छपरा.
शहर का सांढा बाजार लोकल मछलियों की एक से बढ़कर एक वेरायटी के लिए पूरे जिले में चर्चित है. आज भी सांढा में लगने वाले इस बाजार में शहर के अलावे सुदूर ग्रामीण क्षेत्र के लोग भी अपनी मनपसंद लोकल मछलियों की खरीदारी के लिए आते हैं. लग्न का समय हो या कोई बड़ा आयोजन मछली खरीदने के लिए इस बाजार पर ही निर्भरता रहती है. आज भी सांढा में लगने वाला मछली बाजार लोगों को उनकी मनपसंद वेराइटी उपलब्ध कराने की कोशिश करता है. लेकिन इस बाजार के विकास और यहां के व्यवसायियों को समुचित व्यवस्था दिलाने का प्रयास अधूरा है.सड़क किनारे बैठकर मछली बेचते हैं व्यवसायी :
चार वर्ष पूर्व साढ़ा बाजार से सटे रेलवे ढाला पर ओवरब्रिज बन गया और ढाला का अस्तित्व समाप्त हो गया. जिस कारण आवाजाही कुछ कम हो गयी. वैसे बाजार में आज भी मछली खरीदने के लिए बड़ी संख्या में लोग आते हैं. हालांकि मछली व्यवसायियों के लिए बाजार में कोई चिन्हित जगह नहीं है. इस कारण उन्हें सड़क किनारे ही मछली बेचनी पड़ती है. यहां प्रतिदिन लगभग 200 दुकानें सड़क किनारे लगती हैं. बड़ा बाजार होने के बाद भी यहां विकास के नाम पर कुछ भी दिखाई नही पड़ता. मछली बाजार में जलनिकासी की व्यवस्था नही होने के कारण सालों भर यहां की सड़क पर जलजमाव लगा रहता है. आसपास कचड़ा फेंकने का कोई चिन्हित स्थान नही है और नाही बाजार में डस्टबीन लगाये गये हैं जिस कारण सड़कों पर कचड़े का अंबार लगा रहता है. बारिश में भी सड़क पर कीचड़ लग जाने से बाजार में आये खरीदारों का चलना मुश्किल हो जाता है.रोजाना पांच क्विंटल मछलियों का होता है कारोबार :
सुबह छह बजे से शाम के आठ बजे तक यहां की सड़क पर मछली की दुकानें लगती हैं. मांगुर, फरहा, रेहु, अमेरिकन रेहु, देशी कतला, झींगा, सिंघी, पुयास आदि मछलियों के कई किस्म यहां आपको मिल जायेंगे. शहर के अलावा आसपास के गांव से भी रोजाना हजारों की संख्या में लोग यहां मछली खरीदने आते हैं. रोजाना तकरीबन पांच क्विंटल मछलियों का कारोबार इस बाजार से होता है. साढ़ा बाजार में आपको केंकड़ा व घोंघा के भी कई प्रकार मिल जायेंगे जो खाने में काफी स्वादिष्ट होते हैं.आने से कतराती हैं महिलाएं :
बाजार का विकास नही होने और यहां समुचित व्यवस्था के अभाव में महिलाओं को आने में परेशानी होती है. गंदगी और जलजमाव की समस्या के कारण महिलाएं आने में असहज महसूस करती हैं. कुछ वर्ष पहले तक गृहणियां बड़े चाव से मछली बाजार आकर अपनी मनपसंद वेरायटी की मछली खरीदती थीं. आज वैसी बात नही दिखती.एक नजर में मछली बाजारयहां 200 विक्रेता करते हैं व्यवसाय
रोजाना पांच क्विंटल तक होता है कारोबार50 से अधिक किस्म की मिलती हैं मछलियां
70 साल पुराना है मछली बाजार का अस्तित्वक्या कहते हैं मेयर
मछली बाजार के विकास को लेकर कार्य किया जा रहा है. अभी यहां विक्रेताओं को सड़क के एक तरफ होकर दुकान लाने लगाने का निर्देश दिया गया है. जल्द ही एक स्थायी जगह भी चिह्नित किया जायेगा.लक्ष्मी नारायण गुप्ता, मेयर, नगर निगम
डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है