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जमा-निकासी पर रहेगी आयकर की नजर

छपरा : 500 और 1000 के नोटों को बंद किये जाने के बाद उसे बैंकों में जमा करने वालों पर आयकर विभाग की भी नजर रहेगी. बैंकों या डाकघर में 10 लाख रुपये ये अधिक जमा करने वालों की सूचना संबंधित संस्थानों की ओर से आयकर विभाग को दिये जाने का निर्देश दिया गया है. […]

छपरा : 500 और 1000 के नोटों को बंद किये जाने के बाद उसे बैंकों में जमा करने वालों पर आयकर विभाग की भी नजर रहेगी. बैंकों या डाकघर में 10 लाख रुपये ये अधिक जमा करने वालों की सूचना संबंधित संस्थानों की ओर से आयकर विभाग को दिये जाने का निर्देश दिया गया है.

जांच के बाद बैंकों में कालाधन जमा करने वालों के खिलाफ आयकर अधिनियम में निहित प्रावधानों के तहत कार्रवाई होगी. बैंक या डाकघर के अपने खाते में ग्राहक को सेविंग अकाउंट में 50 हजार या इससे अधिक राशि जमा करने पर पैन नंबर बताना होगा.

आयकर अधिनियम 1961 की धारा 285बी.ए के प्रावधानों के तहत बैंक या डाकघर के किसी खाते में एक साल की अवधी में 10 लाख की अधिक की जमा या निकासी की सूचना आयकर विभाग को देना जरूरी है. करेंट अकाउंट में एक साल में 50 लाख या इससे अधिक जमा या निकासी की राशि की सूचना आयकर विभाग को देनी होगी.
आयकर विभाग को मिलने वाली सूचनाओं के आधार पर आयकर अधिकारी इस बात की जांच करेंगे की पांच सौ या हजार के नोटों के माध्यम से जमा करायी गयी राशि कालाधन है या नहीं. इसके लिए आयकर विभाग की ओर से संबंधित व्यक्ति को नोटिस जारी कर जमा कराये गये धन के श्रोत की जानकारी मांगी जायेगी.
इस प्रक्रिया के दौरान यदि यह साबित हुआ कि खाताधारी ने अपनी आमदनी का गलत ब्योरा देकर काला धन जमा किया है, तो उसके खिलाफ आयकर अधिनियम की धारा 270 ए के तहत कार्रवाई की जायेगी. इस धारा के तहत आयकर अधिकारी को टैक्स की राशि के मुकाबले 50 से 200 प्रतिशत तक अर्थ दंड लगाने का अधिकार है.
करेंट अकाउंट में 50 लाख से अधिक जमा होने पर होगी जांच

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