जिले में जल्द खुलेंगे कोऑपरेटिव बैंक
कवायद. प्रथम चरण में कोऑपरेटिव बैंक की तीन शाखाएं खुलेंगी छपरा (सदर) : भारतीय रिजर्व बैंक मानदंडों का अनुपालन नहीं करने को लेकर 15 वर्ष पूर्व बंद दी छपरा डिस्ट्रिक्ट सेंट्रल कोऑपरेटिव बैंक के इस माह में बोर्ड के गठन के बाद एक बार फिर खुलने का मार्ग प्रशस्त हो गया है. अब इसका नया […]
कवायद. प्रथम चरण में कोऑपरेटिव बैंक की तीन शाखाएं खुलेंगी
छपरा (सदर) : भारतीय रिजर्व बैंक मानदंडों का अनुपालन नहीं करने को लेकर 15 वर्ष पूर्व बंद दी छपरा डिस्ट्रिक्ट सेंट्रल कोऑपरेटिव बैंक के इस माह में बोर्ड के गठन के बाद एक बार फिर खुलने का मार्ग प्रशस्त हो गया है. अब इसका नया नाम ‘दि सारण डिस्ट्रिक्ट सेंट्रल कोऑपरेटिव बैंक’ होगा. आरबीआइ के निर्देश के आलोक में शेयर की राशि जिले के सभी पैक्सों एवं व्यापार मंडल के द्वारा जमा कराने की प्रक्रिया अंतिम दौर में है. ऐसी स्थिति में एक फरवरी 2002 को लाइसेंस रद्द होने के कारण बंद हुए दी छपरा डिस्ट्रिक्ट सेंट्रल कोऑपरेटिव बैंक से जुड़े बैंककर्मियों, उनके आश्रितों एवं किसानों में खुशी देखी जा रही है.
इस सप्ताह में चेयरमैन के चयन के बाद गठित होगा 14 सदस्यीय बोर्ड : रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के निर्देशानुसार दी सारण सेंट्रल कोऑपरेटिव बैंक के गठन के लिए पंजीयन हेतु निर्धारित शुल्क के रूप में राज्य सरकार तथा जिले के सभी पैक्स एवं व्यापार मंडल के माध्यम से बिहार स्टेट बैंक कोऑपरेटिव बैंक की शाखा में अपनी शेयर की राशि सभी पैक्स एवं व्यापार मंडल के द्वारा जमा कराया जा रहा है.
स्टेट कोऑपरेटिव बैंक के शाखा प्रबंधक अजय कुमार के अनुसार अबतक 90 प्रतिशत पैक्स एवं व्यापार मंडल के माध्यम से राशि जमा करायी जा चुकी है. इस मद में सबसे ज्यादा डुमरी बुजूर्ग पैक्स के अध्यक्ष व विश्कोमान के सुनील कुमार सिंह ने 51 हजार रुपये का शेयर खरीदा है. वहीं इस मद में दो करोड़ रुपये सरकार दे रही है. जिला सहकारिता पदाधिकारी के अनुसार बैंक के चेयरमैन का चयन होने के साथ ही 14 सदस्यीय बोर्ड का गठन कर पंजीयन की प्रक्रिया पूरी की जायेगी.
उधर नये नाम से शुरू होने वाले दी सारण डिस्ट्रिक्ट सेंट्रल कोऑपरेटिव बैंक के चेयरमैन के लिए आधा दर्जन सहकारिता से प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से जुड़े आधा दर्जन कद्दावर अपनी गोटी सेट करने में लगे हैं. जिनमें कम से कम तीन पैक्सों के अध्यक्ष एक विस्कोमान के राज्य स्तर की राजनीति में अपनी पकड़ बनाने वाले सहकारिता के नेता तथा जिले के पूर्व विधायक भी लगे हैं. अब देखना है कि एक सप्ताह के अंदर अध्यक्ष का ताज किसे मिलता है.
बंद कोऑपरेटिव बैंक के कर्मियों व परिजनों में जगी उम्मीदें : एक फरवरी 2002 को दी छपरा डिस्ट्रिक्ट छपरा सेंट्रल कोऑपरेटिव बैंक का लाइसेंस भारतीय रिजर्व बैंक के द्वारा बंद किये जाने समय 59 बैंककर्मी थे. बैंक के बंद होने व परिसमापन में जाने के साथ-साथ बैंक के खाताधारियों का भुगतान भी किया गया. परंतु, बैंक बंद होने के कारण इसमें कार्यरत शहर से लेकर ग्रामीण क्षेत्र की कुल 18 शाखाओं के कर्मियों में से कई मर गये तो कई बिना सेवांत लाभ के है.
बैंककर्मी रहे जितेंद्र सिंह जो बिहार कोऑपरेटिव बैंक इम्पलाइज फेडरेशन शाखा छपरा के कार्यालय रहे है. उनका कहना है कि एक तो बैंक बंद होने से किसानों को बैंक का लाभ नहीं मिल रहा था. वहीं बैंक में काम करने वाले अनुसेवक शिवलाल साह, सहायक लेखापाल प्रेम प्रकाश सिंह मर गये जबकि इस अवधि में अवकाश ग्रहण करने वाले अनुसेवक त्रिभुवन सिंह, शाखा प्रबंधक जिआउल रहमान, अनुसेवक उमाशंकर सिंह जहां आर्थिक तंगी से जूझ रहे हैं. वहीं शंकर राय, सुनील कुमार आदि को सेवांत लाभ भी नहीं मिला.
चालू माह में रिजर्व बैंक से पंजीयन कराने की प्रक्रियाएं हो जायेंगी पूरी
बैंक का नया नाम ‘दि सारण डिस्ट्रिक्ट सेंट्रल कोऑपरेटिव बैंक’ होगा
सभी पैक्स व व्यापार मंडल ने खरीदे अपने-अपने शेयर
चेयरमैन का चयन होगा व चौदह सदस्यीय बोर्ड का गठन होगा
एक फरवरी 2002 से कुल 18 शाखाएं हुई थीं बंद
वीरान पड़ा जिला मुख्यालय स्थित सेंट्रल कोऑपरेटिव बैंक का भवन.
क्या कहते हैं अधिकारी
चालू माह में ही दी सारण सेंट्रल कोऑपरेटिव बैंक के अध्यक्ष के चयन, बोर्ड के गठन तथा पंजीयन की प्रक्रिया पूरी हो जायेगी. इसके लिए आवश्यकता अनुसार जिले के सभी पैक्स व व्यापार मंडल ने भी अपना-अपना शेयर खरीदा है. इस बैंक के खुलने से 15 वर्ष पूर्व बंद हुए दी छपरा डिस्ट्रिक्ट सेंट्रल कोऑपरेटिव बैंक के अभाव में ग्रामीण क्षेत्रों में बैंकिंग सेवा पहुंचाने व किसानों को अधिक से अधिक लाभ मिलने की उम्मीद जगी है.
चंद्रशेखर सिंह, जिला सहकारिता पदाधिकारी, सारण