाकों में जल संकट से जूझ रहे लोग आंदोलन पर उतारू हैं. जल संकट को दूर करना सरकार व प्रशासन के लिए चुनौती बना हुआ है. इस जिले में सबसे गंभीर समस्या […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | May 6, 2016 3:40 AM

जल संकट की समस्या से आम व खास सभी तबके के लोग परेशान हैं. भीषण गरमी के इस मौसम में जिले के विभिन्न इलाकों में जल संकट से जूझ रहे लोग आंदोलन पर उतारू हैं. जल संकट को दूर करना सरकार व प्रशासन के लिए चुनौती बना हुआ है. इस जिले में सबसे गंभीर समस्या भू-जल स्तर में आ रही गिरावट है. फिर भी जल की हो रही बरबादी के प्रति लोग उदासीन तथा लापरवाह बने हुए हैं.

छपरा(सारण) : जल संकट से लोग जूझ रहे हैं, फिर भी जल की हो रही बरबादी के प्रति उदासीन तथा लापरवाह बने हुए हैं. जल बचाना सामाजिक दायित्व भी है. इसके प्रति जागरूक करने के लिए सरकार व प्रशासन द्वारा कोई सार्थक पहल भी शुरू नहीं की गयी है. यहां की प्रमुख नदियों गंगा, सरयू तथा गंडक के भी जल स्तर में काफी गिरावट आयी है, जिसका असर सहायक नदियों, तालाबों, सरोवरों व कुों पर पड़ा है. सभी सूखते जा रहे हैं.

इस वर्ष जिले में भू-जल स्तर औसत से छह फुट से अधिक नीचे चला गया है. बाथरूम के नल लिकेज से लेकर बरतन धोने और नहाने तथा कार धोने के दौरान की जा रही जल की बरबादी के जो आंकड़े सामने आये हैं, वे काफी चौंकानेवाले हैं.

पानी बचाना सामाजिक जिम्मेवारी : जल मीनार से लेकर घरों तक पहुंचाने में 40 प्रतिशत पानी बरबाद हो जाता है, जिससे लाखों का नुकसान सरकार को होता है. शहरी और ग्रामीण इलाकों के घरों तक पानी पहुंचाने का काम स्थानीय निकायों के जिम्मे है, लेकिन पुरानी पाइप लाइन और टेक्नोलॉजी के कारण 30 से 40 प्रतिशत तक पानी पाइप लाइन लिकेज के कारण बरबाद हो रहा है.

ब्रश के समय नल बंद करने से बचेगा 700 लीटर : ब्रश करते समय वॉश बेसिन का नल खुला है, तो एक बार में 4 से 5 लीटर पानी बह जाता है. यानी महीने में 150 लीटर. चार लोगों के परिवार में 600 से 700 लीटर पानी ऐसे ही बरबाद हो जाता है.

टॉयलेट लीक हो, तो पांच हजार लीटर पानी की बरबादी : अक्सर टॉयलेट टैंक लीक करता रहता है. इसे रोक लिया जाये, तो पांच हजार लीटर पानी हर महीने बच जायेगा. फ्लश के बदले बाल्टी का इस्तेमाल कर रोज करीब सौ से सवा सौ लीटर पानी बचा सकते हैं.

वाशिंग मशीन का पूरा इस्तेमाल पानी बचायेगा : कपड़े दो जोड़ी धोएं या 10 जोड़ी, पानी उतना ही लगता है. इसलिए वॉशिंग मशीन तभी यूज करें, जब बहुत से कपड़े धोने हों. इससे हर महीने करीब 4500 लीटर पानी बच सकता है.

नहाने में करें बाल्टी का इस्तेमाल : शाॅवर की जगह नहाने में बाल्टी का इस्तेमाल कर 80 प्रतिशत तक जल बचा सकते हैं. 80 प्रतिशत पानी शॉवर से नहाने में नष्ट हो जाता है. इसकी जगह बाल्टी का इस्तेमाल करना ज्यादा उचित माना जा रहा है. एक बाल्टी पानी से नहाने लगें तो नहाने में इस्तेमाल पानी का 80 प्रतिशत बच जायेगा.

बर्तन धोने में करें टब का इस्तेमाल : नल के नीचे बरतन धोने के बदले अगर बाल्टी या टब से पानी लेकर धोने से चार लोगों के परिवार में रोजाना करीब 20 से 25 लीटर पानी बच जाता है.

नल बंद कर शेविंग करें : शेविंग करते समय नल खुला छोड़ने से पांच से सात लीटर पानी बरबाद होता है. इसके बजाय मग में पानी लेकर शेविंग करें. ऐसा करने से एक महीने में करीब 200 ली. पानी बचाया जा सकता है.

कार धोने में हो रही है पानी की बरबादी : पाइप से कार धोने में एक बार में डेढ़ सौ लीटर पानी खर्च होता है. जबकि बाल्टी में पानी लेकर कार साफ करें, तो महज 20 लीटर खर्च होगा. यानी हर बार आप करीब 130 लीटर पानी बचा सकते हैं.

जिले में भू-जल स्तर औसत से छह फुट से अधिक नीचे चला गया

आरओ मशीन से होता है सालाना 14 हजार लीटर पानी नष्ट

इस पानी का इस्तेमाल करें. घरों में लगे जल शुद्धीकरण यंत्र से सबसे अधिक पानी की बरबादी हो रही है. शुद्ध जल प्राप्त करने के लिए बड़े पैमाने पर आरओ मशीन का प्रयोग हो रहा है. घर या सरकारी दफ्तरों तथा सर्वाजनिक स्थलों पर लगाये गयी आरओ मशीन जल की बरबादी का बहुत बड़ा कारण बन रही हैं. घर में लगे आरओ मशीन से एक लीटर पानी निकालने में तीन से चार लीटर तक पानी बरबाद हो जाता है. यानी 60 प्रतिशत से 75 प्रतिशत पानी की बरबादी. इस हिसाब से अगर घर में रोज 10 लीटर पानी खपत हो रहा है तो 30 से 40 लीटर पानी हम बिना इस्तेमाल किये फेंक देते है. यानी महीने में 1200 लीटर और साल में 14,400 लीटर. इसका इस्तेमाल पेड़-पौधों को सींचने , टॉयलट और गाड़ी धोने में किया जा सकता है.

इस तरह करें जल

की बचत

बाथरूम में लीकेज से होती है प्रति घंटे एक लीटर पानी की

बरबादी. घर का 75 प्रतिशत पानी बाथरूम में खर्च होता है. मामूली लीकेज से ही हर महीने 250 लीटर पानी बरबाद हो जाता है. स्टडी के मुताबिक लीकेज में एक नल से हर मिनट 45 बूंद पानी टपकता है.यानी तीन घंटे में एक लीटर से ज्यादा पानी बह जाता है.

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