जमानत लेने के बावजूद 13 साल से निलंबित है विष्णुदेव, जबकि दो अन्य फरार कर्मियों पर कोई कार्रवाई नहीं
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जमानत लेने वाला निलंबित, फरार कर रहे काम
जमानत लेने के बावजूद 13 साल से निलंबित है विष्णुदेव, जबकि दो अन्य फरार कर्मियों पर कोई कार्रवाई नहीं 2001 में रिविलगंज प्रखंड में पांच व्यक्तियों को इंदिरा आवास आवंटन में अनियमितता के मामले में तत्कालीन बीडीओ समेत आठ पर निगरानी कोर्ट में हुआ था मुकदमा छपरा (सदर) : रिविलगंज प्रखंड में 15 वर्ष पूर्व […]
2001 में रिविलगंज प्रखंड में पांच व्यक्तियों को इंदिरा आवास आवंटन में अनियमितता के मामले में तत्कालीन बीडीओ समेत आठ पर निगरानी कोर्ट में हुआ था मुकदमा
छपरा (सदर) : रिविलगंज प्रखंड में 15 वर्ष पूर्व इंदिरा आवास योजना के आवंटन में अनियमितता के मामले में निगरानी कोर्ट में मुकदमा दर्ज होने के बाद समाहरणालय का जिला स्थापना शाखा पक्षपातपूर्ण कार्यशैली का नमूना पेश कर रहा है. इस मामले में निगरानी से वारंट जारी होने के बाद नियमानुसार जमानत लेने वाला लिपिक विगत 13 साल से निलंबित है. वहीं इसी मामले के दो अन्य सरकारी कर्मी कोर्ट से फरार घोषित किये जाने के बावजूद जिला एवं अनुमंडल मुख्यालय में कार्य कर रहे हैं. स्थापना शाखा ने बार-बार पत्राचार के बावजूद नियम का पालन करने वाले लिपिक को साढ़े 13 साल में निलंबन मुक्त नहीं किया. वहीं फरार घोषित कर्मियों पर कोई कार्रवाई नहीं की गयी.
साढ़े 13 साल से निलंबित विष्णुदेव का परिवार बदहाल : रिविलगंज प्रखंड में सहायक के रूप में पदस्थापित विष्णुदेव प्रसाद सिंह पर इंदिरा आवास में अनियमितता के मामले में मुकदमा दर्ज होने के बाद नियमानुसार कोर्ट से जमानत लेकर विष्णुदेव काम करने लगे. 2001 में निलंबन के बाद से विष्णुदेव प्रसाद सिंह तथा उनकी पत्नी सुशिला देवी ने बार-बार सारण के जिला
पदाधिकारी और प्रमंडलीय आयुक्त को पत्र भेजकर निलंबन मुक्त कराने का आग्रह किया, लेकिन सुनवायी नहीं हुयी. एक वर्ष से अधिक निलंबित होने पर 75 फीसदी निलंबन भत्ता पाने का अधिकार होता है, लेकिन इतनी लंबी अवधि में अभी भी उसे 50 फीसदी निलंबन भत्ता मिल रहा है. निलंबन अवधि में छपरा सदर अनुमंडल कार्यालय में पदस्थापित विष्णुदेव के बच्चों की न तो पढ़ाई-लिखाई हो पा रही है और न बीमार पत्नी का इलाज.
तत्कालीन बीडीओ समेत आठ पर हुआ था मुकदमा : रिविलगंज प्रखंड के सिताब दियारा में पांच लोगों को अनियमित ढंग से इंदिरा आवास की राशि उपलब्ध कराने के मामले में रिवलिगंज प्रखंड के बैजुटोला निवासी विपिन कुमार सिंह ने 8 व्यक्तियों के विरुद्ध मुकदमा दर्ज कराया था, जिसमें रिविलगंज के तत्कालीन बीडीओ शैलेश कुमार, प्रखंड नाजिर विनोद कुमार, जनसेवक योगेंद्र राय, सहायक विष्णुदेव प्रसाद सिंह, कनीय अभियंता नागेंद्र सिन्हा, पंचायत सचिव योगेश्वर महतो, राजस्व कर्मचारी शत्रुघ्न शर्मा और ग्रामीण शिवनाथ सिंह को अभियुक्त बनाया गया था. इसमें सिताब दियारा के छठु तुरहा, तेजु राम, गीता देवी, खेलाड़ी राम, विजय सिंह को इंदिरा आवास का आवंटन अनियमित ढंग से करते हुए 20-20 हजार रुपये भुगतान का आरोप लगाया गया था.
