”पतीली है खाली और खामोश चूल्हा” की प्रस्तुति ने मन मोहा

छपरा : इप्टा के 75 वें प्लैटिनम जुबली वर्ष के आगाज सह जनसंस्कृति दिवस पर जनक यादव लाइब्रेरी समय संवाद का आयोजन किया गया. इस दौरान पटना, सीवान, गोपालगंज से आये और स्थानीय कवि शायरों ने अपनी रचनाओं के माध्यम से समय के साथ जीवंत संवाद स्थापित किया. राष्ट्रीय स्तर पर इप्टा की स्थापना के […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | May 27, 2017 8:01 AM

छपरा : इप्टा के 75 वें प्लैटिनम जुबली वर्ष के आगाज सह जनसंस्कृति दिवस पर जनक यादव लाइब्रेरी समय संवाद का आयोजन किया गया. इस दौरान पटना, सीवान, गोपालगंज से आये और स्थानीय कवि शायरों ने अपनी रचनाओं के माध्यम से समय के साथ जीवंत संवाद स्थापित किया. राष्ट्रीय स्तर पर इप्टा की स्थापना के 74 वीं वर्षगांठ और 75 वें प्लैटिनम जुबली वर्ष के आगाज पर कार्यक्रम का उद्घाटन विधान पार्षद सह इप्टा अध्यक्ष प्रो वीरेंद्र नारायण यादव ने अतिथि कवि शायरों के साथ अदब की समां को रोशन कर किया.

इप्टा बैंड द्वारा तू जिंदा है, परदेशी ये बात न पूछो की सामूहिक प्रस्तुति और अदिति राय द्वारा आज जाने की जिद्द ना करो गजल की प्रस्तुति दी गयी. समय संवाद का आगाज पटना के मुख्य शायर समीर परिमल ने अपनी ताजा तरीन नज्म ‘ऐसी की तैसी’ से कर शुरूआत में ही मंच के स्तर को काफी ऊंचा उठा दिया. समीर ने जब शेर पढ़ा कि पतीली है खाली और खामोश चूल्हा, बहारों नजारों की ऐसी की तैसी तो सामयिनों की सरगोशियां गूंज उठीं.

राजनीति पर समीर ने आगे पढ़ा कि जुबां पे शहद, आस्तीनों में खंजर, सियासी अदाओं की ऐसी की तैसी. पटना के ही शायर रामनाथ शोधार्थी ने कहा दिल समझदार हो गया है क्या, जीना दुश्वार हो गया है क्या, आजकल सीरियस बहुत हो तुम, वाकई प्यार हो गया है क्या. सीवान की कवयित्री डॉ नीलम श्रीवास्तव ने अपनी रचनाओं में नारी विमर्श के विविध आयामों को जुबां दी. इस दौरान अशोक शेरपुरी, रिपुंजय निशांत, रवि भूषण हंसमुख, ऐनुल बरौलवी, नेहाल की महत्वपूर्ण भूमिका रही. संचालन सचिव अमित रंजन और सुहैल ने किया.

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