छपरा
. जयप्रकाश विश्वविद्यालय से शोध कर रहे छात्र-छात्राओं को थीसिस जमा करने के पहले प्लेगिरिज्म सर्टिफिकेट प्राप्त करना अनिवार्य होगा. अब सभी थीसिस प्लेगिरिज्म सर्टिफिकेट के साथ ही विभागों में स्वीकृत किये जायेंगे. प्लेगिरिज्म के माध्यम से शोध छात्रों के रिसर्च की गुणवत्ता परखी जाती है. शोधार्थियों ने यदि थीसिस में किसी प्रकार का नकल किया है, तो प्लेगिरिज्म जांच के लिए बनाये गये सॉफ्टवेयर से इसकी जांच होगी. सॉफ्टवेयर के अंतर्गत जांच के बाद यदि थीसिस में साहित्यिक चोरी सामने आती है तो सम्बंधित शोध छात्र-छात्रा का पंजीयन भी रद्द हो सकता है. 60 प्रतिशत से अधिक चोरी पर पंजीयन रद्द कर जायेगा. विश्वविद्यालय के एकेडमिक सेल के इंचार्ज प्रो रामनाथ प्रसाद ने इस संदर्भ में एक नोटिफिकेशन जारी किया है. जिसमें कहा है कि जिन छात्र-छात्राओं ने 21 सितंबर 2017 के बाद शोध के लिए पंजीयन कराया है. उन्हें थीसिस जमा करने के पहले प्लेगिरिज्म सर्टिफिकेट अनिवार्य रूप से प्राप्त करना होगा. इसके लिए पहले उनके थीसिस की सॉफ्टवेयर के माध्यम से जांच की जायेगी. गुणवत्ता परखने के बाद थीसिस सही पाया गया तभी उन्हें आगे रिसर्च का अवसर मिल सकेगा.
क्या है प्लेगेरिज्म : प्लेगेरिज्म साहित्यिक चोरी को कहा जाता है. दूसरे की भाषा, विचार व शैली का अधिकांशतः नकल करते हुए अपने मौलिक कृति के रूप में प्रकाशन करते है तो इस कृत्य को ही साहित्यिक चोरी या प्लेगेरिज्म कहते हैं. साहित्यिक चोरी तब मानी जाती है. जब हम किसी के द्वारा लिखे गये साहित्य को बिना उसका सन्दर्भ दिये अपने नाम से प्रकाशित कर लेते हैं. इस प्रकार से लिया गया साहित्य अनैतिक माना जाता है. इतना ही नहीं साहित्यिक चोरी इन बातों पर भी लागू होती है. यदि इंटरनेट से कोई लेख डाउनलोड करके उसका उपयोग करते हैं तो इसे भी प्लेगरिज्म की श्रेणी में रखा जाता है.भारत सरकार और यूजीसी ने शिक्षण और शोध के क्षेत्र में प्लेगेरिस्म को रोकने के लिए कई कदम उठाये हैं. इसके अंतर्गत ही सॉफ्टवेयर के माध्यम से विश्वविद्यालयों में एंटी प्लेगेरिज्म लागू किया गया है.
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