अक्षय सुहाग की कामना के साथ महिलाओं ने की आंवले की पूजा

छपरा/डोरीगंज : र्तिक मास शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को आंवले के वृक्ष को रक्षा सूत्र बांध महिलाओं ने अक्षय सुहाग की कामना की. इसे लेकर प्रातः काल से ही महिलाओं का उत्साह चरम पर दिखा. बुधवार की सुबह ब्रह्म मुहूर्त से ही जगह-जगह आंवले के वृक्षों के पास पूजन सामग्री लेकर श्रद्धालु महिलाओं की […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 10, 2016 4:03 AM

छपरा/डोरीगंज : र्तिक मास शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को आंवले के वृक्ष को रक्षा सूत्र बांध महिलाओं ने अक्षय सुहाग की कामना की. इसे लेकर प्रातः काल से ही महिलाओं का उत्साह चरम पर दिखा. बुधवार की सुबह ब्रह्म मुहूर्त से ही जगह-जगह आंवले के वृक्षों के पास पूजन सामग्री लेकर श्रद्धालु महिलाओं की भीड़ जुटनी शुरू हो गयी.

इस दौरान महिलाओं ने आंवले के तने में लाल धागा बांध पूरे विधि विधान के साथ अक्षत, फूल व जल अर्पित कर पूजा-अर्चना की. ऐसी मान्यता है कि कार्तिक शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि से लेकर पूर्णिमा तक भगवान विष्णु व माता लक्ष्मी आंवले के वृक्ष में ही निवास करते हैं, जिसको लेकर आंवले के वृक्ष का पूजन खासकर इस दिन कई गुणा फलदायी माना जाता है. साथ ही आज के दिन इसी

वृक्ष की छाया में परंपरा के अनुसार महिलाएं भोजन बनाती हैं, जहां पुण्यलाभ की चाह में परिवार के लोग एक साथ प्रसाद ग्रहण करते हैं, जिससे परिवार में सुख, समृद्धि ,परस्पर प्रेम व शांति का वास माना जाता है. वहीं कार्तिक मास शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को अक्षय नवमी या आंवला नवमी के भी नाम से जाना जाता है. जानकार बताते है कि आज ही के दिन द्वापर युग की भी शुरुआत हुई थी.

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