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कोरोना वायरस की दहशत से रेल यात्री लगातार रद्द करा रहे हैं कन्फर्म टिकट

कोरोना कुछ दिनों में रेलवे के आरक्षित टिकटों के रद्द करने का सिलसिला अनवरत जारी है और हर दिन रेलवे काउंटर पर बड़ी संख्या में लोग अपने आरक्षित टिकट को रद्द कराने पहुंच रहे हैं.

By Rajat Kumar | March 17, 2020 10:20 AM

छपरा : कोरोना वायरस के संक्रमण की दहशत ने एक तरफ आम लोगों को मुश्किलों में डाला है और लोग परेशानी के बीच अपना जीवन जी रहे हैं. वहीं दूसरी तरफ इस वायरस के संक्रमण की दहशत ने रेलवे की आर्थिक स्थिति को भी झटका दिया है. जिसका नतीजा यह है कि पिछले कुछ दिनों में रेलवे के आरक्षित टिकटों के रद्द करने का सिलसिला अनवरत जारी है और हर दिन रेलवे काउंटर पर बड़ी संख्या में लोग अपने आरक्षित टिकट को रद्द कराने पहुंच रहे हैं. स्थिति ऐसी है कि कोई भी व्यक्ति महानगरों की ओर जाना मुनासिब नहीं समझ रहा है. जी हां, सोनपुर छपरा रेलखंड के दिघवारा स्टेशन पर पिछले कुछ दिनों के अंदर बड़ी संख्या में रेलयात्रियों ने अपना आरक्षित टिकट रद्द कराया है जिससे रेलवे के राजस्व पर प्रतिकूल असर पड़ रहा है.

टिकट काउंटर पर टिकट रद्द कराने पहुंचने वाले यात्रियों का कहना है कि देश के महानगरों व प्रमुख शहरों की जो स्थिति है उसके अनुसार वे लोग किसी दूसरे शहर जाने का रिस्क नहीं उठाना चाहते हैं. इसलिए उन लोगों ने अपना टिकट रद्द कराया है ताकि कोरोना के संक्रमण की गिरफ्त में न आ सकें.अधिकतर यात्रियों का कहना था कि कोई भी परिजन मौजूदा स्थिति में बाहर जाने की इजाजत नहीं दे रहे हैं. .

मिली जानकारी के मुताबिक जो टिकट रद्द हुए हैं उनमें से अधिकतर यात्रियों ने अपना टिकट नयी दिल्ली, मुंबई, अमृतसर, कोलकाता, लखनऊ, रांची व हावड़ा आदि जगहों पर जाने के लिए लिया था और अब वे लोग उन टिकटों को रद्द करा रहे हैं. यात्रियों का कहना था कि वे लोग टिकट रद्द कराने में पैसों के नुकसान की चिंता नहीं कर रहे हैं. रेलवे से मिली जानकारी के मुताबिक दिघवारा स्टेशन पर 13 मार्च को 15 टिकट रद्द हुए जिसके तहत 10 हजार 690 की राशि रिफंड की गयी. 14 मार्च को 28 टिकट रद्द किये गये और रेलवे को यात्रियों को 40 हजार 465 रुपये वापस करने पड़े. वहीं 15 मार्च को 20 यात्रियों ने टिकट रद्द कराया जिससे रेलवे को 12 हजार 820 रुपये वापस करने पड़े. इसके अलावा बड़ी संख्या में ऑनलाइन बुक की गई टिकटों को रद्द किए जाने से भी रेलवे को राजस्व की हानि हुई है. मौजूदा स्थिति में कोई देश के बड़े महानगरों व प्रमुख शहरों की ओर जाना मुनासिब नहीं समझ रहा है

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