छपरा. नगर निगम महापौर लक्ष्मी नारायण गुप्ता का बजट समेत अन्य योजनाओं को बोर्ड से पास कराने की दूसरी मुहिम भी कामयाब नहीं हुई. नाराज 38 पार्षदों ने उनकी सारी रणनीति पर पानी फेर दिया और बैठक शुरू होने के कुछ देर बाद हंगामा के साथ बहिष्कार कर दिया. इस दौरान महापौर और नगर आयुक्त के विरोध में जमकर नारे भी लगाये गये. ऐसा लग रहा था कि नाराज पार्षद पहले से ही पूरी तरह से बैठक का बहिष्कार करने का मूड बनाकर आये थे, बैठक में पहुंचे 21 सामाजिक कार्यकर्ता भी कुछ नहीं कर पाये. बैठक के दौरान नगर निगम के सभी अधिकारी भी उपस्थित थे.
बैठक की शुरुआत होते ही पूर्व उपमेयर ने किया सवाल
तय कार्यक्रम के अनुसार नगर महापौर लक्ष्मी नारायण गुप्ता ने बैठक की शुरुआत की और सभी से शहर के विकास के लिए बात कही. साथ ही आपसी मनमुटाव को भूल जाने को भी कहा, लेकिन पूर्व उपमेयर रमाकांत सिंह ने अपना पहला सवाल दागते हुए कहा कि जब पार्षदों ने बैठक की डेट निर्धारित करने के लिए पहले आवेदन दिया था, तो फिर महापौर के द्वारा बाद में दिए गए पत्र के आलोक में बैठक क्यों रखा गया. बोर्ड का बात मानना चाहिए या फिर महापौर का. नगर आयुक्त ने स्थिति को स्पष्ट करने का प्रयास किया, लेकिन पार्षद नगर आयुक्त के कार्य शैली से नाराज दिखे. उन्होंने कहा कि नगर आयुक्त बोर्ड के सचिव नहीं है. यह महापौर का सचिव बनकर रह गए हैं. रमाकांत सिंह के बोलने के बाद पार्षद सुजीत कुमार मोर ने मोर्चा संभाला और महापौर से उनके ही प्रोसिडिंग को उनसे पढ़वाया. इसके बाद महापौर की बोलती बंद हो गई, कारण साफ था कि बिना बजट की संपुष्टि किए बिना प्रोसीडिंग में यह लिख दिया जाना की संपुष्टि हो गई है पार्षदों को रास नहीं आया और पार्षदों ने हंगामा शुरू कर दिया. इसके बाद महापौर को यह समझ में आ गया कि कहीं ना कहीं त्रुटि हुई है. उन्होंने इसके लिए क्षमा मांगते हुए नगर निगम क्षेत्र के विकास के लिए आगे के प्रस्ताव पर चर्चा करने का आग्रह किया. जिसके बाद पार्षद नाराज हो गए और नारेबाजी करते हुए बैठक का बहिष्कार कर दिया. ऐसे में नगर सरकार का बजट पर ना तो चर्चा हुई और ना ही पास हुआ.
इस बार भी बहिष्कार का मूड बनाकर आये थे पार्षद
सत्ता पक्ष के पहले ही विपक्ष के सभी 30 पार्षद आकर जम गए थे. आठ पार्षद छपरा से बाहर रहने के कारण बैठक में नहीं शामिल हो पाए. नाराज पार्षदों की तैयारी से ऐसा लगा कि वे इस बार भी बहिष्कार का मूड बनाकर ही आए थे, और अपने नारेबाजी के दौरान मनमानी नहीं चलेगी का नारा लगाते रहे. नेतृत्व कर रहे पूर्व में रामाकांत सिंह पार्षदों का पक्ष मजबूती से रख रहे थे और महापौर तथा नगर आयुक्त के जवाब का जवाब बेहतर ढंग से दे रहे थे.अगली बैठक 17 को, लेकिन अभी से ही उठने लगे सवाल
नाराज पार्षदों ने नगर आयुक्त को ज्ञापन देकर 18 सितंबर को बैठक बुलाने की मांग की थी, लेकिन उनकी मांग को अस्वीकार कर दिया गया था. अब महापौर ने ही 17 सितंबर को बैठक निर्धारित कर दी है. जिसे लेकर अभी से ही सवाल उठने भी लगे हैं. पार्षदों ने कहा है कि महापौर अपने जिद पर अड़े हुए हैं. पहले तो 18 की बैठक को रेड कार्रवाई, अब 17 सितंबर को बैठक रखकर यह साबित करना चाहते हैं कि केवल उनका चलेगा और किसी का नहीं. हालांकि पार्षदों की ओर से एक नया आवेदन महापौर के नाम से दिया है जिसमें बोर्ड की बैठक की तिथि नए सिरे से रखने की मांग की है. जिसमें सभी 30 पार्षदों ने हस्ताक्षर किया है. अब देखना है कि मामले में क्या हो रहा है.
कोशिश जारी है कि योजनाएं पास हो जाएं
नगरवासियों के हित में बैठक बुलाई गई थी, लेकिन पार्षदों ने बहिष्कार कर दिया. लेकिन इसमें सबसे बड़ी बात है यह कि यदि मुझे कोई गलती हुई है तो मैं क्षमा भी मांग लिया है. इसके बावजूद अपने जिद पर अड़े रहना विकास को बाधित करने के बराबर है. हमाकी ओर से कोशिश जारी है कि बजट समेत सभी योजनाएं जल्द ही पास हो जाएं. अगली बैठक 17 को है.लक्ष्मी नारायण गुप्ता, महापौर, नगर निगम छपरा
की जा रही मनमानी
महापौर लगातार मनमानी कर रहे हैं. वह किसी की सुन नहीं रहे हैं. अपने जिद पर अड़े हुए हैं. पार्षदों ने जब अपनी बैठक बुलाई तो उसे रद्द करवा दिया. बिना संपुष्टि के ही बजट को संपुष्ट बता दिया. गुरुवार के बोर्ड के साधारण बैठक में महापौर द्वारा लाए गए बजट का बहिष्कार किया गया है. इसके अलावा फिर से आवेदन दिया गया है बैठक का डेट निर्धारित करने के लिए. रमाकांत सिंह डब्लू, पार्षद सह पूर्व उपमेयरनिर्धारित कार्यक्रम के अनुसार हुई है बैठक
निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार बैठक हुई है, लेकिन पार्षदों ने बहिष्कार कर दिया है. आगे महापौर तय करेंगे की बैठक किस दिन करायी जाये.अजीत कुमार, प्रभारी नगर आयुक्त, नगर निगम छपरा
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