नहीं मिल रहा जमीन का नक्शा

छपरा (सदर) : सरकार के फैसले को लगभग तीन साल बाद भी अमल में नहीं लाये जाने के कारण जिले में शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्र के जमीन का नक्शा स्थानीय स्तर पर नहीं मिल रहा है. ऐसी स्थिति में जरूरतमंदों को सरकार के निर्धारित दर के दोगुने-तिगुने पर बिचौलियों से खरीदने या पटना स्थित गुलजार […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | April 7, 2017 7:57 AM
छपरा (सदर) : सरकार के फैसले को लगभग तीन साल बाद भी अमल में नहीं लाये जाने के कारण जिले में शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्र के जमीन का नक्शा स्थानीय स्तर पर नहीं मिल रहा है. ऐसी स्थिति में जरूरतमंदों को सरकार के निर्धारित दर के दोगुने-तिगुने पर बिचौलियों से खरीदने या पटना स्थित गुलजार बाग से जाकर खरीदने की मजबूरी है. यदि स्थानीय स्तर पर फोटो स्टेट किया हुआ नक्शा खरीदते हैं, तो उस नक्शे से जमीन की सही माप की संभावना क्षीण हो जा रही है.
जिला मुख्यालय के सदर अंचल में उपलब्ध कराने का लिया गया था फैसला : राज्य सरकार ने वर्ष 2014 में नीतिगत फैसला लिया. जिसके तहत पूर्व की भांति सदर अनुमंडल कार्यालय परिसर में जमीन का नक्शा नहीं देकर प्रत्येक जिला मुख्यालय के निकट सदर अंचल में ही नक्शा उपलब्ध कराने की योजना बनी. साथ ही इसके लिए बजाप्ता कार्यालय स्थापित कर एक कर्मी को तैनात करने का निर्णय लिया गया. जिससे जिले के ग्रामीण या शहरी जरूरतमंद जमीन का नक्शा संबंधित कार्यालय में 150 रूपया शुल्क देकर खरीद सकते है.
परंतु, सरकार ने एक ओर सदर अनुमंडल कार्यालय में ग्रामीणों की मांग पर उपलब्ध होने वाले नक्शा की व्यवस्था को बंद कर दिया. ऐसी स्थिति में सदर अंचल कार्यालय में नक्शा देने की व्यवस्था नहीं होने के कारण जरूरतमंदों को या तो पटना के गुलजारबाग स्थित प्रिंटिंग प्रेस में जाकर नक्शा खरीदना पड़ता है या बिचौलियों के माध्यम से खरीदते है तो उन्हें दुगनें, तिगुनें कीमत चुकानी पड़ती है.
1956 के बाद नहीं हुआ है सरकारी स्तर पर या लोकल सर्वें : सरकारी उदासीनता के कारण 1956 के बाद न तो सरकारी स्तर पर जमीन का सर्वे नहीं हुआ है. वहीं लोकल सर्वें भी कभी नहीं हुआ है. ऐसी स्थिति में जमीन के बारे में सही आंकड़ा लेना भी आम लोगों के लिए मुश्किल हो रहा है.
वहीं छपरा नगर पर्षद (नगरपालिका) की जमीन का न तो अबतक सर्वे हुआ है और न नक्शा मिल रहा है. ऐसी स्थिति में जमीन की सही पैमाइश नहीं हो पाने के कारण आम जनो को परेशानी हो रही है. सारण जिले में लगभग 1700 गांवों की जमीन के पैमाइश के लिए ग्रामीण क्षेत्रों में नक्शे की ज्यादा जरूरत होगी. नक्शा नहीं मिलने के कारण जमीन की मापी मुश्किल होने के साथ-साथ जमीन संबंधित विवाद भी बढ़ते हैं.

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