उदासीनता. शहर के 75 प्रतिशत वार्डों में विकास कार्यों की रफ्तार धीमी
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टेंडर नहीं मिल पाने से निर्माण कार्य रुका
उदासीनता. शहर के 75 प्रतिशत वार्डों में विकास कार्यों की रफ्तार धीमी छपरा(नगर) : छपरा में पहली बार नगर निगम का चुनाव होने जा रहा है. निगम बनते ही विकास की ऐसी कई योजनाएं हैं जिसका सीधा कंट्रोल निगम के मेयर तथा पार्षदों के हाथ में होगा. हालांकि नगर पर्षद रहते हुए भी विकास कार्यों […]
छपरा(नगर) : छपरा में पहली बार नगर निगम का चुनाव होने जा रहा है. निगम बनते ही विकास की ऐसी कई योजनाएं हैं जिसका सीधा कंट्रोल निगम के मेयर तथा पार्षदों के हाथ में होगा. हालांकि नगर पर्षद रहते हुए भी विकास कार्यों को गति देने की तमाम कोशिशें वार्ड पार्षदों द्वारा की गईं पर अधिकतर योजनाओं में नगर पर्षद का सपोर्ट नहीं मिल पाने के कारण प्रस्तावित योजनाएं पेंडिंग में चली गयी, जिस कारण वार्ड का विकास कार्य अवरूद्ध हो गया. शहर के लगभग 75 प्रतिशत वार्डों में प्रस्तावित योजनाओं पर टेंडर की स्वीकृति नहीं मिल पाने से निर्माण कार्य रुका हुआ है वहीं कई जगहों पर संवेदकों द्वारा सुस्त निर्माण ने आम लोगों की मुश्किलें और ज्यादा बढ़ा दी हैं.
सड़क व नाला निर्माण को लेकर उदासीन है नगर पर्षद का रवैया : शहरी क्षेत्र में विकास को लेकर नगर पर्षद द्वारा कार्य किये जाने के तमाम दावे किये जा रहे हैं पर शहर के 30 से भी ज्यादा वार्ड पार्षदों का मानना है कि उनके वार्ड के विकास को लेकर नगर पर्षद का रवैया उदासीन बना हुआ है. वार्ड पार्षदों का आरोप है कि बोर्ड की बैठक में उनके द्वारा बार-बार नये निर्माण को लेकर प्रस्ताव दिया जाता है पर जिन सड़कों के निर्माण को प्रमुखता दी जानी चाहिए, उसके टेंडर के बजाय कम लागत वाले दूसरे सड़क के निर्माण हेतु टेंडर पास कर दिया जाता है.
पार्षदों का कहना है कि विकास कार्यों को लेकर विभाग को जो लिखित आवेदन दिया जाता है उसपर भी कोई सुनवाई नहीं होती है. ऐसे में इन पार्षदों के सामने निगम का चुनाव है और वोटरों को समझा पाना तथा अपने कार्यों के आधार पर अपना वोट सुरक्षित कर पाना इनके लिए बड़ी चुनौती साबित हो सकती है.
पूर्वी क्षेत्र में आज तक नहीं गये एनजीओ के सफाईकर्मी : छपरा के पूर्वी क्षेत्र में आजतक एनजीओ के सफाईकर्मी अपनी ड्यूटी देने गये ही नहीं हैं. विदित हो कि नगर परिषद द्वारा वार्ड के सफाई को लेकर प्राइवेट एनजीओ को टेंडर दिया गया है पर जिस एजेंसी को टेंडर मिला है उसके सफाईकर्मी शहर के अंतिम छोर में स्थित वार्डों के तरफ जाते ही नहीं. वार्ड पार्षद कृष्णा राय, प्रमिला देवी, सरस्वती देवी, शिवबली, प्राण चंद्रवंशी, अर्चना देवी समेत शहर के अधिकतर वार्ड पार्षदों का कहना है कि उनके क्षेत्र में एनजीओ का कार्य काफी सुस्त है जिस वजह से वो चाह कर भी वार्ड में सफाई व्यवस्था को बेहतर नहीं बना पा रहे हैं.
निगम के चुनाव में वर्तमान पार्षदों के सामने होगी कड़ी चुनौती सड़क व नाला निर्माण कार्य
लगभग 50 मुहल्ले शहरी व्यवस्था से हैं अलग-थलग, बुनियादी सुविधाओं का अभाव
एक शहर के रूप में गत पांच वर्षों में छपरा शहर के बाजारों का खूब विकास हुआ है. शहर में बड़े-बड़े मॉल बन गये तथा रेस्टोरेंट कल्चर व आधुनिकता की चकाचौंध हावी हुई है, पर अब भी इस शहर में लगभग 50 ऐसे मुहल्ले हैं जो शहरी व्यवस्थाओं से कोसों दूर हैं. शहर के 1, 4, 5, 24, 40, 41,42, 43, 44 जैसे वार्डों में स्थित दर्जनों मुहल्लों में विकास कार्य धरातल से कोसों दूर है. इन मुहल्लों में रहने वाले लोग शुद्ध पेयजल, सड़क, नाला, लाइट, स्वास्थ्य जैसी बुनियादी सुविधाएं प्राप्त करने के लिए दिन रात संघर्षरत हैं. हालांकि वार्ड के विकास को लेकर पार्षदों की भूमिका सबसे प्रमुख मानी जाती है. वार्ड की समस्या के लिए आवाज उठाना और विभाग के साथ तालमेल बैठा कर योजनाओं को मूर्त रूप दिलाने के उद्देश्य से ही पूर्व के चुनाव में इनके द्वारा तमाम वादे किये गये थे. इस बार के चुनाव में एक बार फिर कुछ ऐसा ही माहौल बनाकर जनप्रतिनिधि मैदान में उतरने की तैयारी में है पर इस बार जनता भी अधिकतर वार्डों में बदलाव के मूड में नजर आ रही है.
योजनाओं के क्रियान्वयन पर जोर दिया जा रहा
शहरी क्षेत्र में विकास कार्यों में गति बढ़ी है. योजनाओं के शीघ्र क्रियान्वयन पर जोर दिया जा रहा है. एनजीओ सफाईकर्मियों को लगातार नियमित कार्य करने हेतु दिशानिर्देश जारी किया जाता है. वार्ड पार्षदों के बीच सामंजस्य स्थापित कार्य लंबित कार्यों का निष्पादन किया जायेगा. जल्द ही रुके निर्माण कार्य को पूरा कर लिया जायेगा.
अंजय कुमार राय, निगम आयुक्त, छपरा
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