Buxar News : दीपावली में मिट्टी के दीयों से जगमगाएंगा इलाका

Buxar News : दीपों का त्योहार दीपावली के आने में अब मात्र कुछ ही दिन रह गया है. जहां पूरा इलाका मिट्टी के दीया के प्रकाश से जगमग होने वाला है.

By Prabhat Khabar News Desk | October 25, 2024 9:36 PM

डुमरांव. दीपों का त्योहार दीपावली के आने में अब मात्र कुछ ही दिन रह गया है. जहां पूरा इलाका मिट्टी के दीया के प्रकाश से जगमग होने वाला है, दीपावली को लेकर लोग अपने घरों व प्रतिष्ठानों की साफ-सफाई और रंग रोगन में जुटे हुए हैं. शहर व ग्रामीण बाजारों में मां लक्ष्मी और गणेश की बनाईं गयी मूर्तियों के अलावे मिट्टी से बनाए गए वस्तुओं की दुकानें भी सजने शुरू हो गए हैं. शहर और ग्रामीण इलाकों में दीपावली के अवसर पर मिट्टी से बनाए जाने वाले दीया, बर्तन, खिलौना सहित अन्य वस्तु बनाने के लिए जहां शिल्पकार जुटे हुए हैं वही इस व्यवसाय से जुड़े लोगों को अब इसकी बिक्री करने में भी तेजी आने की उम्मीद लगी हुयी है. नगर के दक्षिण टोला डुमंरेजनी रोड निवासी शिल्पकार संतोष प्रसाद का कहना है कि मिट्टी से वर्तन खिलौना बनाने वाले कारोवारियों की आर्थिक स्थिति अभी तक ठीक नहीं हो पायी है. जब की इस कारोबार से हम 25 वर्षों से जुड़े हुए हैं, उन्होंने कहा कि दशकों से शिल्पकार कड़ी मेहनत करके मिट्टी के बर्तन और इससे जुड़े कारोबार को करते आ रहे हैं. जिसकी जरूरत पर्व त्यौहारों में अधिक होती है, उन्होंने बताया कि शिल्पकारों को दीपावली, छठ आदि पर्व के मौके पर मिट्टी से निर्मित होने वाले वर्तनों की बिक्री की उम्मीदें अधिक रहती हैं. इसको लेकर दीपावली के मौके पर घर से लेकर प्रतिष्ठानों तक को मिट्टी से निर्मित होने वाले दीपों को जगमगाने के लिए इलाको में चाक की रफ्तार जोर पकड़ लेती है. इसका महत्व सिर्फ आने वाले पर्व और त्यौहारों में ही रह जाता है. सदियों से चली आ रही मिट्टी के बर्तनों का उपयोग करने की परंपरा को अब धीरे-धीरे लोग भूलते जा रहे हैं और दीया की जगह इस आधुनिक युग में मोमबत्ती, चाइनीज बल्ब और लाइटों का उपयोग कर रहे हैं. शिल्पकारों का कहना है कि नदी और तालाब में जाकर मिट्टी लाने के साथ इसे कड़ी मेहनत के साथ तैयार करने बाद इसे आग की भट्टी में पकाकर फिर उसपर रंग रोंगन करना होता है, जिससे जुड़े कारोबारियों की बेहतर आमदनी की उम्मीदें रहती हैं. जिसको लेकर दिवाली, छठ, गोवर्धन पूजा सहित अन्य पर्व त्यौहारों के बीच मिट्टी के बर्तनों को बनाने का काम चलता है. जब कि पहले हमलोगों को इस काम से साल भर फुर्सत नहीं रहता था, परिवार का भरणपोषण के लिए इसी कारोबार से आज भी कुल्हड़ और चाय की प्याली बनाकर आर्थिक उम्मीदें बनी हुई है. बता दें कि जैसे-जैसे दीपावली पर्व नजदीक आ रहा है, लोग इसकी तैयारी में व्यस्त नजर आ रहे हैं. शहर से लेकर ग्रामीण इलाकों में सभी जगहों पर दीपावली की तैयारी में लोग जुटे हुए हैं. जहां लोग अपने घरों की साफ-सफाई, रंग रोगन कर सजाने संवारने व आकर्षक बनाने में लगे हुए हैं. दीपों का पर्व दीपावली को लेकर बाजारों में भी रौनक धीरे-धीरे बढ़ने लगी है. मिट्टी से बनाये गये दीपावली से जुड़ी वस्तु अब बाजारों में सजने सवरने लगा है.

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