आरोपित नाजीर व जनसेवक पर फरार घोषित होने के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं : रिविलगंज प्रखंड में इंदिरा आवास आवंटन में अनियमितता के मामले में निगरानी कोर्ट मुजफ्फरपुर में विविध वाद संख्या 55/2002 में जमानत लेने के बावजूद विष्णुदेव प्रसाद सिंह जो अनुमंडल कार्यालय छपरा सदर में जमानत लेने के बाद योगदान दिये उन्हें पुन: निलंबित कर दिया गया. इस मामले में आरोपी तत्कालीन बीडीओ शैलेश कुमार जमानत लेने के बाद अभी दरभंगा जिले के बेनीपुर नगर पंचायत में कार्यपालक
पदाधिकारी के पद पर कार्यरत है. फरार घोषित रिविलगंज के तत्कालीन नाजीर विनोद कुमार वर्तमान में सामाजिक सुरक्षा कोषांग तथा तत्कालीन जनसेवक योगेंद्र राय मढौरा में जनसेवक के पद पर कार्यरत हैं. उनके विरुद्ध जिला स्थापना शाखा ने कोई कार्रवाई नहीं की.
आरोपित कनीय अभियंता समेत तीन कर्मी हो गये रिटायर : इसी मामले में आरोपित तीन कर्मी कनीय अभियंता नागेंद्र सिन्हा, पंचायत सचिव योगेश्वर महतो तथा राजस्व कर्मचारी शत्रुघ्न शर्मा रिटायर हो गये. राशि लेने वाले तीन ग्रामीणों छठी तुरहा, तेजु राम तथा खेलाड़ी राम ने जहां विभाग को राशि वापस कर दी, वहीं दो अन्य ग्रामीण गीता देवी व विजय सिंह ने बाद में मकान बनवा लिया.
क्या कहते है उप समाहर्ता
2001 में रिविलगंज प्रखंड के सिताब दियारा में 5 ग्रामीणों को अनियमित ढंग से इंदिरा आवास आवंटन के मामले में विभागीय कर्मियों पर कार्रवाई के संबंध में जानकारी नहीं है. इस मामले में स्थापना शाखा के संबंधित लिपिक से पूरी जानकारी लेकर नियमानुसार कार्रवाई करेंगे. इसमें किसी भी प्रकार के पक्षपात की गुंजाइश नहीं होगी.
मो. उमैर,वरीय उप समाहर्ता, सह प्रभारी पदाधिकारी, जिला स्थापना शाखा
एक ही आरोप में तीन-तीन बार निलंबित हुआ लिपिक
इंदिरा आवास अनियमितता के मामले में डीएम द्वारा पहली बार विष्णुदेव प्रसाद सिंह को 28 मई 2001 को निलंबित किया गया. पुन: 9 फरवरी 2002 को निलंबन मुक्त किया गया. पुन: विविध वाद संख्या 55/2002 में गिरफ्तार होने के बाद डीएम ने 15 जुलाई 2013 को निलंबित कर दिया. जमानत पर रिहा होने के बाद पुन: 5 जुलाई 2013 को लिपिक ने सदर अनुमंडल कार्यालय में योगदान कर लिया. फिर 22 नवंबर 2013 को तीसरी बार तत्कालिन जिला पदाधिकारी ने निलंबित कर दिया. जबकि इस मामले में अन्य फरार अभियुक्तों पर कोई कार्रवाई नहीं हुई. वे अपने कार्यालय में मजे से काम कर रहे है.
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