लावारिस नवजातों को मिल रहा ‘घर’

न्यूजीलैंड के दंपती ने बच्ची को ली गोद छपरा (सदर) : जिन लावारिस नवजातों को माताएं मरने के लिए चौक चौराहे या झाड़ियों में फेंक देती हैं उन्हें समाज कल्याण विभाग द्वारा चलाये जा रहे दत्तक ग्रहण केंद्र के माध्यम से नया व खुशहाल जीवन मिल रहा है. ऐसे लावारिस बच्चे या बच्चियों को देश-विदेश […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 10, 2016 5:37 AM

न्यूजीलैंड के दंपती ने बच्ची को ली गोद

छपरा (सदर) : जिन लावारिस नवजातों को माताएं मरने के लिए चौक चौराहे या झाड़ियों में फेंक देती हैं उन्हें समाज कल्याण विभाग द्वारा चलाये जा रहे दत्तक ग्रहण केंद्र के माध्यम से नया व खुशहाल जीवन मिल रहा है. ऐसे लावारिस बच्चे या बच्चियों को देश-विदेश की संपन्न दंपती अपना रहे हैं. सरकारी प्रावधान के तहत इन लावारिस बच्चों को अपनाने के लिए वे विभिन्न कानूनी प्रावधानों का अनुपालन सहर्ष करते हैं.
15 माह की भाग्यशाली को न्यूजीलैंड की दंपती ने अपनाया : छपरा स्थित दत्तक ग्रहण केंद्र में एक वर्ष तीन माह पूर्व लायी गयी भाग्यशाली को न्यूजीलैंड में सॉफ्टवेयर कंपनी तथा सरकारी कार्यालय में काम करने वाले दंपती पूरन बासवानी तथा वंदना बासवानी ने शनिवार को अपनाया. वे विगत 10 वर्षों से न्यूजीलैंड में ही कार्यरत हैं.
डीएम दीपक आनंद ने शनिवार को अपने कार्यालय कक्ष में विधिवत बासवानी दंपती को एक वर्ष तीन माह की बच्ची ‘भाग्यशाली’ को सौंपा. इस अवसर पर डीएम ने कहा कि ऐसे बच्चों को ममता की छांव देकर बेहतर जीवन देने से बड़ा कोई पुण्य नहीं हो सकता. इस अवसर पर जिला बाल संरक्षण इकाई के सहायक निदेशक भाष्कर प्रियदर्शी, जिला बाल संरक्षण पदाधिकारी सुधीर कुमार, दत्तक ग्रहण केंद्र की संयोजिका श्वेता कुमारी उपस्थित थीं.
एक वर्ष में 35 लावारिसों को मिली गोद : छपरा अवस्थित दत्तक ग्रहण केंद्र में विभिन्न स्थानों पर लावारिस फेंके गये नवजात बच्चे-बच्चियों में से 35 को देश के बाहर या राज्य के बाहर के दंपतियों ने अपनाया. इनमें दिल्ली, कानपुर आदि स्थानों के चिकित्सक, व्यवसायी आदि शामिल हैं. जिला बाल संरक्षण इकाई के सहायक निदेशक के अनुसार बाल संरक्षण अधिनियम के प्रावधानों के तहत इन बच्चों को किसी भी दंपती को सौंपा जाता है.
आवेदन के निर्धारित अवधि के बाद ही दंपती को किसी बच्चे को सौंपा जाता है. इसके लिए भी शर्तें निर्धारित हैं कि कौन से दंपती इन बच्चों को अपना सकते हैं. वर्तमान में जिला मुख्यालय स्थित दत्तक ग्रहण केंद्र में 22 अबोध बच्चे एवं बच्चियां सरकारी देखरेख में ममता की छांव पा रही हैं.

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