ईश्वर भक्ति के बिना मानव जीवन अधूरा

गीता जयंती सप्ताह . स्वामी वैराग्यानंद जी ने गीता के महत्व को समझाया दिघवारा : ईश्वर भक्ति के बिना मानव जीवन अधूरा है एवं निष्काम व निष्कपट भाव से किया गया काम ही भक्ति है. लिहाजा हर इंसान को बिना किसी स्वार्थ के ईश्वर भक्ति में मन रमाना चाहिए. उपरोक्त बातें नगर पंचायत के माल […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 13, 2016 5:25 AM

गीता जयंती सप्ताह . स्वामी वैराग्यानंद जी ने गीता के महत्व को समझाया

दिघवारा : ईश्वर भक्ति के बिना मानव जीवन अधूरा है एवं निष्काम व निष्कपट भाव से किया गया काम ही भक्ति है. लिहाजा हर इंसान को बिना किसी स्वार्थ के ईश्वर भक्ति में मन रमाना चाहिए. उपरोक्त बातें नगर पंचायत के माल गोदाम के सामने गीता जयंती समारोह समिति के तत्वावधान में आयोजित हो रहे गीता जयंती साप्ताहिक समारोह के दूसरे दिन श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए हिमाचल प्रदेश के प्रवचनकर्ता प्रकाश चैतन्य ने कही.चैतन्य ने कहा कि भगवान को लोग सिर्फ अपनी स्वार्थ की पूर्ति के लिए याद करते हैं,जबकि सच्चाई यह है कि भगवान हर वक्त अपने भक्तों का ख्याल रखते हैं. उन्होंने कहा कि अपने तो बुरे वक्त में साथ छोड़ देते हैं
वहीं परमात्मा हर इंसान के मुश्किल वक्त में काम आते हैं.भागवत के प्रसंगों की व्याख्या करते हुए उन्होंने कहा कि मन से की गयी ईश्वर भक्ति ही फलीभूत होता है.एक उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि जिस प्रकार कीचड़ में उगने वाले कमल की खासियत उसमें रहने वाला मेढक नहीं जान पाता है और दूरदराज के भौरा उसके पराग का पान करते हैं ठीक उसी प्रकार रसिक और भावुक व्यक्ति ही ईश्वर के शरणागत हो पाता है.उन्होंने कहा कि भगवान का साक्षात् स्वरुप ही भागवत है और मानव का सबसे बड़ा धर्म दान है इसलिए हर इंसान को अपने सामर्थ्य के अनुसार दान देना चाहिए.
अपने प्रवचन के दरम्यान चैतन्य जी ने तुम आजा कहां है मेरे श्याम प्यारे, दिलदार यार प्यारे गलियों में मेरे आजा, मैं तेरे बिना पल न रहूँ,दिल में प्यार वाला दीप जला दे आदि भजनों के सहारे हर किसी को झूमा दिया.वहीं स्वामी वैराज्ञानंद स्वामी जी परमहंस ने कहा कि गीता अध्यात्म है और इसका आध्यात्मिक मर्म यह है कि संसार एक प्रकार का युद्धस्थल है जिसमे प्रत्येक प्राणी सत्य और अच्छाइयों के लिए किसी न किसी बुराई से संघर्ष कर रहा है.स्वामी जी ने कहा कि गीता केवल धर्मग्रंथ न होकर मनुष्य मात्र के लिए एक श्रेष्ठ जीवन दर्शन है और इसके मनन व अध्ययन से व्यक्ति जीवन के सत्य का प्रत्यक्ष अनुभव करता है.देर रात तक चले प्रवचन में सुरेन्द्र प्रसाद, सीताराम प्रसाद, हरिचरण प्रसाद, राधेश्याम प्रसाद, अधिवक्ता मुनिलाल, मोहन शंकर प्रसाद, ओमप्रकाश सिंह, राममूर्ति, शिक्षक अरुण कुमार, नर्मदेश्वर कुमार संतोष, महाराज शरण, ईश्वरी सिंह, महेश स्वर्णकार, प्रो सुनील सिंह सरीखे लोग प्रवचन की अमृतवर्षा में सराबोर होते दिखाई पड़े.
दिघवारा में हरेक साल धूमाधाम से मनाया जाता है गीता जयंती सप्ताह
धर्मग्रंथ के अलावे श्रेष्ठ जीवन दर्शन है गीता

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