नहीं की जा रही जांच गंडामन हादसे के बावजूद नहीं लिया सबक
नहीं होती है एमडीएम अनुश्रवण समिति की नियमित बैठक 312 में से 139 विद्यालयों में नहीं हैं किचेन शेड खुले में बनता है खाना छपरा : बहुचर्चित गंडामन एमडीएम कांड को तीन वर्ष होनेवाले हैं. लेकिन अब भी इस जिले में एमडीएम के कार्यान्वयन के प्रति शिक्षा विभाग तथा जिला प्रशासन के अधिकारियों की कार्य […]
नहीं होती है एमडीएम अनुश्रवण समिति की नियमित बैठक
312 में से 139 विद्यालयों में नहीं हैं किचेन शेड खुले में बनता है खाना
छपरा : बहुचर्चित गंडामन एमडीएम कांड को तीन वर्ष होनेवाले हैं. लेकिन अब भी इस जिले में एमडीएम के कार्यान्वयन के प्रति शिक्षा विभाग तथा जिला प्रशासन के अधिकारियों की कार्य प्रणाली घोर लापरवाही पूर्ण बनी हुई है. धर्मासती गंडामन गांव में 16 जुलाई ,2013 को एमडीएम खाने से 23 छात्रों की मौत हो गयी थी और करीब 40 से अधिक छात्र गंभीर रूप से बीमार हो गये थे. इस घटना के बाद जिला, प्रमंडल, राज्य व राष्ट्रीय स्तर की कई बड़ी-बड़ी टीमों के द्वारा जांच की गयी और जांच के दौरान कई महत्वपूर्ण दिशा-निर्देश दिये गये. यह घटना जिस विद्यालय में हुई थी, वह विद्यालय भवन विहीन था और किचेन शेड भी उस विद्यालय में नहीं था.
प्रखंडों में गठित मेडिकल टीम निष्क्रिय
क्या दिया गया निर्देश
भवन विहीन विद्यालयों को भवन वाले विद्यालयों में टैग करना
किचेन शेड विहीन विद्यालयों में शीघ्र किचेन शेड का निर्माण कराना
प्रत्येक प्रखंडों में मेडिकल टीम का गठन करना
मेडिकल टीम द्वारा नियमित रूप से विद्यालयों का भ्रमण कर एमडीएम की जांच करने व नमूना संग्रह कर संबंधित संस्थान में भेजना
जिलास्तरीय एमडीएम अनुश्रवण समिति की बैठक नियमित रूप से करना
बैठक में लिये गये निर्णयों का अनुपालन सुनिश्चित करना
क्या है स्थिति
जिले के 312 में से 139 स्कूलों में नहीं हो सका किचेन शेड का निर्माण
प्रखंडों में नहीं है मेडिकल टीम
तीन वर्षों में किसी भी प्रखंड से मेडिकल टीम ने नहीं भेजी रिपोर्ट
जिलास्तरीय एमडीएम अनुश्रवण समिति की कई माह से नहीं हुई है बैठक
बैठक नहीं होने से एमडीएम का कार्यान्वयन हो रहा है प्रभावित
विद्यालयों में एमडीएम की जांच के नाम पर अधिकारी कर रहे हैं शिक्षकों का आर्थिक शोषण
भवन विहीन विद्यालयों में नहीं हो रहा है भवन का निर्माण
किचेन शेड निर्माण के लिए आवंटित राशि खाते में बेकार पड़ी है
विद्यालय बने राजनीति के अड्डे
जिले के अधिकतर विद्यालय राजनीति के अखाड़े बने हुए हैं. विद्यालयों में पदस्थापित शिक्षक और विद्यालय शिक्षा समिति के बीच समन्वय के अभाव रहने के कारण एक दूसरे के खिलाफ आरोप-प्रत्यारोप और मुकदमेबाजी चल रही है. शिक्षा को दरकिनार कर शिक्षक और शिक्षा समिति के सदस्य आपस में उलझे हैं. यह गंभीर चिंता का विषय है. प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी और सीआरसी-बीआरसी के समन्वयक तथा केआरपी भी एमडीएम का चावल बेचने और आपस में बंदरबांट करने में मशगूल हैं. विगत छह माह के अंदर जिले में करीब चार दर्जन से अधिक मामले एमडीएम की चोरी व घोटाले से जुड़े हुए थानों में दर्ज किये गये हैं, जिसमें शिक्षकों की ही भूमिका अग्रणी रही है. एमडीएम चावल की आपूर्ति करनेवाले संवेदकों की कार्य प्रणाली भी शुरू से संदेह के घेरे में रही है और एमडीएम के चावल को कालाबाजारी में पहुंचाने में संवेदक भी सक्रिय रहते हैं.