करोड़ों जमा, पर दुकानें नहीं मिलीं
उदासीनता. मशरक में दो सौ तथा दिघवारा में पांच सौ दुकानों का निर्माण अधूरा छपरा (सदर) : जिला पर्षद की जमीन में मशरक तथा दिघवारा में निर्माणाधीन कम से कम 700 दुकानों को पूरा करने का मामला जिप प्रशासन की उदासीनता व कथित मिली भगत से खटाई में पड़ा है. इन दुकानों को अपने नाम […]
उदासीनता. मशरक में दो सौ तथा दिघवारा में पांच सौ दुकानों का निर्माण अधूरा
छपरा (सदर) : जिला पर्षद की जमीन में मशरक तथा दिघवारा में निर्माणाधीन कम से कम 700 दुकानों को पूरा करने का मामला जिप प्रशासन की उदासीनता व कथित मिली भगत से खटाई में पड़ा है. इन दुकानों को अपने नाम से आवंटित कराने के लिए दोनों स्थानों पर जरूरतमंद छोटे-मोटे व्यवसायियों या अन्य ग्रामीणों ने येन-केन प्रकारेण राशि एकत्र कर दुकान के लिए निर्धारित कीमत के सुरक्षित राशि के रूप में छह से सात करोड़ रुपये जमा करायें. इसके लिए विधिवत टेंडर पड़ा व आवंटन भी हुआ.
परंतु, दोनों स्थानों पर मामला कोर्ट में जाने के साथ-साथ कोर्ट के आदेश के बावजूद इन दुकानों के निर्माण का कार्य एक से डेढ़ वर्षों में पूरा नहीं हुआ. ऐसी स्थिति में कर्ज लेकर या अपने परिवार के गहने या जमीन बेच कर दुकान लेने तथा व्यवसाय कर जीवन सुखद बनाने का सपना संजोने वाले ग्रामीणों में मायूसी है. उनका कहना है कि कुछ स्थानीय लोगों के स्वार्थ व प्रशासनिक उदासीनता के कारण दुकान का निर्माण पूरा नहीं हो रहा है. वहीं लाखों लाख में पूंजी भी फंसी हुई है. जिसके मद में ब्याज भी देने की नौबत कुछ लोगों के समक्ष है. आखिर वे करें तो क्या करें.
थाना से लेकर न्यायालय तक डेढ़ दर्जन मामले हुए दर्ज : दिघवारा में लगभग साढ़े चार सौ दुकानों तथा मशरक में दो सौ दुकानों के निर्माण के लिए टेंडर के बाद लोगों ने सुरक्षित मनी के रूप में राशि जमा की जो नियमानुसार दुकान की कीमत के 50 फीसदी होती है. परंतु, दिघवारा तथा मशरक का मामला उच्च न्यायालय में जाने तथा उसके फैसले में काफी समय बीता. वहीं दिघवारा के मामले में उच्च न्यायालय ने दिघवारा नगर पंचायत के कार्यपालक पदाधिकारी को दुकानों का नक्शा पारित करने का निर्देश दिया
. वहीं मशरक में निर्माणाधीन दुकानों के संबंध में उच्च न्यायालय में जिला परिषद के पक्ष को सही बताते हुए नियमानुसार दुकानों के बनाने का आदेश भी पांच माह पूर्व दिया. परंतु, जब जिला पर्षद के पदाधिकारी दुकान बनाने के लिए पहुंचे, तो कुछ ने विरोध व हमला कर पूरे मामले को उलझा दिया. इस प्रकार इन दोनों स्थानों पर डेढ़ दर्जन मुकदमे जिला परिषद प्रशासन तथा ग्रामीणों के द्वारा दर्ज कराये जा चुके हैं. परंतु मशरक में प्रशासनिक कमजोरी के कारण दुकान का निर्माण ठप है. वहीं जिन लोगों ने इन दुकानों के लिए राशि जमा करायी है. वे अपने को ठगा महसूस कर रहें हैं. परंतु, मशरक में प्रशासन अपनी जमीन पर भी दुकान बनाने में भय खा रहा है. जिला पर्षद प्रशासन का कहना है कि इस संबंध में दो से तीन बार जिला प्रशासन को फोर्स उपलब्ध कराने के लिए पत्र लिखा गया है. इन दुकानों में दिघवारा नगर पंचायत क्षेत्र में 500 तथा मशरक प्रखंड मुख्यालय में 200 दुकानें शामिल है.
क्या कहते हैं अधिकारी
दिघवारा नगर पंचायत क्षेत्र में जिला पर्षद की दुकानों का नक्शा पुन: पास करने का निर्देश कोर्ट से मिला था. जिसके आलोक में छह माह पूर्व आर्किटेक्ट को जिम्मेवारी भी दी गयी थी. उसने निर्माणाधीन दुकानों के संबंध में कई आपत्तियां दर्ज की है. जिसके संबंध में जिला परिषद को रिपोर्ट भेज दी गयी है. जब तक जिला परिषद उन आपत्तियों का निराकरण नहीं करता मामला फंसा हुआ है.
शंकर प्रसाद, कार्यपालक पदाधिकारी, दिघवारा नगर पंचायत
मशरक में जिला परिषद की जमीन पर दुकान बनाने में कोर्ट के आदेश के बावजूद कुछ स्थानीय लोग विरोध कर रहे है. जिसके संबंध में जिला प्रशासन ने पुलिस बल उपलब्ध कराने के लिए बार-बार पत्राचार किया गया है. वहीं दिघवारा में हाइकोर्ट के निर्देश के आलोक में निर्माणाधीन दुकानों के नक्शा पास करने का मामला फंसा है. तथा नक्शा की प्रक्रिया पूरी होते ही दिघवारा में अधूरे दुकानों के निर्माण का कार्य पूरा किया जायेगा.
सुनील कुमार, डीडीसी सह मुख्य कार्यपालक पदाधिकारी, सारण
दोनों स्थानों पर विभागीय नियमानुसार ही दुकान बनाने का कार्य जिला परिषद में प्रस्ताव पारित कर शुरू किया गया था. दोनों जगह दुकान निर्माण का कार्य शुरू भी हो गया था. परंतु, स्थानीय लोगों ने मामले को उलझ कर इन दुकानों के निर्माण के कार्य को प्रभावित कर दिया है जिससे डेढ़ साल से दुकानों के निर्माण का काम अधूरा पड़ा है.
दिनानाथ दत्ता, जिला अभियंता, जिला परिषद, सारण