प्रभात खबर टोली. सारण जिले के जनता बाजार व बनियापुर में गंडकी नदी पर बने तीन पुलों के गिर जाने के बाद ग्रामीणों में दहशत का माहौल है. गंडकी नदी पर बने आधा दर्जन ऐसे पुल हैं. जिन पर नदी में पानी का दबाव बढ़ने के बाद धराशायी होने का खतरा मंडरा आ रहा है. जिले के परसा, दरियापुर, दिघवारा, लहलादपुर, एकमा, मांझी, तरैया आदि प्रखंडों में भी ऐसे कई पुल पुलिया मौजूद हैं. जो सालों से जर्जर हैं और अब भारी बरसात के समय इन पुल-पुलियाओं के कई हिस्से में दरार आ रही है. ग्रामीण लगातार मेंटेनेंस की मांग कर रहे हैं. गांव को शहर से जोड़ने वाले ऐसे कई लाइफलाइन हैं. जिनके अस्तित्व पर खतरा है. अगर समय रहते इनकी मरम्मती नहीं हुई तो आने वाले दिनों में बड़ी दुर्घटना होने से इनकार नहीं किया जा सकता.
कभी भी गिर सकता है ताजपुर का पुल
मांझी के ताजपुर में छपरा व सीवान को जोड़ने वाला पुल कभी ध्वस्त हो सकता है. वर्ष 2010 में करीब सात करोड़ की लागत से बने इस पुल का मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने उद्घाटन किया था. हालांकि उद्घाटन के बाद से इस पर भारी वाहनों का दबाव शुरू हो गया. जिसके कारण यह जर्जर होने लगा. इस पुल पर अवैध तरीके से वाहनों की पार्किंग भी होती है. शाम को पुल के ऊपर दोनों तरफ के क्षतिग्रस्त रेलिंग व फुटपाथ पर दर्जनों दुकानें लगती हैं. सारण के मांझी तथा सीवान के सिसवन प्रखंड को जोड़ने वाले इस अति महत्वपूर्ण सड़क पुल का टूटा बीम देख कर रोंगटे खड़े हो जाते हैं.
दरियापुर के जितवारपुर में जर्जर है पुलिया
प्रखंड क्षेत्र के जितवारपुर पंचायत के जमीनपुर गांव में करीब 12 फुट लंबी पुलिया है. जो दशकों से जर्जर है. इस पुल से बड़का बनैया गांव से होकर पोझी परसा जाने के लिए रास्ता है. सरनाचक, बेला, राजापुर, महमदपुर तथा छोटका बनैया सहित कई गांव को जोड़ता है. पुल में महीनों से दरार है. तब से दर्जनों बार दुर्घटना भी हुई है. यहां बाइक से लेकर पिकअप तक गिरी है. गनीमत रही की एक भी जान नहीं गयी. लेकिन गाड़ी की क्षति हुई है. जमीनपुर गांव निवासी व समाजसेवी अजय राय ने बताया कि कई बार जनप्रतिनिधियों से मेंटेनेंस की गुहार लगायी गयी. लेकिन आश्वासन के सिवाय कुछ नहीं मिला है. स्थिति ज्यों की त्यों बनी हुई है.
परसा में बोधा नहर पर बनी पुलिया क्षतिग्रस्त
परसा बनकेरवा मुख्य पथ से कटकर जाने वाली बोधा नहर सड़क पर बनी पुलिया की स्थिति जर्जर है. यह सड़क चेतन परसा, फर्कपुर, बिशुनपुर, मिर्जापुर, अन्याय, बलिगाव, बलहा, बभंगाव समेत दर्जनों गांवों को जोड़ती है. ग्रामीण अशोक कुमार सिंह, मो फिरोज, महतां, सोनू कुमार, उमेश राय, अजय राय, अमित कुमार, सुरेश राय, अजमुल्लाह, अनीश कुमार आदि ने बताया कि जब से पुल का निर्माण हुआ है. तब से आजतक मेंटनेंस का काम नहीं किया गया. जिसके वजह से पुल की स्थिति जर्जर है. ग्रामीणों का कहना है कि जब से सारण जिले में पुल-पुलियाओं के गिरने की घटना बढ़ी है. तब से उनके मन में भी दहशत व्याप्त है.
तरैया में पुल ध्वस्त होने के बाद चचरी का है सहारा
तरैया प्रखंड के पचभिंडा पंचायत के शाहनेवाजपुर गांव से होकर गुजरने वाली गंडक नहर में शाहनेवाजपुर-मुरलीपुर गांव को जोड़ने वाली पुल ध्वस्त होने के बाद चचरी के सहारे लोग आते-जाते है. लोग वर्षों से उक्त जर्जर बिना रेलिंग के पुल से आवागमन करते थे. लेकिन विगत अप्रैल माह में जर्जर पुल ध्वस्त हो गया. जिसके बाद स्थानीय लोगों ने ध्वस्त पुल पर बांस का चचरी बना कर पुल पार कर रहे है. उक्त पुल की तरफ न तो प्रशासन का ध्यान जा रहा है न गंडक विभाग न जनप्रतिनिधियों का. स्थानीय मुखिया प्रेमा देवी के प्रतिनिधि हरेन्द्र सहनी ने अपने निजी कोष से ध्वस्त पुल की ढलायी करायी थी. इस बार उक्त ढलाई के दूसरे भाग का पुल ध्वस्त हो गया. लोगों व स्कूली बच्चों को चचरी पुल पार कर तरैया बाजार तथा स्कूल जाना पड़ता है.
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