भारत को वर्ष 2025 तक टीबीमुक्त बनाने का लक्ष्य

देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने टीबी बीमारी को जड़ से खत्म करने के लिए वैश्विक लक्ष्य से पांच साल पहले यानी 2025 तक भारत को टीबी मुक्त बनाने का महत्वाकांक्षी लक्ष्य रखा है.

By Prabhat Khabar News Desk | July 29, 2024 10:26 PM

देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने टीबी बीमारी को जड़ से खत्म करने के लिए वैश्विक लक्ष्य से पांच साल पहले यानी 2025 तक भारत को टीबी मुक्त बनाने का महत्वाकांक्षी लक्ष्य रखा है. हालांकि वैश्विक स्तर पर इसको 2030 तक समाप्त करने का लक्ष्य है. सिविल सर्जन डॉ सागर दुलाल सिन्हा ने बताया कि आगामी वर्ष 2025 तक भारत से टीबी बीमारी को जड़ से मिटाने का लक्ष्य रखा गया है. इसको लेकर देश के सभी राज्यों सहित जिलों में विभागीय स्तर पर तेजी के साथ कार्य करने के उद्देश्य से हर तरह की सुविधाएं मुहैया करायी जा रही हैं. इसी कड़ी में सारण जिले के अनुमंडलीय अस्पताल, रेफरल अस्पताल और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में ट्रूनेट मशीन लगा कर अधिक-से-अधिक टीबी जांच कराने का लक्ष्य रखा गया है, ताकि 2025 तक टीबी जैसी बीमारी को जड़ से मिटाया जा सके. वहीं जिले के सभी हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर पर भी टीबी स्क्रीनिंग और सैंपल लेने की व्यवस्था की गयी है, ताकि जल्द-से-जल्द टीबी मरीजों की पहचान कर उनका शीघ्र इलाज शुरू किया जा सके. उन्होंने यह भी बताया कि निजी क्षेत्र के चिकित्सकों से टीबी रोगियों का नोटिफिकेशन करने को लेकर आवश्यक दिशा निर्देश दिया गया है. जिला यक्ष्मा पदाधिकारी डॉ रत्नेश्वर प्रसाद सिंह ने बताया कि टीबी यानी क्षय रोग की रोकथाम करने के लिए सबसे पहले वैसे रोगियों के संपर्क में आने से बचाव करना पहला कर्तव्य होता है. अगर किसी कारण उनके संपर्क में आते हैं, तो टीबी बीमारी होने की आशंका प्रबल हो जाती है, लेकिन छींकने या खांसने के समय दूरी बना लेना बेहतर है. हालांकि इस बीमारी को फैलने से रोकने के लिए अपने शिशुओं और बड़े बच्चों तथा वयस्कों को भी बीसीजी का लगाया जाता है. कुछ वैसे भी लोग होते हैं जिन्होंने बचपन में बीसीजी का टीका नहीं लगाया होगा. वैसे लोगों को टीबी बीमारी को रोकने के लिए बीसीजी का टीका लगवाना अनिवार्य हो गया है.

जिले के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र जलालपुर, इसुआपुर, परसा, नगरा, दिघवारा, एकमा, लहलादपुर, तरैया, मकेर और अमनौर स्वास्थ्य संस्थानों में ट्रुनेट मशीन लगायी जा रही है, ताकि संबंधित क्षेत्र के टीबी मरीज दूसरी जगह नहीं जाकर अपने स्वास्थ्य संस्थान में ही ट्रनेट मशीन से जांच करा कर अपना इलाज करा सकें. हालांकि इसके पहले संबंधित क्षेत्र के टीबी रोगियों को सदर अस्पताल या किसी दूसरे अस्पताल जाना पड़ता था, लेकिन अब मात्र दो घंटे के अंदर ट्रन्नेट मशीन से जांच की सुविधा मिलनी शुरू हो जायेगी, क्योंकि अब दूसरे स्वास्थ्य संस्थान के भरोसे नहीं बल्कि अपने नजदीकी अस्पताल में जांच शुरू हो गयी है.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

Next Article

Exit mobile version