कानूनी प्रक्रिया के बाद दिया जाता है गोद
देश-विदेश के 35 दंपतियों ने अपनाया इन अबोधों को झाड़ी, कूड़े-कचरे के ढेर या अन्य स्थानों पर फेके गये नवजातों को उठाकर समाज कल्याण विभाग की देखरेख में ममता की छांव देती है संस्था छपरा स्थित दत्तक ग्रहण केंद्र में अभी 22 नवजातों का हो रहा पालन-पोषण 60% निरक्षर, 40% बच्चे नहीं जाते स्कूल छपरा […]
देश-विदेश के 35 दंपतियों ने अपनाया इन अबोधों को
झाड़ी, कूड़े-कचरे के ढेर या अन्य स्थानों पर फेके गये नवजातों को उठाकर समाज कल्याण विभाग की देखरेख में ममता की छांव देती है संस्था
छपरा स्थित दत्तक ग्रहण केंद्र में अभी 22 नवजातों का हो रहा पालन-पोषण
60% निरक्षर, 40% बच्चे नहीं जाते स्कूल
छपरा : मुख्यालय से सटे खेमाजी टोला के 60 फीसदी लोग आज भी साक्षर नहीं हैं. शहरी क्षेत्रों में होते हुए भी वहां के 40 फीसदी बच्चे स्कूल नहीं जाते हैं. उक्त तथ्य जेपीविवि के एनएसएस स्वयं सेवियों के सर्वेक्षण में निकल कर सामने आया है. एनएसएस ने अंतर्राष्ट्रीय साक्षरता दिवस पर आयोजित साक्षरता सप्ताह के अंतर्गत शनिवार को टोले के कुल सौ परिवारों का डोर-टू-डोर सर्वेक्षण किया. सर्वेक्षण के लिए विहित प्रपत्र का प्रयोग किया गया. सर्वे में खुलासा हुआ कि 85 प्रतिशत लोगों को भारत सरकार या राज्य सरकार की कल्याणकारी योजनाओ की जानकारी नहीं है.
50 फीसदी लोगों का जन-धन योजना का खाता नहीं खुला है तो इतने ही लोगों के घरों में शौचालय नहीं ओर लोग खुले में शौच जाते हैं. 60 फीसदी पेयजल के लिए चापाकल पर आश्रित हैं तो उतने ही लोगों को एड्स जैसी महामारी की जानकारी तक नहीं. केवल 65 प्रतिशत लोग मताधिकार का प्रयोग करते हैं. शेष 35 फीसदी इसमें रुचि नहीं लेते. 35 फीसदी लोगों को ही किसी सरकारी योजना का लाभ मिला है तो 60 प्रतिशत को केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी योजना बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ की जानकारी नहीं है. 40 फीसदी लोग रक्तदान की जानकारी नहीं रखते. सर्वेक्षण रिपोर्ट पेश करते हुए एनएसएस के विवि समन्वयक, विद्या वाचस्पति त्रिपाठी ने बताया कि सर्वेक्षण की जानकारियों के आधार पर अब स्वयं सेवक साक्षरता व बच्चों का विद्यालय में नामांकन कराने का अभियान चलायेंगे.
वहीं अन्य समस्याओं के निदान का कार्यक्रम भी चलाया जायेगा.
नोट. फोटो नंबर 9 सीएचपी 5 है. कैप्सन होगा- सर्वेक्षण करते एनएसएस के स्वयं सेवक